किसकी होगी दिल्ली ?

किसकी होगी दिल्ली ?  

आर. के. शर्मा
व्यूस : 6618 | फ़रवरी 2015

टोने: तांत्रिक भाषा में ‘टोने’ का अभिप्राय होता है, किसी कार्य सिद्धि के लिए किया जाने वाला ‘तांत्रिक-अनुष्ठान’। इस अनुष्ठान या टोने के दो प्रकार होते हैं। (एक) सात्विक, जिसमें हम सामान्य-जीवन में आने वाली परेशानियों के लिए घर में ही करते हैं। इसमें प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सामान्य होती हैं। यह ‘टोना’ घरों में ही किया जाता है। (दूसरा) ‘तामसिक-अनुष्ठान’ या टोना- जो केवल श्मशान में, एकांत में, अर्धरात्रि आदि में किया जाता है। इसमें पशु-पक्षी-शराब आदि की बलि या भोग की अनुमति है। इस तांत्रिक अनुष्ठान के 6 प्रकार होते हैं जिन्हें ‘तंत्र भाषा’ में ‘षट्कर्म’ कहा जाता है।

1. शांति कर्म -स्वकल्याण, शांति, धन, सुख, रोग निवारण, दरिद्रता आदि हेतु।

2. वश्य (वशीकरण) - किसी को अपने ‘वश’ में किये जाने हेतु।

3. स्तम्भन कर्म - मानव, पशु, शत्रु, वर्षा, जल प्रवाह आदि द्वारा होने वाले नुकसान के लिये इनको स्तंभित (रोकना) किया जाता है।

4. विद्वेषण कर्म - दो व्यक्तियों या अपने लिये नुकसान पहुंचाने वाले दो व्यक्तियों के बीच विद्वेष (बैर) अर्थात् फूट डालने के लिये।

5. उच्चाटन कर्म - किसी व्यक्ति को किसी स्थान से हटाने-भगाने के लिए उसके मन को उचाट करने के लिए जैसे किरायेदार आपके घर या दुकान आदि को नहीं छोड़ रहा है।

6. मारण कर्म: यह तंत्र (टोना) का सबसे निष्कृट-कर्म है। यह कर्म शत्रु को जान से मारने के लिए होता है। इस कर्म में मूठ, चैकी बिठाना तथा कृत्या छोड़कर मारना होता है।

टोटके तांत्रिक-भाषा में किसी अप्रिय अथवा हानिकारक कार्य को अपने पक्ष में करने (लाभ हेतु) के लिए शास्त्रों द्वारा निर्धारित सुरक्षित और सामान्य-सरल क्रिया को ‘टोटके’ कहा जाता है। आज व्यस्त समय में कोई कार्य सिद्धि हेतु ‘लंबी प्रक्रिया’ नहीं कर पाता है। अतः टोटके अर्थात् उपाय ही मानव के लिये सर्वथा उपयोगी कहे जा सकते हैं। इन टोटकों में समय-धन-भय का कोई स्थान नहीं है। इसे सामान्य ढंग से बिना धन के किया जा सकता है। शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां मनुष्य अपनी परेशानियों के निराकरण हेतु इन्हें नहीं अपनाता हो। टोटके किसी न किसी रूप में प्राचीन काल से ही व्यक्ति के साथ जुड़े हुए हैं। प्रत्येक परिवार में घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा ये टोटके-अपने परिवार की भलाई के लिए अपनाये जाते रहे हैं- जैसे - परीक्षा देने जाने से पहले मां अपनी संतान को दही के साथ पेड़े या बर्फी या शक्कर खिलाती है, बाहर जाते समय टोकना नहीं, बिल्ली का रास्ता काटने पर वापस आकर पुनः जाना, शनिवार को पीपल पर दीप जलाना-जल चढ़ाना, नियमित रूप से कुत्ते-गाय को रोटी देना, पक्षियों को दाना खिलाना, चीटियों को आटा डालना आदि। यह अंधविश्वास नहीं है बल्कि अपनी भलाई के लिए किये जाने वाले सामान्य कर्म हैं, जिनसे भला ही होता है, बुरा नहीं।

क्या टोटकों से हानि होती है? यह एक तरह की पूजा, धर्म, आस्था एवं विश्वास की तरह है जिसे करने से लाभ ही होता है, बुरे होने की तो कहीं गुंजाइश ही नहीं है। इसमें प्रत्येक प्राणियों का भला करते और चाहते हुये ही हम अपना भी भला चाहते हैं या निवेदन करते हैं। यह निर्विवाद सत्य है कि दूसरों की भलाई (परोपकार तथा सेवा) से निश्चित ही हमें लाभ मिलेगा। नियमित किये जाने वाले टोटकों (उपायों) में यदि बीच में कोई रूकावट आ जाये तो हानि की कोई चिंता नहीं है। आप पुनः उपायों को शुरू कर सकते हैं। कुछ टोटके प्रतिदिन या निश्चित दिनों के लिये होते हैं। कुछ मन में आये या आवश्यकता पड़े तब, एक ही बार किये जाते हैं। क्या टोटकों की संख्या निर्धारित होती है? ये टोटके अर्थात् उपाय पूर्णतः धार्मिक एवं आस्था, परोपकार व विश्वास पर आधारित होते हैं। इनके दो प्रकार हैं- (एक) कुछ टोटके नियमित रूप से किये जाते हैं तथा (दूसरे) करवाने वाले द्वारा निश्चित संख्या या दिन या विशिष्ट-विधान द्वारा करवाये जाते हैं। कर्म के बीच में मजबूरी में कुछ समय या दिन का अवरोध आ जाने पर पुनः आरंभ कर सकते हैं, परंतु अवरोध ज्यादा लंबा न हो, निर्धारित संख्या या दिन वाले टोटके पूर्ण होने पर ही लाभ दिखाते हैं।

