नैर्ऋत्य में वृद्धि एवं द्वार के कारण समस्त शुभ गुणों का क्षय

नैर्ऋत्य में वृद्धि एवं द्वार के कारण समस्त शुभ गुणों का क्षय  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 3638 | अकतूबर 2016

कुछ समय पहले टोरंटो कनाडा से श्री विवेक गुप्ता जी ने पंडित जी को एक नया मकान लेने के लिए सम्पर्क किया। वास्तु निरीक्षण के पश्चात संक्षेप में विवरण निम्न लिखित है:

- कार-गैराज उत्तर-पश्चिम(वायव्य कोण) में सर्वोत्तम है, पश्चिम में अच्छा है, परन्तु नैर्ऋत्य दिशा में स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि शटर/द्वार का नैर्ऋत्य कोण में खुलना स्वास्थ्य व धन की हानि करता है, तथा घर के पुरूष वर्ग को घर से बाहर रखता है।

यद्यपि इस क्षेत्र में पीले पेंट, चाँदी की पत्ती तथा पिरामिडों द्वारा, द्वार के अवांछित/ नकारात्मक ऊर्जा के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है, परन्तु इस क्षेत्र की वृद्धि वाँछनीय नहीं है। परन्तु यदि हो सके तो आप स्थानीय अधिकारियों से अनुमति लेकर इस क्षेत्र के दुष्प्रभाव को वायव्य कोण में परगोला बनाकर निरस्त कर सकते हैं।

भूतलः-

- पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार अति उत्तम है।

- दक्षिण दिशा से ऊपर चढ़ रही सीढ़ियाँ श्रेष्ठ हैं परन्तु भूतल में नीचे जाती हुई सीढ़ियाँ अच्छी नहीं हैं। -

आग्नेय क्षेत्र में लकड़ी के डेक के साथ पीछे से नीचे जाती हुई सीढ़ियाँ ठीक हैं।

- वायव्य दिशा में लिविंग रूम उत्तम है।

- उत्तर दिशा का भोजन कक्ष भी उत्तम है।

- लकड़ी के डेक के कारण जो पूर्व का क्षेत्र बढ़ा हुआ है वह अति उत्तम है।

- आग्नेय कोण में स्थित कक्ष लिविंग/टी.वी. रूम के लिये उचित है।

- दक्षिण दिशा में स्थित पुस्तकालय उत्तम स्थिति में है।

- रसोई की स्थिति ईशान कोण में और उत्तर दिशा में अग्नि का होना अवांछनीय है। इसके कारण घर में भारी खर्चा, क्लेश और मानसिक अशांति बनी रहती है।

- अगर पैंट्री में अधिक आग का कार्य नहीं होता है तो यह स्थिति चल सकती है।

- दक्षिण दिशा में नीचा होने के कारण छतरी, रेनकोट, जूते रखने का छोटा स्थान (सनकन मड) घर में बीमारी दे सकता है।

- पश्चिम में पाउडर कक्ष भी उत्तम स्थिति में है।

प्रथम तलः-

- मुख्य शयन कक्ष ईशान कोण में कदापि भी मान्य नहीं है क्योंकि यह पूजा/घर के मंदिर का स्थान है। यह क्षेत्र रसोई के ऊपर भी है। इसके कारण घर में अचानक लम्बी चलने वाली बीमारियाँ एवं क्लेश उत्पन्न हो सकते हैं। परन्तु इस कक्ष को घर के बच्चों या बुजुर्ग दंपत्ति के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं।

- दक्षिण दिशा में स्टडी रूम उत्तम है।

- अन्य सभी शयनकक्ष :

(1) उत्तर कोण,

(2) वायव्य कोण,

(3) नैर्ऋत्य कोण में उत्तम स्थिति में हैं।

- नैर्ऋत्य कोण का हिस्सा कटा होना आपके स्थायित्व में कमी और मुकदमेबाजी का कारण बन सकता है।

- आपका एक टाॅयलेट नैर्ऋत्य कोण में आ रहा है जिसके कारण बेकार के खर्चे में वृद्धि होगी। परन्तु इसके दुष्प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है, यदि टाॅयलेट के स्थान पर ड्रेसिंग रूम और ड्रेसिंग रूम के कमरे के स्थान पर टाॅयलेट कर दिया जाय।

यदि वाॅल माउंटेड सीट ;ूंसस उवनदजमक ेमंजद्ध लगा दी जाय तब भी दुष्प्रभाव कम हो जाता है। समुद्री नमक, पीले पेंट अथवा पिरामिड के प्रयोग के द्वारा भी इस दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

- बाकी सभी टाॅयलेट बढ़िया स्थिति में हैं।

- लाॅन्ड्री भी सही है।

- पोर्च का पश्चिम हिस्सा बढ़ा हुआ है और वह भी सही है।

निष्कर्ष:- प्रस्तावित घर की कमियाँ व कनाडा मंे बदलाव/सुधार होने में दिक्कतों को देखते हुये अच्छा होगा कि आप कोई अन्य विला ढूंढने का प्रयत्न करें।

प्रश्न:-पंडित जी हमें यह घर बहुत पसन्द है तथा बहुत दिनों से इसे हम खरीदना चाहते हैं। क्या यह विला वास्तु अनुकूल है/हो सकता है। टी. एस. श्रीवर्धना, रतमस्लाना, श्री लंका

उत्तरः- प्रिय श्रीवर्धना, वास्तु में नियमित आकार का प्लाॅट/मकान ही उत्तम माना गया है। यदि आप इस घर के दक्षिण दिशा के कटे हिस्से को परगोला बना कर ठीक कर सकते हैं, तथा उत्तर-पश्चिमी(वायव्य कोण) भाग के बढ़ने का प्रभाव अपने साथ किसी परिवार की स्त्री (अपनी पत्नी/माँ) के संयुक्त नाम से लेकर कम कर सकते हैं, तो हम इसे लेने का सुझाव दे सकते हैं। फिर भी उत्तर की सीढ़ियां आपको धन संबंधी रूकावट देती रहेंगी। अच्छा है आप कोई अन्य विकल्प तलाशें।

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