व्यावसायिक वास्तु दोष एवं उपाय

व्यावसायिक वास्तु दोष एवं उपाय  

विनय गर्ग
व्यूस : 3967 | दिसम्बर 2016

प्रश्न: उत्तर/पूर्व भारी हो/ ऊंचा हो कच्चा माल या भारी मशीन लगी हो।

उत्तर: उत्तर/पूर्व को दक्षिण और पश्चिम दिशा से नीचा होना चाहिए, हल्का होना चाहिये, ज्यादा से ज्यादा खुला होना चाहिये तथा वहां हल्का फ ुल्का सामान रखा जाना चाहिय े अन्यथा मालिक की आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी, स्वास्थ्य ठीक नहीं रह ेगा तथा मालिक पर कर्ज की स्थिति बन जाती है। यदि उत्तर/पूर्व, पश्चिम या दक्षिण की दिशा से ऊंचा हो तो पिरामिड के द्वारा ऊर्जा के स्तर को विपरीत दिशा में परिवर्तित किया जा सकता है।

सामान्यतः ऊर्जा का प्रवाह अधिक से कम की ओर होता है। अतः ऊर्जा प्रवाह को सुचारू रूप से उत्तर से दक्षिण या पूर्व या पश्चिम की ओर करने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में 9 ग 9 = 81 पिरामिडों का समूह लगाना चाहिये तथा इसके सामने दक्षिण/ पश्चिम दिशा में 3 ग 3 = 9 पिरामिडांे का समूह लगाना चाहिए।

यदि उत्तर/पूर्व ऊंचा या भारी हो तो इसके विपरीत दिशा में तिकोना लाल रंग का झंडा दीवार पर इतना ऊंचा लगायें कि उत्तर/पूर्व की दिशा से भी ऊंचा हो जाये। अगर उत्तर/पूर्व भारी हो तो दक्षिण/ पश्चिम दिशा में कोई और अधिक भारी मशीन लगायें तो यह दोष समाप्त किया जा सकता है।

प्रश्न: मशीन की प्रोसेस फ्लो दिशा विपरीत दिशा में हो।

उत्तर: प्रोसेस फ्लो दिशा सामान्यतः उत्तर से दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर होती है। यदि प्रोसेस फ्लो दिशा इसके विपरीत हो तो दीवार पर दर्पण लगायें मशीन के सिरहाने की तरफ जिससे दर्पण में मशीन के प्रोसेस फ्लो की दिशा सही दिशा में दिखायी देगी।साथ ही मशीन को इस तरह से लगा दें कि मशीन पर काम करने वाले व्यक्ति का मुंह पूर्व या उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर हो।

प्रश्न: यदि व्यवसाय स्थल सैंडविच हो जाये।

उत्तर: व्यवसाय स्थल सैंडविच होने से तात्पर्य यह है कि यदि व्यावसायिक स्थल के दोनों ओर ऊंची बिल्डिंग या बड़ी बिल्डिंग बनी हो और बीच में छोटी या नीची बिल्डिंग बनी हो तो व्यावसायिक स्थल में काम करने वालों का आर्थिक विकास रूक जाता है, प्रगति के मार्ग में बाधायें आती हैं। यदि ऐसा दोष हो तो बिल्डिंग के दोनों ओर 1-1 फीट की दूरी पर पिरामिड जमीन में नींव के पास लगाने चाहिए जिससे कि बराबर वाली बिल्डिंग का नकारात्मक प्रभाव अपनी बिल्डिंग पर न पड़े।

साथ ही प्रत्येक पिरामिड के आधार से गुजरता हुआ तांबे का तार भी लगाना चाहिये, जिससे कि सभी पिरामिड की ऊर्जा एक दूसरे से संलग्न हो सके। इसके अतिरिक्त और अधिक प्रभावशाली उपाय करने हेतु पिरामिड के नीचे नवरत्नों को भी स्थापित किया जा सकता है। इस प्रकार उपाय कर देने से पूर्ण रूप से दोष समाप्त हो जायेगा।

प्रश्न: उत्तर-पूर्व में सीढ़ी हो ?

उत्तर: सीढ़ियां बिल्डिंग का सबसे भारी भाग माना जाता ह ै आ ैर उत्तर-प ूर्व भारी हा ेना ग ंभीर वास्तु दोष है। यदि ईशान में सीढ़ियां होंगी तो बच्चों की शिक्षा में बाधा तथा पारिवारिक आय स्रोत में कमी होगी। अतः इस दोष को दूर करने के लिये सीढ़ी की साथ की दीवार पर बृहस्पति यंत्र लगायें तथा सीढ़ियों के प्रथम तीन सोपानों पर सीढ़ियों के चढ़ाव पर 3-3 पिरामिड लगायें तथा सीढ़ी के नीचे आधार स्थल पर 3 ग 3 पिरामिडों का समूह कुल 9 पिरामिड लगायें। इस प्रकार ईशान की सीढ़ियों के दोष को दूर किया जा सकता है।

प्रश्न: स्टोर रूम उत्तर-पूर्व में हो ?

