वर्ष 2011 एक विश्लेषण

वर्ष 2011 एक विश्लेषण  

महेश चंद्र भट्ट
व्यूस : 8165 | जनवरी 2011

वर्ष 2011-एक विश्लेषण पं. महेश चंद्र भट्ट (ज्योतिषाचार्य) इस आलेख में ज्योतिषीय गणनाओं, ग्रह गोचर तथा गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस के आधार पर बनी वर्ष प्रवेश कुंडलियों, ग्रहों के राशि परिवर्तन व ग्रह युति युग के आधार पर संभावित घटनाओं का विवरण है। नव वर्ष लग्न में, गणतंत्र दिवस की जन्मकुंडली के आठवें भाव की राशि (तुला) उदित की हुई है, जिससे केंद्रीय सत्तारुढ़, यू.पी.ए. सरकार को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। विकास योजनाओं पर किये जाने वाले खर्चों के आशानुकूल परिणाम नहीं होंगे। कश्मीर, बिहार कुछ राज्यों में अलगाववाद एवं साम्प्रदायिक उपद्रव, आतंकवादी गुटों द्वारा भारतीय सीमाओं का अतिक्रमण, पूर्व/पश्चिम सीमाओं पर पाकिस्तान व चीनी फौंजों का जमाव राष्ट्र के लिए चिंता का विषय होगा। वर्ष लग्नेश शुक्र द्वितीय कोण भाव में शत्रु राशिगत है। उस पर गुरु की शत्रु दृष्टि पड़ रही है, जिस कारण दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी। गणतंत्र कुंडली के द्वितीय भाव में शत्रु राशिगत वर्ष लग्नेश शुक्र का होना तथा उस पर शनि की विशेष तीसरी दृष्टि पड़ने से सामान्य प्रजा खाद्यान्नों एवं दैनिक प्रयोग की अन्य वस्तुओं के मूल्यों में बढ़ती तेजी से अत्यंत परेशान होगी। पैट्रोल, डीजल, रसोई-गैस, बिजली, पानी, दूध, दवाईयां, लोहा, सोना-चांदी, तांबा, भूमि-मकान के मूल्यों में जबरदस्त तेजी का रुख होगा।

स्वतंत्र भारत : (15 अगस्त) के 65वें वर्ष की कुंडली में लग्न भाव में केतु का होना तथा चतुर्थ भाव में मंगल, शनि, शुक्र तीन विरोधी ग्रहों का योग बना हुआ है जिससे वर्ष 2010 ई. के अंतिम भाग एवं वर्ष 2011 ई. के पूर्वार्द्ध में कुछ राज्यों में कहीं दुर्भिक्ष या अनाज की कमी, कहीं राजभंग (सत्ता-परिवर्तन), उपद्रव एवं हिंसक घटनाओं से हानि होने के संकेत हैं। चतुर्थ भाव सर्वसाधारण के सुख व संतोष के भावों को भावों को भी प्रकट करता है। चतुर्थेश शनि (जो भारत की प्रभाव राशि-स्वामी भी है) द्वादश भाव में बैठकर कोष भाव को देख रहा है। फलस्वरूप केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों की त्रुटिपूर्ण नीतियों, उत्तरदायित्व हीनता एवं संवदेनहीन मानसिकता के कारण देश की अनेक क्षुद्र व लघु समस्याएं भी कालांतर में विकराल रूप धारण कर लेंगी। परंतु उपर्युक्त विघ्न बाधाओं के बावजूद भारतवर्ष कुछ क्षेत्रों में विशेष उन्नति भी करेगा। जिनमें सड़क परिवहन, कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, दूर-संचार एवं उच्च तकनीकि शिक्षा, कम्प्यूटर, जहाजरानी एवं परमाणु क्षेत्रों तथा आर्थिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय तरक्की होगी। देश के अधिकांश राजनेताओं में राष्ट्रीय भावना की कमी, नैतिक व चारित्रिक मूल्यों की कमी के कारण देश की अनेक समस्याएं गंभीर रूप धारण कर लेंगी।जैसे दैनिक उपभोग की वस्तुओं के मूल्यों में जबरदस्त तेजी, प्रशासनिक क्षेत्रों में बढ़ता भ्रष्टाचार विभिन्न प्रदेशों में साम्प्रदायिक उपद्रव, चोरी व लूटमार की बढ़ती वारदातें, कानून और व्यवस्था की समस्याएं, बेराजगारी, भारत के पूर्वी क्षेत्रें में माओवाद व नक्सलवादियों की बढ़ती हुई निरंतर हिंसक वारदातों के कारण तथा पूर्वी एवं पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों पर चीनी व पाकिस्तान फौजों की गतिविधियों के कारण आम लोगों के मन में असुरक्षा के भाव बढ़ने लगेंगे। असामयिक वर्षा, भूस्खलन, भूकम्प, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ प्रदेशों में धन, सम्पदा की हानि एवं अनाज आदि की पैदावार में कमी होगी। बिजली, पानी, पेयजल, डीजल, पैट्रोलियम पदार्थ, दूध, सब्जियों, दालें, वनस्पति घी, तेल, खाद्यान्नादि के मूल्य भी तेज का रुख रखेंगे। सामान्य व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाएगा। पाक एवं माओवादी विद्रोहकारियों के प्रति तुष्टीकरण की नर्म नीतियों के कारण यू.पी.ए. सरकार की छवि को गहरा धक्का लगेगा।

