नवग्रहों के यंत्र

नवग्रहों के यंत्र  

रमेश शास्त्री
व्यूस : 4500 | जनवरी 2011

नवग्रहों के यंत्र सूर्य यंत्र : यह सूर्य ग्रह प्रतीक यंत्र माना है। इस यंत्र की पूजा से सूर्य ग्रह का शुभ फल प्राप्त होता है तथा अनिष्ट फल की शांति होती है। जिन लोगों की जन्म पत्रिका में सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में हो उनको सूर्य यंत्र की पूजा, उपासना से अवश्य लाभ होता है। चंत्र यंत्र : यह चंद्रमा ग्रह का प्रतीकात्मक यंत्र होता है। इसकी पूजा स्थापना करने से चंद्र संबंधी दोषों की शांति होती है।

जिन व्यक्तियों की कुंडलियों में चंद्रमा कमजोर हो उन्हें इसकी पूजा उपासना करने से अच्छा लाभ होता है। मंगल यंत्र : इस यंत्र की पूजा मंगल ग्रह की अनुकूलता के लिए की जाती है। जिससे पराक्रम, भूमि, की प्राप्ति होती है। जिनकी कुंडली में मंगल अशुभ, कमजोर हो उन्हें इस यंत्र की पूजा, करने से लाभ होता है। बुध यंत्र : इस यंत्र की पूजा करने से बुध ग्रह का शुभ फल प्राप्त होता है तथा अशुभ फल की शांति होती है, स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। चमड़ी संबंधी रोगों में भी लाभ होता है।


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जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर अस्त हो, उन्हें इस यंत्र की पूजा करनी चाहिए। बृहस्पति यंत्र : बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि यंत्र माना जाता है। इस यंत्र की पूजा करने से धन, वैभव, सुख, स ं प ि त्त् ा , पारिवारिक सुख की वृि द्ध हाते ी ह।ै जिनमी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर स्थिति में हो उन्हें इस यंत्र की पूजा, उपासना करने से अच लाभ होता है। शुक्र यंत्र : इस यंत्र की शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि के लिए पूजा की जाती है। यंत्र की पूजा, स्थापना से जीवन में सुख, शांति तथा आनंद बढ़ता है।

जिन व्यक्तियों का शुक्र ग्रह खराब स्थिति में हो उनको इस यंत्र की पूजा करना शुभफलदायक होता है। शनि यंत्र : इसकी पूजा करने से शनि संबंध दोषों की शांति होती है। इसकी पूजा, प्रतिष्ठा शनिवार के दिन करनी चाहिए। कुंडली में शनि की कमजोरी, अशुभता के लिए इस यंत्र की पूजा करना शुभ होता है। राहु यंत्र : यह राहु ग्रह का प्रतिनिधि यंत्र होता है। राहु की शांति के इस यंत्र पूजा उपासना की जाती है।

कुंडली में राहु की अशुभता के लिए यह प्रभावी यंत्र होता है। इसके प्रभाव से राहु संबंधी दोषों का निवारण होता है। केतु यंत्र : इस यंत्र की पूजा, उपासना करने से केतु ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। तथ अशुभ फल की शांति होती है। जिन जातकों की कुंडली में केतु अशुभ होता है, उन्हें इस यंत्र की पूजा करना शुभप्रदायक होता है।



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