अवरोध आने पर पुनः एक से शुरू करें। टोटका बीच में छोड़ देने पर कोई हानि नहीं होती है परंतु लाभ भी नहीं होता है। लेकिन ‘टोने’ (तांत्रिक अनुष्ठानों) में नुकसान अवश्य ही है। टोटका कौन कर सकता है? टोटके करने वाला किसी भी उम्र का हो सकता है, बालक-जवान या वृद्ध परंतु उसको विधान और नियम का ज्ञान अवश्य होना चाहिये। बच्चों को नजर लगने पर टोटके से नजर उतारी जाती है। ये टोटके (उपाय) सत्कर्म की ही श्रेणी में आते हैं। टोटका (उपाय) कब आरंभ करें? कोई भी टोटका किसी शुक्ल पक्ष के दिन या टोटके के प्रतिनिधि दिन (वार) से आरंभ कर सकते हैं। उदाहरण के लिये- धन प्राप्ति के लिये- शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से, शनि देव का शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से, यदि आप शीघ्र व अधिक लाभ चाहते हैं तो अपने नाम राशि से, चंद्रमा 4-8 या 12वें स्थान पर न हों व रिक्ता तिथि, चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी न हो, घर में सूतक अथवा मृत्यु या जन्म का अशौच न हो। इनका ध्यान रखकर टोटके करें तो उनके निष्फल जाने की संभावना नहीं है। लेकिन आपको उस टोटके पर पूर्ण विश्वास, विधिकर ज्ञान अवश्य होना चाहिये (आचार्य वराहमिहिर की समय-वार-मास आदि की सूची स्थानाभाव से देना, यहां संभव नहीं है)।

परंतु अभिजीत मुहूर्त का ध्यान रखने से चंद्र बल, नक्षत्र, तिथि, योग, करण आदि देखने की जरूरत ही नहीं है। ‘अभिजीत मुहूर्त’ प्रत्येक दिन 11.36 से 12.24 (दिन में) होता है, अतः इस समय के मध्य शुक्ल पक्ष में प्रारंभ कर सकते हैं। अवरोधित उपाय क्या हैं? हमें कोई उपाय नियमित 11 दिन करना है, यदि आप 4 दिन उपाय/ टोटका कर चुके हैं अब बीच में कोई रूकावट आ गयी तो शेष रहे 7 दिन के टोटके। अतः ये 4 दिन के उपाय ‘अवरोधित-उपाय/टोटके’ कहलायेंगे। पुनः आपको एक नंबर से ही गिनती शुरू करनी होगी। इन 4 दिन के अवरोधित उपायों का आपको कोई फल नहीं मिलेगा। परंतु स्त्रियों के लिए 5 दिन की माहवारी को ‘अवरोध’ नहीं माना जाता है। ध्यान रहे कि संख्या पूरी करने में कई बार अवरोध आते हैं, तो उसको छोड़ दें कारण-ईश्वरीय-शक्ति ही व्यवधान डाल रही है। क्या टोटके हमेशा किये जा सकते हैं? दोनों ही प्रकार के टोटके अर्थात् समय-सीमा वाले और नियमित-इनसे यदि आपको लाभ मिल रहा है तो नियमित रूप से करते रहें। इससे आपको अधिक तथा स्थायी लाभ होगा।

संक्षेप में नियम: टोटकों को गुप्त रखें तभी वह प्रभावी होगा। शरीर, स्थान, मन और सामग्री की शुद्धता का ध्यान रखें। आपको टोटके के फल पर पूर्ण विश्वास हो, मानसिक रूप से एकाग्रता हो और कोई बुरे विचार न हों, एक बार में एक ही टोटका करें अधिक नहीं, टोटका करवाने वाला स्वयं ही आपको टोटके से पूर्व की तैयारी करा देगा, उन बातों को यहां लिखना आवश्यक नहीं है, टोटका सफल होने पर गरीबों को भोजन, वस्त्र, सार्वजनिक कार्य या प्रसाद आदि चढ़ाने का वचन अवश्य दें, अधिक सामथ्र्य न होने पर केवल 11 रुपये का प्रसाद अवश्य चढ़ा दें तथा भूल-चूक की क्षमा अवश्य मांग लें, समाप्ति वाले दिन धूप-दीप-पूजा अवश्य करें- घर या मंदिर में, इष्ट देव-गुरु को धन्यवाद दें, जो संकल्प या वचन लिया था उसे अवश्य पूरा करें, टोटका गुप्त ही रखें, कुछ टोटके घर में तथा कुछ कहीं भी किये जा सकते हैं अर्थात् घर से बाहर परंतु लक्ष्मी टोटके केवल अपने घर में ही किये जायें, टोटके करने घर से बाहर निकलने या वापस आते समय मौन ही रहें, पीछे मुड़कर न देखें और न ही बोलें चाहे कोई कितना ही पुकारे, यदि कोई घर से कुछ कदम निकलते ही पूछे या टोके तो घर वापस आकर पुनः हाथ-पैर धोकर वापस जायें। टोटके निरापद ही होते हैं उनका लाभ मिले न मिले परंतु हानि की संभावना भी नहीं होती है।



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