सन् 2011 ई. में ग्रह गोचर व भारत का भविष्यफल : सन् 2011 के प्रारंभ में माघ मास में (20 जनवरी सन् 18 फरवरी के मध्य) पांच बृहस्पतिवार होने से भारत के पश्चिमी भागों में जैसे भारत-पाक की पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य टकराव होने के योग हैं, कश्मीर की सीमाओं पर सुरक्षाकर्मिय तथा कश्मीरी अलगाववादियों के बीच टकराव, आगजनी, उपद्रव एवं हिंसक घटनाएं होने के योग हैं। चांद्र फाल्गुन मास (19 फरवरी से 19 मार्च) के मध्य पांच शनिवार होने से भारत के अनेक प्रदेशों में उपद्रव, साम्प्रदायिक दंगे, हिंसक घटनाएं, अग्निकांड की वारदातें अधिक होंगी। केंद्रीय मंत्रीमंडल में परिवर्तन होगा, जिस कारण कांग्रेस पार्टी में आंतरिक मतभेद उभर सकते हैं। कश्मीर, आसाम आदि सीमावर्ती प्रदेशों की सीमाओं पर आंतकवादियों द्वारा हिंसक घटनाओं के संकेत हैं। अत्यधिक मंहगाई के कारण सामान्य लोग पीड़ित होंगे। देश के कुछ प्रदेशों में क्लिष्ट रोगों का जैसे-हैजा, क्षय रोग, हैपेटाइटस बी, डेंगू, मलेरिया, स्वाईन फ्लू आदि रोगों का भय होगा। चैत्र मास में (14 मार्च से 13 अप्रैल) गुरु, मीन राशि में अतिचार होकर संचार कर रहा है जबकि क्रूर ग्रह पहले से वक्री गति से संचारित हैं। देश के किसी प्रदेश में अनाज की कमी, दुर्भिक्ष, युद्धभय एवं कहीं छत्रभंग होने से संकेत हैं। चांदी चैत्र मास (20 मार्च से 18 अप्रैल) के मध्य पांच रविवार होने से कहीं छत्र भंग (सत्ता परिवर्तन), उपद्रव, अग्निकांड, जातीय हिंसा व हिंसक घटनाओं एवं तोड़-फोड़ की घटनाएं होंगी। जन, उपभोग की वस्तुओं की कमी रहेगी। महंगाई के कारण सामान्य लोगों में अत्यधिक परेशानियां व आक्रोश व्याप्त रहेगा। वैशाख मास में पांच मंगलवार होने से देश के कुछ भागों में अग्निकांड, साम्प्रदायिक दंगे, जनांदोलन, हिंसक एवं विस्फोटक घटनाएं घटित होने के संकेत हैं। कहीं छत्रभंग (राज्य परिवर्तन) पदच्युति या प्रमुख नेता के आकस्मिक निधन के भी संकेत हैं।

चतुग्रही योग : 25 मार्च से 30 मई के मध्य क्रमशः सूर्य, मंगल, बुध, गुरु ग्रहों का चार ग्रही योग तथा फिर मंगल, बुध, गुरु, शुक्र ग्रहों का योग होने से हिमाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल, कश्मीर, गुजरात आदि प्रदेशों में हिंसक घटनाएं होने के संकेत हैं। कहीं राज्य सत्ता का परिवर्तन एवं आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में अत्यधिक तेजी होने के संकेत हैं। किसी प्रमुख राजनेता की पदच्युति या छत्रभंग के योग प्रतीत होते हैं। 06 जून से वक्री राहु वृश्चिक राशि में तथा केतु वृष राशि में प्रवेश करेगा, जिसके प्रभाव स्वरूप कुटिल एवं विपरीत आचरण करने वाले लोग मनोवांछित फल प्राप्त करने में सफल होंगे अर्थात चालाकी एवं चतुराई से कार्य करने वाले लाभान्वित होंगे। राहु प्रवेश से 6 मास पश्चात् भारत तथा विश्व में बाढ़, भूस्खलन, क्लिष्ट रोग आदि प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन एवं सम्पदा आदि की हानि होने का भय होगा। 3 जून से 12 जून के मध्य मंगल शनि में षडाष्टक योग होने के कारण तथा 15 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा एवं मूल नक्षत्र-कालीन चंद्रग्रहण घटित होने के कारण कहीं दंगे-फसाद, उपद्रव, हिंसक घटनाएं एवं जातीय टकराव होने के योग हैं। वर्षा की कमी रहेगी। राजनैतिक नेताओं में परस्पर विद्वेष एवं टकराव बढ़ेगा। अत्यधिक महंगाई के कारण लोगों में विद्वेष एवं आक्रोश की भावनाएं बढ़ेगी।

