वायव्य में भूमिगत पानी-सहयोग में कमी एवं सरकारी परेशानी

वायव्य में भूमिगत पानी-सहयोग में कमी एवं सरकारी परेशानी  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 3953 | मार्च 2010

गत जनवरी में जयपुर के एक प्रसिद्ध होटल की मालकिन के होटल की बगल में बन रहे घर का वास्तु परीक्षण किया गया। मालकिन का कहना था कि वह बहुत दिनों से मकान बनाने की कोशिश कर रही थीं, किंतु अप्रत्याशित रूप से कोई न कोई समस्या आती रही है।

होटल अच्छा चल रहा है, और उसके विकास के लिए बैंकट तथा व्यापारिक संगोष्ठी हेतु अतिरिक्त निमार्ण करने का प्रयास काफी समय से चल रहा है। किंतु इस दिशा में कोई न कोई रुकावट आ ही जाती है। वहीं, सरकार से अनापत्ति प्रमाण-पत्र भी नहीं मिल पा रहा था। इस बीच आर्किटेक्ट /डिजाइनर दो बार बदलने पड़े।

वास्तु परीक्षण करने पर निम्नलिखित दोष पाए गए:

1. उत्तर-पश्चिम में दो बोरिंग थीं। यह एक गंभीर दोष है। इसके फलस्वरूप काम करने वालों से सहयोग नहीं मिलता और सरकारी कामों में परेशानियां आती हैं।

2. दक्षिण-पश्चिम में द्वार था। इस स्थान पर द्वार का होना मालिक के मानसिक तनाव, हर काम में देरी एवं अनचाहे खर्चों का कारण होता है।

3. दक्षिण में तरणताल था। इस दिशा में तरणताल का होना आर्थिक समस्याओं एवं स्वास्थ्य हानि का मुख्य कारण होता है।

4. होटल के उत्तर बने कमरे में काफी बड़ा जेनरेटर रखा था। जेनरेटर की इस स्थिति के फलस्वरूप भारी खर्च होता है एवं विचारों में मतभेद रहता है।

5. मकान उत्तर-पूर्व में बन रहा था और दक्षिण-पश्चिम की ओर काफी खुला स्थान था। यह भी काम में विलंब एवं विभिन्न परेशानियों का कारण होता है।

6. होटल एवं बन रहे घर के बीच में लगे तार की जगह तीन फुट की कंक्रीट की दीवार बनाने की सलाह दी गई। दीवार बनने के बाद घर वाले हिस्से के दक्षिण-पश्चिम के द्वार को बंद करने और उस हिस्से में दक्षिण एवं पश्चिम के खुलेपन को कम करने के लिए तीन फुट ऊंची एक और दीवार घर के निकट बनाने की सलाह दी गई और आने जाने के लिए सीढ़ियां बनाने को कहा गया।

सुझाव :

1. दीवार बनाने से एक बोरिंग पश्चिम में आ जाएगी। दूसरी बोरिंग को उत्तर-पूर्व में कराने को कहा गया।

2. दक्षिण-पश्चिम में बने द्वार को बंद करने को कहा गया और आने जाने के लिए होटल वाले प्लाॅट के उत्तर-पश्चिम की तरफ पश्चिम में द्वार बनाने की सलाह दी गई।

3. जेनरेटर को होटल के उत्तर के कमरे से हटाकर खुले में होटल के हिस्से के उत्तर-पश्चिम में में रखने को कहा गया।

4. क्योंकि तरणताल को स्थानांतरित करना काफी कठिन था इसलिए उसे दूसरे चरण में स्थानांतरित करने की सलाह दी गई और भविष्य में उसे पूर्व में बनाने के लिए कहा गया।

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