उत्तर-पश्चिम बढ़ने के दुष्परिणाम

उत्तर-पश्चिम बढ़ने के दुष्परिणाम  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 3814 | सितम्बर 2015

कुछ समय पूर्व पं. जी ने कानपुर के श्री नारायण तिवारी जी के घर का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई मुख्य वास्तु दोष सामने आये। विजय जी का कहना था कि इस घर में आने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति खराब रहने लगी है। पैसों की तंगी हमेशा बनी रहती है। माता पिता की तवीयत अक्सर खराब ही रहती है। घर के अन्य सदस्य भी विभिन्न छोटे-मोटे रोगों से परेशान ही रहते थे। किसी नये कार्य को प्रारम्भ करने पर कार्य बीच में ही रूक जाता था।

नौकरी मिलते-मिलते छूट जाती थी। उनके बड़े भाई के तीन बच्चे हैं और उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। उनके छोटे भाई ने तो स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी तथा बुरी सोहबत अपना ली थी। दिन-रात बाहर घूमता रहता था तथा नशे की लत भी पाल ली थी।

परीक्षण के दौरान कई वास्तु दोष पाये गये:-

1. घर का उत्तर-पश्चिम भाग बढ़ा हुआ था। इस भाग के बढ़ने से मानसिक तनाव, तरक्की में रूकावटें तथा जिन्दगी अस्थिर रहती है और कोई नया कार्य शुरू होने से पहले ही बाधाएं आ जाती हंै।

2. ठाकुर साहब के घर में वायव्य कोण में (उत्तर-पश्चिम) पानी का टैंक तथा दक्षिण में मुख्य द्वार होने से घर में बीमारी तथा अनावश्यक खर्चे बढ़ रहे थे।

3. कोई भी भूमिगत जल स्रोत उत्तर-पश्चिम एवं दक्षिण में होने से अनचाहे दुश्मन बन जाते हंै, घर में चोरी होने का डर रहता है और मानसिक तनाव रहता है। दक्षिण में हैंडपंप होने से घर में लड़ाई-झगड़े, बीमारियाँ बढ़ जाती हैं।

4. घर का ब्रह्मस्थान अन्य स्थान से नीचा था जो एक प्रमुख वास्तु दोष है। बह्मस्थल के नीचे होने से घर में एक के बाद एक परेशानियाँ आ जाती हैं।

5. दक्षिण से प्लाॅट की तरफ एक सड़क आ रही थी। अगर दक्षिण से आपके प्लाॅट की तरफ सड़क टक्कर पर आ रही हो तो घर की महिलाएँ अधिकतर अस्वस्थ रहती हैं।

6. उत्तर में टूटे हुए मकान का मलवा होने से घर में पैसों की तंगी, घर के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब होता है और मान-सम्मान की हानि होती है।

इन सभी दोषों का परीक्षण करने के पश्चात् पंडित जी ने निम्नलिखित उपाय बताएः-

1. घर का पश्चिम/दक्षिण-पश्चिम के कटे कोने पर परगोला डालकर मकान को आयताकार करवाया गया।

2. दक्षिण के मुख्य द्वार पर पिरामिड एवं चांदी की पट्टी जमीन में गड़वाई गई जिससे उसकी नकारात्मक ऊर्जा को खत्म किया जा सके।

3. उत्तर-पश्चिम से भूमिगत जल स्राोत को हटाकर उत्तर-पूर्व में पशुओं के छज्जे के पास किया गया। दक्षिण-पूर्व के हैंडपंप को भी उत्तर-पूर्व में ले जाया गया।

4. घर का ब्रह्मस्थान जो नीचा था उसको अन्य स्थान के बराबर करवाया गया।

5. पशु घर को उत्तर-पश्चिम की ओर ले जाया गया।

6. टक्कर पर आने वाली सड़क का नकारात्मक प्रभाव खत्म करने के लिए घर के उत्तर की दीवार पर काॅन्वेक्स शीशा लगाया गया।

इन सभी उपायों के बाद श्री तिवारी जी का जीवन सुखमय एवं शांतिमय हो गया। उनका व्यापार भी खूब बढ़ा। घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहने लगा और हर प्रकार की कामयाबी मिलने लगी है। उन्होंने पंडित जी का हार्दिक आभार प्रकट किया।

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