उत्तर: स्टोर रूम का वास्तु सम्मत स्थान दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य कोण) में होता है। ईशान कोण में स्टोर रूम होने से ईशान कोण भारी व घिरा हुआ हो जाता है। इस प्रकार वास्तु संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कारोबार में असंतुलन व अफरातफरी का महौल बन जाता ह ै। मालिक क े निर्ण य गलत होने लगते हैं और मालिक या तो कर्जदार हो जाता है या आमदनी कम और खर्च ज्यादा हो जाता है। स्टोर रूम की दीवार की जड़ में चारों तरफ 1-1 फीट की दूरी पर पिरामिड लगाये ं।

स्टोर रूम की दीवार पर बृहस्पति यंत्र लगायें तथा दरवाजे पर दर्पण लगायें।

प्रश्न: बाॅस का कमरा उत्तर-पश्चिम में हो ?

उत्तर: बाॅस के कमरे की स्थिति दक्षिण-पश्चिम कोने अर्थात नैर्ऋत्य कोण में होना चाहिये अन्यथा मालिक का अपनी सीट पर मन नहीं लगता है, मन चंचल रहता है, अस्थिरता के कारण इधर-उधर अनावश्यक रूप से घूमता रहता है तथा व्यवसाय की प्रगति बाधित होती है।

ऐसी स्थिति में बाॅस को अपना कमरा परिवर्तित कर लेना चाहिए या कमरे के अंदर अपनी सीट के पीछे पहाड़ों का चित्र लगाना चाहिये। साथ ही कमरे के अंदर रोज़ क्वार्ट्ज स्थापित करना चाहिए तथा बाॅस को कमरे में अपने बैठने का स्थान दक्षिण-पश्चिम में ही रखना चाहिये तथा मुंह पूर्व या उत्तर की ओर करके बैठना चाहिये।

प्रश्न: फैक्ट्री का अवशेष या खराब पदार्थों का स्टोर उत्तर, पूर्व या ईशान कोण में होना ?

उत्तर: उत्तर दिशा लक्ष्मी के खजांची कुबेर जी का स्थान होता है तथा पूर्व दिशा फैक्ट्री के मान-सम्मान व साख का स्थान होता है तथा ईशान कोण ईश्वर व समृद्धि का स्थान होता है । यदि इन स्थानों पर फैक्ट्री का निरर्थक मैटेरियल होगा तो उस फैक्ट्री या कार्यस्थल की साख मिट्टी में मिल सकती है तथा फैक्ट्री की आर्थिक स्थिति व उन्नति व समृद्धि बुरी तरह प्रभावित होती है। यदि ऐसा हो तो उस स्टोर को शेष फैक्ट्री से अलग करना चाहिए।

इसके लिय े स्टा ेर क े चारा े ं आ ेर उसकी बाउन्ड्री पर 1-1 मीटर की दूरी पर मल्टियर पिरामिड को जमीन में दबायें तथा उनके आधार स्थल पर नवरत्नों को स्थापित करें तथा सभी पिरामिडों को परस्पर संबंधित करने के लिए तांबे के तार को पिरामिड के आधार में लगायें तथा स्टोर की दीवार पर बृहस्पति यंत्र स्थापित करें तथा स्टोर रूम के मुख्य द्वार पर दर्पण लगायें।

प्रश्न: गोमुखी कार्यालय है ?

उत्तर: व्यावसायिक कार्य के लिये शेरमुखी प्लाॅट शुभ होता है और घर के लिये गोमुखी प्लाॅट का होना शुभ होता है, इसके विपरीत होना अशुभ होता है। गोमुखी प्लाॅट का तात्पर्य यह है कि प्लाॅट सड़क की ओर कम चैड़ा हो और भीतर की ओर अधिक चा ैड ़ा हा े, जबकि श ेर-म ुखी प्लाॅट इसके विपरीत होता है। यदि व्यावसायिक स्थल शेरमुखी की जगह गोमुखी हो तो जिस दिशा में प्लाॅट का मुख होता है उसी चैड़ाई के बराबर की जमीन पर ही निर्माण करना चाहिए उतने स्थान को पिरामिड की स्थापना फर्श म े ं करक े काटा जा सकता है।

इस प्रकार उस कटे हुए स्थान पर कोई महत्वपूर्ण कार्य न करके पार्किंग, बेकार मैटेरियल का स्टोरेज या शौचालय आदि बनाकर प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि प्लाॅट के दोनों ओर सड़क हो तो पिछली सड़क की ओर फैक्ट्री का मुख्य द्वार बनाकर उस स्थल को गोमुखी से शेरमुखी में परिवर्तित करके लाभ कमाया जा सकता है।

प्रश्न: यदि प्लाॅट के ब्रह्म स्थान में या दक्षिण-पश्चिम में बेसमेंट हो ?

उत्तर: ब्रह्म स्थान का बेसमेंट या दक्षिण-पश्चिम का ब ेसम े ंट, फ ैक्ट्री मालिक का े अकस्मात म ृत्य ु तथा दिवालियापन द ेता ह ै। यदि ए ेसी फैक्ट्री हो तो यदि संभव हो सके तो उसको बंद करवा देना ही उपाय है।

यदि संभव न हो तो उस स्थान पर भूमि तल पर बेसमेंट की बाउन्ड्री पर ऊपर लाल रंग का पेंट करवा देना चाहिये तथा बेसमेंट का अधिक से अधिक भाग हमेशा भरा रखना चाहिए, इसे साथ ही ब्रह्म स्थान व नैर्ऋत्य दिशा म े ं ब ेसम े ंट का फर्श थोड़ा ऊँचा कम से कम (6’’ से 1 फुट के बीच) उठा देना चाहिये। यदि संभव हो तो दक्षिण-पश्चिम में भारी मशीन या गोदाम भरकर भारी कर देना चाहिए।

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