अन्ना हजारे आंधी है देश का दूसरा गांधी है

अन्ना हजारे आंधी है देश का दूसरा गांधी है  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 8070 | मई 2011

अन्ना हजारे आंधी है - देश का दूसरा गांधी है फ्यूचर पॉइंट के सौजन्य से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता से पूर्व जिस अभियान का शुभारंभ किया था वह बीच में शिथिल अवश्य पड़ गया था। समय की गति के साथ अन्ना हजारे उस अभियान को आगे बढ़ाने की दिशा में अग्रसर हैं और देश को भ्रष्टाचार के अंधकार को बाहर निकालने के लिए तत्पर हैं। इस सामाजिक कार्यकर्ता की जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों का प्रस्तुत है यहां ज्योतिषीय विश्लेषण। 9 अप्रैल 2011, नई दिल्ली जंतर-मंतर पर जहां हजारों की संखया में देशभर से लोग उपस्थित थे, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी व जाने माने सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे ने, 97 घंटे से अधिक उपवास पर रहने के बाद अपना उपवास खत्म किया और जन लोक पाल पर मिली सरकार की रजामंदी से देश की जनता को एक बड़ी जीत मिली। प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह ने उन्हें आश्वासन भेजा कि सरकार मानसून सत्र में लोकपाल बिल को पास कर देगी। इस पर अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ने के बाद कहा कि अगर लोकपाल बिल मॉनसून सत्र में पास नहीं हुआ तो वे 15 अगस्त को लाल किले पर आंदोलन करेंगे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की मुहिम में देशभर से जबरदस्त समर्थन मिला। जहां बॉलीबुड के अनेक जाने माने सितारे जंतर मंतर पहुंचे और टि्वटर के जरिए लाखों लोग उनकी मुहिम से जुड़े, वहीं स्वामी रामदेव और स्वामी अग्निवेश ने भी अन्ना हजारे की इस मुहिम में खुद को समर्पित कर दिया। जहां एक ओर अन्ना हजारे जंतर मंतर पर हजारों समर्थकों के साथ आमरण अनशन पर बैठे थे, वहीं दूसरी ओर देश भर में जगह-जगह हजारों की संखया में लोग अनशन पर बैठ गये और भारत का युवावर्ग सड़कों पर तथा इंटरनेट के जरिये पूरे जोश के साथ लाखों की संखया में भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन में जुड़ गया और अंत में अन्ना हजारे को जीत मिली। आइये, अब जानें कि अचानक हर व्यक्ति के जेहन में छाए अन्ना हजारे हैं कौन? अन्ना हजारे का वास्तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। 15 जनवरी 1940 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में थे। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। अन्ना का पुश्तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के 6 भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुंबई ले गई। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचने वाले की दुकान में 40 रुपये की पगार पर काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया। छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गये। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई।

यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान उन्होंने बिनोबा, गांधी तथा विवेकानंद जी की पुस्तकों को पढ़ा और उनसे प्रभावित होकर अपनी जिंदगी समाज के उत्थान में समर्पित कर दी। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुंबई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वी.आर.एस. ले लिया और गांव में आकर डट गये। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शखस आत्म निर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं। सन् 2000 में भी महाराष्ट्र में अन्ना हजारे की भूख हड़ताल के बाद ही 'सूचना का अधिकार अधिनियम' लागू किया गया और बाद में इसी के आधार पर केंद्र सरकार ने 'सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 पास किया और 05 अप्रैल 2011 को श्री हजारे ने भ्रष्टाचार के विरोध में पार्लियामेंट में ''लोकपाल बिल'' पास कराने के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ दिया जिसमें उन्हें शीघ्र ही सफलता भी मिली। आइये, अब जानें क्या है लोकपाल बिल? देश में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की मांग करते हुए अन्ना हजारे ने मंगलवार 05.04.2011 को आमरण अनशन शुरु कर दिया।

जंतर-मंतर पर सामाजिक कार्यकर्त्ता हजारे को सपोर्ट करने हजारों लोग जुटे। आईए, जानते हैं जन लोकपाल बिल के बारे में......... इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा। यह संस्था इलेक्शन कमीशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी। किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा। भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा। भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा। अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायत कर्त्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा। लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। लोकपाल/लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा। सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटी करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा। लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी। जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्त्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।

अन्ना हजारे का सही जन्म समय तो मिलना बहुत कठिन था परंतु इंटरनेट से उपलब्ध जन्म तिथि के अनुसार जब हमने सभी लग्नों पर विचार किया और अन्ना जी के जीवन की घटनाओं से मिलान किया तो यही समय उचित प्रतीत होता है। अब हम करेंगे अन्ना हजारे की जन्म पत्री का विश्लेषण- समाज सेवी अन्ना जी के जन्म के समय शनि की महादशा चल रही थी शनि अपनी नीच राशि में केतु के साथ शत्रु राशि में बैठे हैं और लग्न को देख रहे हैं इसलिए शनि की महादशा में इन्हें धन की कमी रही। पंचम पर भी दृष्टि होने से पढ़ाई में भी रुकावट आई और उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके। शनि पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि भी नहीं है इसलिए शनि की दशा में विशेष लाभ प्राप्त नहीं हुआ। बचपन में धन की कमी रही, शारीरिक रूप से निर्वल रहे और पढ़ाई में व्यवधान आए तथा शनि की पिता के कारक ग्रह सूर्य पर दृष्टि के कारण पिता से भी बचपन में ही दूर हो गये। पंचम भाव में शनि से दृष्ट राहु, मंगल से भी दृष्ट है और पंचमेश शुक्र को भी राहु देख रहे हैं अर्थात् पंचम भाव प्रतिकूल ग्रहों की दृष्टि के कारण काफी कमजोर है और अन्ना जी की शिक्षा पूरी न होने का एक बड़ा कारण है। चौदह वर्ष पश्चात बुध की दशा आई। 1954 से 1970 तक बुध की दशा चली। लग्नेश और चतुर्थेश बुध (नपुंसक ग्रह) सप्तम भाव में अस्त होकर बैठे हैं और सप्तमेश और दशमेश गुरु को भी केंद्राधिपति दोष होने के कारण विवाह नहीं हुआ और आजन्म अविवाहित रहने का फैसला किया। पिता के कारक ग्रह सूर्य अष्टम भाव में बैठकर शनि से दृष्ट हैं। शायद इसलिए बचपन से ही पिता से दूर मुंबई चले गये और अपनी बुआ के पास रहे।

