अध्यात्म, धर्म आदि


ज्योतिष द्वारा पूर्व तथा अगले जन्म का ज्ञान

पुनर्जन्म के बारे में भारतीय ज्योतिष ग्रन्थ हमारा समुचित मार्गदशन करते है। हमारे ऋषियों और आचार्यो ने अपनी गहन साधना से प्राप्त दिव्य – दृष्टि और ज्ञान द्वारा जन्मकुंडली में ग्रह स्थिति के आधार पर पिछले और अगले जन्म की स्थिति का आ... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

सितम्बर 2007

व्यूस: 21470

पुनर्जन्म के अनुमान

पुनर्जन्म के अनुमान

फ्यूचर समाचार

अवश्यमेव भोक्तव्यं कृत कर्म शुभाशुभम। अर्थात जन्म जन्मांतर में किए हुए कर्मों का विनाश नहीं होता, वे अविनाशी है। क्षीयते कर्म” अर्थात भोग के बिना कर्म का विनाश नहीं हों सकता। हनुमान करने हेतु हम एक प्रमाण लेते है की कम को देखकर अत... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

सितम्बर 2007

व्यूस: 5768

पुनर्जन्म की अवधारणा

पुनर्जन्म की अवधारणा

फ्यूचर समाचार

पुनर्जन्म किसका होता है यह जानने के लिए पहले शरीर में निहित सता को समझना जरुरी है। इसके लिए मुख्य तीन घटकों को समझना आवश्यक है- परमात्मा, आत्मा तथा प्रकृति। भौतिक शरीर में अशरीरी आत्मा वास करती है। और आत्मा के मुख्य घटक मन... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

सितम्बर 2007

व्यूस: 16506

नक्षत्रों से रोग विचार

जन्म कुंडली में छठे भाव से रोगों का विचार किया जाता है। जन्मजात रोगों का विचार अष्टम भाव से किया जाता है। भविष्य में होने वाले रोगों का विचार षष्ठ भाव से किया जाता है। जन्मजात रोग दो तरह के होते है। शारीरिक व् मानसिक। भविष्य में ह... और पढ़ें

स्वास्थ्यअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

सितम्बर 2007

व्यूस: 4493

क्या करें जब रत्न न पहन सकें

इस संसार में व्यक्ति चाहे आमिर हों या गरीब समस्याएं सबके साथ हों सकती है। साथ ही समस्या की गंभीरता भी सामान रूप से हों सकती है। ज्योतिष शास्त्र ने इस विचार को भली भांति समझा है तथा उसके अनुरूप समस्याओं का उपाय भी सुझाया है।... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

अकतूबर 2007

व्यूस: 7327

रत्न एवं रत्नौषाधि द्वारा चिकित्सा

हमारे ऋषि महर्षियों ने रत्नों के प्रभाव का ज्ञान उपलब्ध करा कर मानव जगत का महती कल्याण किया है। उपयुक्त रत्न धारण करने और उनसे निर्मित औषधियों का सेवन करने से मन और शरीर स्वस्थ रहते है रत्न खरीदते समय उनकी गुणवता का ध्यान रखना चाह... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

अकतूबर 2007

व्यूस: 8637

नवरत्नों के गुण एवं पहचान

ज्योतिष के उपायों में रत्नों का प्रभाव सर्वमान्य व महत्वपूर्ण है। जितना महत्वपूर्ण कुंडली उतना ही महत्वपूर्ण रत्न खरीदते समय उसकी गुणवता तथा रंग, आकृति आदि का ध्यान रखना है। अंतत: रत्न की गुणवता प्रयोगशाला में जानी जा सकती है।... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

अकतूबर 2007

व्यूस: 27743

नव रत्नों के उत्पति स्थान

अक्सर एक ही रत्न के भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त होने के कारण उसके रंग, गुण व् आकार में भिन्नता पाई जाती है। नव रत्नों की उत्पति एवं स्थान के बारे में विस्तृत जानकारी निम्न प्रकार है। बर्मा में मिलने वाले माणिक्य श्याम रंग की आभ... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

अकतूबर 2007

व्यूस: 13157

नरक चतुर्दशी व्रत

नरक चतुर्दशी व्रत

फ्यूचर समाचार

कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्द है। इस दिन अरुणोदय से पूर्व प्रत्यूष काल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक के दर्शा नहीं करने पड़ते है। शास्त्रानुसार कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए। फिर भ... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

नवेम्बर 2007

व्यूस: 6183

दीपावली का महत्व

दीपावली का महत्व

फ्यूचर समाचार

दिवाली का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन, हर वर्ष मनाया जाता है। क्योंकि राम रात्री में अयोध्या वापिस आये थे और अमास्या की रात थी, इसलिए अयोध्यावासियों ने पूरे शहर को दीपकों से जगमगा दिया था। दिवाली से दो बातों का गहरा संबंध है – एक... और पढ़ें

घटनाएँअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

नवेम्बर 2007

व्यूस: 24527

दीपावली का महत्व और लक्ष्मी पूजन विधि

दीपावली पूजन के समय गणेश – लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की स्थापना अनिवार्य है. लक्ष्मी जी के दाहिनी और विष्णु जी और बाई और गणेश जी कों रखना चाहिए. समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती, शंख, गोमती चक्र आदि लक्ष्मी के सहोदर भाई है.... और पढ़ें

घटनाएँअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

अकतूबर 2009

व्यूस: 7193

कब और कैसे बनाएं दीपावली

इस वर्ष दीपावली का पुण्य त्यौहार ९ नवंबर शुक्रवार को मनाया जायगा। इस वर्ष शुक्रवार के दिन दीपावली होने के कारण मुहूर्त की दृष्टि से महा लक्ष्मी पूजन बहुत शुभ एवं महत्वपूर्ण होगा। दीपावली के दिन प्रात: काल उठकर स्नानादि नित्य कर्म ... और पढ़ें

घटनाएँअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

नवेम्बर 2007

व्यूस: 5729

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