फ्लैट खरीदने में किन बातों का रखें ध्यान

फ्लैट खरीदने में किन बातों का रखें ध्यान  

जय इंदर मलिक
व्यूस : 5166 | दिसम्बर 2015

- मुख्य द्वार या चारदीवारी का द्वार दिशा के अनुसार शुभ स्थान पर हो। शुभ स्थान पूर्वी ईशान, उत्तरी-ईशान, दक्षिणी-आग्नेय और पश्चिमी-वायव्य है। नैर्ऋत्य कोण के द्वार अशुभ होते हैं।

- मुख्य द्वार के सामने किसी प्रकार का वेध जैसे बिजली का खंभा, पेड़ अथवा मंदिर नहीं होना चाहिये। अशुभ वीथि शूल न हो।

- ईशान कोण में जल की व्यवस्था, पानी की टंकी, बोरिंग हो।

- नैर्ऋत्य कोण में बड़े और ऊंचे पेड़ उत्तम होते हैं।

- आवासीय खंडों में स्विमिंग पूल पश्चिम दिशा और हेल्थ क्लब, जिम, पूर्व दिशा में शुभ है।

- छत पर जल भंडारण की टंकी नैर्ऋत्य कोण में हो किंतु वह न टपके और न ओवरफ्लो करे।

- बिजली के स्विच बोर्ड भूतल के आग्नेय कोण में हों।

- एल स् आकार अथवा सी ब् आकार के फ्लैट शुभ नहीं होते।

- आपके फ्लैट के सामने सीढ़ियां या लिफ्ट नहीं होनी चाहिये।

- फ्लैट की सीढ़ियां नैर्ऋत्य कोण, दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में हों। वैकल्पिक रूप से सीढ़ियां आग्नेय या वायव्य कोण में भी शुभ होती हैं। सीढियां ईशान कोण, पूर्व और उत्तर में न हों।

- ईशान कोण अधिक से अधिक खुला और हवादार हो।

- मुख्य द्वार पूर्वी-ईशान, उत्तरी-ईशान, दक्षिणी-आग्नेय अथवा पश्चिमी वायव्य में शुभ होता है।

- गृहस्वामी का शयनकक्ष नैर्ऋत्य कोण में हो। रसोईघर आग्नेय कोण या वायव्य कोण में हो। उत्तर या पूर्व दिशा में अधिक खुला हो।

- टाॅयलेट एवं स्नानघर फ्लैट के मध्य में न हो।

- रसोईघर ईशानकोण में न हो। अंडरग्राउंड पार्किंग उत्तर या पूर्व दिशा में हो, नैर्ऋत्य कोण में न हो।

- उत्तर एवं पूर्व दिशा की बालकनी वाले फ्लैट सर्वोत्तम होते हैं।

- फ्लैट खरीदते समय विशेष ध्यान रखें कि स्नान घर, शौचालय नैर्ऋत्य कोण अथवा ईशान कोण में न हो।

- मुख्य द्वार के सामने शौचालय न हो।

- मुख्य द्वार सदा अंदर की ओर खुलना चाहिये।

- यदि मुख्य द्वार तंग लाॅबी या गलियारे में खुलता हो तो घुटन से बचने के लिये एक तरफ बड़ा दर्पण लगायें।

- यदि मुख्य द्वार टाॅयलेट के सामने हो तो टाॅयलेट के द्वार को सदैव बंद रखें। टाॅयलेट के द्वार पर दर्पण लगायें।

- सभी कमरों में प्राकृतिक प्रकाश एवं वायु का संचार होना चाहिये।

- पलंग, फर्नीचर आदि बीम के नीचे न रखें। बीम के नीचे न बैठंे, न सोयें और न ही कोई कार्य करें।

- भवन के उत्तर व पूर्व में क्रमशः दक्षिण या पश्चिम की अपेक्षा अधिक खाली स्थान हो।

- पूजाकक्ष ईशान कोण में बनायें। शयन कक्ष में पूजा स्थल न बनायें।

- कमरों में हिंसा, भय, क्रूरता और मृत्यु का आभास उत्पन्न करने वाली तस्वीरें न लगायें।

- पढ़ते समय बच्चों का मुंह उत्तर या पूर्व में होना चाहिये।

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