योग कारक ग्रह शुक्र भाग्य स्थान में बलवान होकर बैठे हैं और सप्तम दृष्टि से तृतीय भाव को देख रहे हैं जिसस कि इन्हें जनता का अत्यधिक सपोर्ट मिला। अष्टमेश और नवमेश शनि एकादश में अपनी नीच राशि में बैठकर शुभ फल प्रदान कर रहे हैं और दशम दृष्टि से अष्टम भाव को देखकर लंबी आयु भी प्रदान कर रहे हैं। अन्ना जी की कुंडली में हंस नाम पंच महापुरुष योग बन रहा है जिसके कारण इनके जीवन में सादगी, उच्च विचार, ईमानदारी व दीर्घ आयु के गुण विद्यमान हैं। दशम स्थान में मंगल होने से इनकी कुंडली में कुलदीपक योग भी बन रहा है जिसके फलस्वरूप अधिक पढ़ाई न करने पर भी आर्मी में नौकरी की और अपने परिवार में एक विशेष प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त किया और आज अपने कार्यों से भ्रष्टाचार रूपी अंधकार में दीपक जैसा कार्य कर रहे हैं। इनकी कुंडली में दशम स्थान में तीन ग्रहों मंगल, चंद्रमा, गुरु के योग से एक प्रबल राजयोग जैसा योग बन रहा है और इन सभी ग्रहों की दृष्टि चतुर्थ भाव पर होने से इन्हें जनता का अत्यधिक प्यार मिला और उनके सहयोग से ही अन्ना जी लोकपाल बिल पर सरकार की सहमति लेने में समर्थ हुए। जीवन में दूसरों के लिए कुछ करने का जज्बा और आम जनता की लोक प्रियता हासिल करने के लिए गुरु और शुक्र का बली होना अत्यंत आवश्यक है। अन्ना जी की कुंडली में सौम्य ग्रह शुक्र, गुरु और बुध केंद्र और त्रिकोण स्थान में बैठने से इन्हें यश, कीर्ति, नाम व जनता का भरपूर प्यार मिला और बिना किसी पद पर आसीन हुए, बिना किसी स्वार्थ के एक गरिमामई पॉजीशन मिली।

चंद्र लग्न से कुंडली का विवेचन करें तो चंद्र लग्न से पंचमेश चंद्र दशम, केंद्र में, भाग्येश मंगल व लग्नेश कर्मेश गुरु के साथ बैठे हैं और इनके यश प्रसिद्धि व कीर्ति में सहयोग दे रहे हैं। अन्ना जी के जीवन में शुक्र की महादशा 1978 से 1998 तक चली और चूंकि शुक्र योग कारक होकर भाग्य स्थान में बैठें हैं साथ ही अपनी राशि तुला से पंचम त्रिकोणेश होकर नवम त्रिकोण में तथा अपनी वृष राशि से दशम केंद्र में बैठे हैं। इसलिए अपनी दशा में शुक्र ने इन्हें सरकार से बार-बार सम्मानित करवाया। अन्ना जी 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी द्वारा इंदिरा प्रिय दर्शिनी वृक्ष मित्र अवार्ड से, 1989 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि भूषण अवार्ड से, 1990 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, एवं 1992 में पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किये गये। सूर्य अष्टम में बैठे हैं इसलिए सूर्य की दशा सामान्य रही। अब चंद्र दशा 2004 से शुरु हुई है और इसमें भी 2008 में इन्हें वर्ल्ड बैंक ने जीव गिल मैमोरियल अवार्ड से नवाजा क्योंकि इन्होंने अपने गांव को एक माडल गांव की तरह विकसित किया तथा सूचना का अधिकार अधिनियम, पास करवाया। चंद्र की दशा 2014 तक चलेगी और दशम भाव में स्थित चंद्रमा की दशा अन्ना जी को और लोकप्रियता दिलवाएगी और अन्ना जी आम जनता के सहयोग से देश को भ्रष्टाचार जैसे कीड़े से मुक्त करवाने में अवश्य सफल होंगे। चंद्र की दशा के बाद मंगल की दशा भी अन्ना जी के लिए अत्यंत शुभ होगी और अन्ना जी को देश में कोई सर्वोच्च गरिमामय पद भी प्राप्त करवा सकती है तथा अन्ना जी का नाम भारत के इतिहास में हमेशा याद किया जाता रहेगा।



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