दीपावली की रात्रि में पूजन का महत्व

दीपावली की रात्रि में पूजन का महत्व  

महेश चंद्र भट्ट
व्यूस : 2773 | नवेम्बर 2010

महानिशा एक ऐसी रात्रि है जो साल भर में केवल एक बार आती है इसलिए तंत्र साधक इसका उपयोग करते हैं और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए तंत्र साधना करते हैं। सामान्यतः मंत्र-तंत्र और यंत्र तीनों की सिद्धि महानिशा की कालावधि में की जाती है। तंत्र साधना के लिए यह कालावधि अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कन्या संक्रांति में पितृ श्राद्ध पक्ष बनता है। तुला संक्रांति में पितृ गण स्वस्थान को प्रस्थान करते हैं। उनके मार्ग दर्शन के लिए दीप दान का विधान अमावस्या (पितृ तिथि) को किया गया है। यही दीपावली है।

पितरों के प्रसन्न होने से ही देवगण प्रसन्न होते हैं और देवगण की प्रसन्नता से ही धन का आगमन होता है और धन की देवी लक्ष्मी है। इस सिद्धांत के अनुसार कार्तिक कृष्ण अमावस्या को ही दीपावली का दिन पड़ता है। अन्य दिनों में नहीं। कालरात्रि एक ओर जहां शत्रु विनाशिनी हंै वहीं उसे शुभत्व की प्रतीक, सुख-सौभाग्य प्रदायिनी होने का गौरव भी प्राप्त है। मंत्र में कालरात्रि को गणेश्वरी की संज्ञा प्राप्त है जो रिद्धि-सिद्धि प्रदायिनी है। दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी, कुबेर व गणपति की पूजा-साधना का विशेष महत्व है। इस रात्रि को मंत्र-तंत्र और यंत्र की सिद्धि की जाती है।

Book Shani Shanti Puja for Diwali

दीपावली की रात्रि के चार प्रहर अपना अलग-अलग महत्व रखते हंैं। प्रथम-निशा, द्वितीय-दारुण, तृतीय-काल, चतुर्थ-महा। सामान्यतः दीपावली की रात्रि में आधी रात के बाद डेढ़ से दो बजे के समय को महानिशा का समय निरुपित किया जाता है। मान्यता यह भी है कि इस कालावधि में लक्ष्मी जी की साधना करने से अक्षय धन-धान्य की प्राप्ति होती है। दीपावली की रात्रि को आधी रात के बाद जो मुहूर्Ÿा का समय है, उसको महानिशा कहते हैं। इस कालावधि में आराधना करने से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ज्योतिषीय गणना यह है कि दीपावली के दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ही ग्रह तुला राशि में होते हैं। तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है जो सुख-सौभाग्य का कारक ग्रह है।

रुद्रयामल तंत्र में इस तथ्य का उल्लेख भी हुआ है। जब सूर्य एवं चंद्रमा तुला राशि के होते हैं, तब लक्ष्मी पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इसी तरह तंत्र साधकों का विश्वास है कि दीपावली की अर्द्धरात्रि को किया गया अनुष्ठान शीघ्र सफलतादायक एवं सिद्धिदायक होता है। वास्तव में दीपावली की रात को महानिशा के नाम से जाना जाता है। आदिकाल से पुराणों में शक्ति पूजा के लिए वर्ष के विभिन्न दिनों को महŸाा प्रदान की गयी है। हमारे प्राचीन शास्त्र और पुराण कार्तिक मास की अमावस्या को ही महानिशा निरुपित करते हैं।

अमावस्या के दो दिन पूर्व और दो दिन बाद का समय भारतीय मनीषियों के अनुसार पुण्य का समय होता है। दीपावली में धन प्राप्ति हेतु कुछ मुख्य बातें:

Book Laxmi Puja Online

1 दीपावली के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे संध्याकाल में सरसों के तेल का दीपक जला दें फिर घर वापस आ जाएं। पीछे मुड़कर न देखें। यह प्रयोग दीपावली के बाद प्रत्येक शनिवार नियम से करें। यह अत्यधिक लाभवर्द्धक प्रयोग है।

2 भाईदूज के दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते हुए जल में महालक्ष्मी का स्मरण करते हुए छोड़ना चाहिए। इससे धन-धान्य की वृद्धि होगी।

3 दीपावली की रात्रि में काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतार कर घर की पश्चिम दिशा में फेंक दें। ऐसा करने से धन हानि बंद हो जाएगी।

4 दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजन के उपरांत घर के सभी कमरों में शंख और डमरु बजाना चाहिए। ऐसा करने से अलक्ष्मी या दरिद्रता घर से बाहर निकलती है।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.