पिरामिड द्वारा वास्तु दोष निवारण

पिरामिड द्वारा वास्तु दोष निवारण  

पं. जय प्रकाश शर्मा
व्यूस : 18916 | दिसम्बर 2010

पिरामिड द्वारा वास्तु दोष निवारण डॉ. जयप्रकाद्गा शर्मा (लाल धागे वाले) पिरामिड एक विशेष प्रकार की आकृति का नाम है जिसके मध्य में अग्नि का वास है। अंदर से खोखला होने के कारण शुद्ध वायु को अपने अंदर एकत्रित रखता है, जिससे पिरामिड के नीचे वस्तुएं अधिक समय तक सुरक्षित रहती हैं। किसी दिशा विशेष में दोष होने पर उस दिशा में ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। मनोकामना की पूर्ति एवं तंत्र इत्यादि में धातु व पत्थर के पिरामिड इस्तेमाल किए जाते हैं। किसी भी साधना में ध्यान को एकाग्रचित करने के लिए पिरामिड का प्रयोग किया जाता है।

लोहे, एल्यूमिनियम व प्लास्टिक के पिरामिड पूजा में मान्य नहीं है। तांबा, पीतल, पत्थर एवं पंच धातु के पिरामिड अधिक लाभ देते हैं। लकड़ी के पिरामिड भी काफी प्रभावी रहते हैं। विभिन्न प्रकार के वास्तु दोषों में इनका प्रयोग किया जाता है। पिरामिड के कुछ उपयोग इस प्रकार हैं- दिक्दोष होने पर : यदि भूखंड की भुजाएं मुखय दिशाओं के समानांतर नहीं हों तो ईशान आदि कोण कोणों में नहीं आते। ऐसे विदिशा भूखंड को दिक्दोष वाला भूखंड कहते हैं। इस दोष को समाप्त करने के लिए भूखंड के मध्य में 9, 81 या 729 पिरामिड भूखंड के आकार को मद्दे नजर रखते हुए दबाए जाते हैं। वीथी शूल होने पर : भूखंड के समीप से निकले वाले मार्ग यदि भूखंड पर एक तीर की तरह चूमते हैं तो वीथी शूल कहलाता है।

इस दोष को समाप्त करने के लिए भूखंड की उस दिशा में 9 पिरामिड लगाए जाते हैं जहां पर वीथी शूल हो रहा है। आकृति संबंधी दोष : भवन निर्माण के लिए आयताकार प्लॉट को अति शुभ माना जाता है। भूखंड में आकार संबंधी कोई भी दोष होने पर भूखंड के मध्य में 9, 81 या 729 पिरमिड भूखंड के आकार को मद्दे नजर रखते हुए दबाए जाते हैं। पीछे चित्रित भूखंड में दक्षिण की ओर विस्तार है जो कि अशुभ है इसे दूसरी विधि में दिखाए गए 9 पिरामिडों की सहायता से अलग कर दिया गया है।

निर्माण कार्य इस पिरामिड दीवार तक ही करना चाहिए। यदि पूरे में निर्माण करना हो तो मध्य में पिरामिड दबाए या नीचे तीसरे विधि को अपनाएं। उपरोक्त प्लॉट के विषय में यह भी कहा जा सकता है कि इसका दक्षिण पूर्व व दक्षिण पश्चिम कटा हुआ है इस दोष को उपरोक्त विधि से ठीक किया जा सकता है। इन दो पिरामिड दीवारों से उस क्षेत्र में एनर्जी के फ्लो को बढ़ाकर कटाव संबंधी दोंषों के दुष्परिणाम को कम किया जा सकता है। ढलान संबंधी दोष : उत्तर, पूर्व या ईशान की ओर ढलान न होने पर दोष माना गया है इस दोष को कम करने के लिए एक पिरामिड ईशान में और 9 पिरामिड नैत्य कोण में रखें। उपरोक्त भूखंड में ढलान नैत्य कोण की ओर है अर्थात नैत्य नीचा व हल्का हो गया है, इसे भारी करने के लिए नैत्य में 9 पिरामिड व ईशान में केवल एक पिरामिड रखा गया है।

ब्रह्म स्थान संबंधी दोष : ब्रह्म स्थान नीचा होने पर दोष कहलाता है इस दोष को दूर करने के लिए ब्रह्म स्थान पर 9 या 81 पिरामिड भूखंड के आकार को मद्दे नजर रखते हुए दबाए जाते हैं। दबाने के लिए पत्थर या पीतल के पिरामिड अधिक उपयुक्त रहते हैं। 9 पिरामिड दबाने के लिए 1 फुट लंबा, 1 फुट चौड़ा व 1 फुट गहरा गड्ढा करना चाहिए। पिरामिड की नोक ऊपर की ओर रहनी चाहिए। मुखय द्वार संबंधी दोष : मुखय द्वार अशुभ पदों पर होने की स्थिति में द्वार के तीनों तरफ एक-एक पिरामिड दबाया जा सकता है। अग्नि कोण में जल संग्रह होने पर : इस दोष से अपन ेआपको बचाने के लिए जल संग्रह की दिशा में 9 पिरामिडों से पिरामिड दीवार बनाएं। एक पिरामिड के अन्य उपयोग : धन की तिजोरी के ऊपर पिरामिड रखने से धन की वृद्धि होती है। ईशान कोण में लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठने से पूजा में मन लगता है।

लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठकर पढ़ने व कार्य करने से थकावट नहीं होती व कार्य में मन लगता है। पिरामिड कैप (पगड़ी) पहनने से सिरदर्द में आराम, स्वास्थ्य में सुधार व पढ़ाई में मन लगता है। नैत्य कोण में लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठने या सोने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। मेरु श्री यंत्र (पिरामिड रूपी लक्ष्मी प्राप्ति यंत्र) की पूजा करने से धन की वृद्धि होती है।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.