ब्रह्म स्थान का दोष ब्रह्मा जी का प्रकोप (स्वास्थ्य, वंश व आर्थिक हानि)

ब्रह्म स्थान का दोष ब्रह्मा जी का प्रकोप (स्वास्थ्य, वंश व आर्थिक हानि)  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 23416 | मई 2011

ब्रह्म स्थान का दोष ब्रह्मा जी का प्रकोप (स्वास्थ्य, वंश व आर्थिक हानि) पं. गोपाल शर्मा (बी.ई.) कुछ दिन पूर्व पंडित जी महरौली के निवासी श्री मनोज अग्रवाल जी के यहां वास्तु निरीक्षण के लिये गये। उनसे मिलने पर पता लगा कि वह इस घर में पिछले पच्चीस साल से रह रहे हैं एवं उन्होंने अपने पुराने घर को तोड़कर यह नया घर बनाया है। यह भी बताया गया कि जब से यह नया घर बना है तभी से उनके जीवन में एक के बाद एक समस्या बनी रहती है। उन्होंने अपने तीन पुत्रों को एक-एक करके खोया है। उनकी माताजी काफी समय से बीमार हंै और पिछले एक साल से कैंसर से पीडित हैं।

परिवार मंे लगभग सभी को कोई न कोई बीमारी है। इलाज एवं दवाई पर खर्चों की वजह से वह आर्थिक समस्याओं से घिरते जा रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके रिश्तेदारों एवं पड़ोसियों से भी उनके संबंध अच्छे नहीं है जिससे घर में मानसिक तनाव बना रहता है।

वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष-

1. ब्रह्म स्थान पर सीढियां बनी थी जो कि एक गंभीर वास्तु दोष है जिससे आर्थिक एवं स्वास्थ्य हानि होती है। परिवार बढ़ता नहीं है।

2. ब्रह्मस्थान में ही सीढ़ियों के नीचे भूमिगत जल स्रोत था जिससे घर में गंभीर स्वास्थ्य परेशानियां होती हंै, विशेषतः पेट संबंधी (आप्रेशन तक हो सकते हैं), घर में अनचाहे खर्चे होते रहते हैं अथवा दिवालियापन तक भी हो सकता है। केन्द्र में बनी सीढ़ियों के नीचे शौचालय भी बना था जो कि पारिवारिक उन्नति में बाधक होता है एवं घर की महिलाएं विशेषतः बहन, बुआ तथा बेटी के जीवन में समस्याएं उत्पन्न होने का कारण हो सकता है।

3. घर आयताकार नहीं था, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम का कोना कटा हुआ था। दक्षिण पूर्व का कटना घर की महिलाओं के स्वास्थ्य की हानि, नीरसता एवं उदासी का कारण होता है। उत्तर पश्चिम का कटना दुश्मनी (अपने भी पराए हो जाते हैं) व मानसिक तनाव का कारण होता है। दक्षिण-पश्चिम स्थिर लक्ष्मी का स्थान होता है, इस कोने के कटने से घर में दरिद्रता, अनचाहे खर्चे तथा कलह बना रहता है। घर के मालिक को आर्थिक एवं स्वास्थ्य हानि होती है। घर के दक्षिण-पश्चिम में शौचालय था जिससे पैसा पानी की तरह बहता है।

सुझाव:

1. सीढियों को दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम में बनाने की सलाह दी गई।

2. भूमिगत जल स्रोत को तुरन्त बंद करके गडढे को अच्छे से भरने की सलाह दी गई। अन्डरग्राउन्ड टैंक उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर में बनाने को कहा गया।

3. सीढियों के नीचे बने शौचालय को बंद करके, सीढ़ियों के नीचे के हिस्से को हमेशा खुला रखने की सलाह दी गई।

4. कटे हुए कोनों को परगोला बना कर ठीक करने को कहा गया जिससे उनका घर आयताकार हो सके।

5. दक्षिण-पश्चिम में बने शौचालय को बंद करके उसे स्टोर बनाने की सलाह दी गई। उनसे कहा गया कि उत्तर-पूर्व, दक्षिण -पश्चिम तथा ब्रह्मस्थान को छोड़कर कहीं भी सुविधानुसार शौचालय बनाया जा सकता है।

पंडित जी ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि उनके बताए सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उन्हें अवश्य ही लाभ होगा तथा उनके जीवन में सुख शांति आएगी।

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