शुक्रास्त : श्रावण कृष्ण नवमी तिथि 24 जुलाई रविवार को शुक्रास्त एवं कर्क राशिस्थ कालीन पूर्व में अस्त होगा। जिससे आने वाले दिनों में कुछ प्रदेशों में बाढ़ आदि से जन-धन एवं कृषि, सम्पदा को क्षति पहुंचे। भारत व नेपाल सहित हिंदू राष्ट्रों के कुछ क्षेत्रों में साम्प्रदायिक झगड़े, दंगे फसाद आदि होने का भय होगा। श्रावण (जुलाई-अगस्त) मास में 5 शनिवार होने से सर्वप्रकार के अनाज खाद्य तेल, सब प्रकार की दालें, वनस्पति, घी, तेल, सोना, चांदी आदि तेज भाव होंगे। साम्प्रदायिक दंगे व हिंसक घटनाओं व युद्ध का भय होगा। महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश, असम, मध्य-प्रदेश आदि प्रांतों में बाढ़ादि से जन, धन व फसलों की हानि होगी। भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) में पांच रविवार होने से देश में कहीं अनाज की कमी, अत्यधिक महंगाई, जातीय उपद्रव, अग्निकांड, विस्फोटक घटनाएं एवं कहीं सत्ता परिवर्तन के योग हैं। आश्विन मास (सितंबर-अक्तूबर) में पांच मंगलवार पड़ने से कहीं बाढ़, भूस्खलन आदि प्राकृतिक प्रकोपों से जन, धन व कृषि सम्पदा की हानि, किसी प्रमुख राजनेता की पदच्युति या निधन के योग हैं।

खप्पर योग का प्रभाव : श्रावण से लेकर आश्विन (सितंबर-अक्तूबर) मास तक क्रमशः 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार होने से वारों का यह क्रम खप्पर योग कहलाता है। जिसका फल शास्त्रों में अशुभ एवं भयकारक लिखा है व अति कष्टकारी घटनाएं घटित होने के संकेत हैं। इस काल अवधि में पाकिस्तान व चीन अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों एवं शरारतपूर्ण कुटिल चालों से भारत की सीमाओं में घुसपैठ कराने तथा भारत में कोई बड़ी वारदात करवाने के कुटिल प्रयास करते रहेंगे। सीमावर्ती प्रदेशों में हिंसक व विस्फोटक घटनाएं, सैन्य टकराव, युद्धभय होगा। कार्तिक मास (अक्तूबर-नवंबर) में पांच गुरुवार होने से देश के पश्चिमी प्रदेशों अथवा पश्चिमी देशों में कहीं उपद्रव, राजनीतिक टकराव अथवा युद्ध जैसे हालात बनेंगे। कहीं छत्रभंग की भी संभावना होगी। मार्गशीर्ष मास- 11 नवंबर से 10 दिसंबर के मध्य 5 शनिवार तथा पौष मास (11 दिसंबर से 9 जनवरी 2012 ई.) के मध्य पांच रविवार तथा माघ के महीने में (10 जनवरी से 7 फरवरी 2012 ई.) के मध्य 5 मंगलवार पड़ने से पुनः खप्पर योग बन रहा है। जिसके फलस्वरूप दैनिक वस्तुओं के भावों में अत्यधिक वृद्धि होने से प्रजा में असंतोष व बेचैनी रहेगी। कहीं अग्निकांड, छत्रभंग (सत्ता-परिवर्तन) या किसी प्रमुख नेता का आकस्मिक निधन (विस्फोट एवं हिसंक घटनाएं घटने के योग हैं।

शनि का तुला राशि में परिवर्तन : (15 नवंबर मंगलवार 2011 ई.) 15 नवंबर मंगलवार को शनि तुला राशि में प्रवेश करेगा, जिससे सर्वप्रकार के अनाज (गेंहू, चावल, धान्य, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग आदि) की पैदावार में कमी हो जाने से अत्यधिक महंगाई, कहीं अनाज की कमी, दुर्भिक्ष, पेयजल की कमी, अग्निकांड, भूस्खलन, यान-दुर्घटनाएं, बाढ़, सूखा, भूकंप, ज्वालामुखी आदि प्राकृतिक प्रकोप अधिक होंगे। 07 फरवरी 2012 ई. से तुला राशि में वक्री होगा तथा 07 फरवरी के पश्चात् बुध आदि शुभ ग्रह शीघ्र से अतिचार गति को प्राप्त हो रहा है जिससे आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में जबरदस्त तेजी तथा कुछ देशों में युद्ध आदि का भय हो।



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