वास्तु दोष निवारण के उपाय

वास्तु दोष निवारण के उपाय  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 7691 | जून 2016

हम जिस भवन में निवास कर रहे हैं चाहे वे निजी या किराए के हों, निचले तल पर हो अथवा किसी अन्य तल पर, उसके आस-पास के परिसर में बड़ा वृक्षादि हो और किसी भी प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न करने वाला हो तो उसका उपाय करके उसी घर को वास्तु सम्मत बनाया जा सकता है।

उत्तर पश्चिम कोण के दोष को ठीक करने के लिए 

- प्रवेश द्वार उत्तर-पश्चिम कोण से

- मुख्य दरवाजे के दोनों ओर ऊँ, स्वस्तिक एवं त्रिशूल लगाएं। दरवाजे के बाहर पिरामिड लगाएं।

उत्तर-पूर्व कोण के दोष को ठीक करने के लिए

- उत्तर-पूर्व में रसोई घर

- रसोई घर के बाहर के ऊपर या पूर्व की दीवार पर 18’’ ग् 18’’ का समतल दर्पण लगाएं।

- उत्तर-पूर्व कोण में पिरामिड रखें।

उत्तर-पूर्व में टाॅयलेट:

- चीनी मिट्टी के एक कटोरे में समुद्री नमक भरकर रखें तथा हर 15-20 दिन के बाद उसे बदलते रहें। पहले वाले नमक को पानी में बहा दें।

- टाॅयलेट के अंदर एयर फ्रेशनर रखें।

- टाॅयलेट के बाहर की उत्तरी या पूर्वी दीवार में से जो भी बड़ा हो उस पर समतल दर्पण लगाएं।

- दक्षिणी दीवार पर पिरामिड लगायें। उत्तर-पूर्व ओवर हेड टैंक (पानी की टंकी)

- टंकी के ढक्कन को लाल रंग से पेंट कर दें।

- जमीन के अंदर कोने पर कम से कम 4 पिरामिड लगाएं। यदि 9 पिरामिड लगा पायें तो अति उत्तम।

उत्तर पूर्व भाग कटा हुआ

- उत्तरी अथवा पूर्वी दीवार पर बड़ा दर्पण लगाएं।

उत्तर-पूर्व में स्टोर रूम

- स्टोर रूम में कुछ पिरामिड रख दें तथा स्टोर रूम को हमेशा साफ करते रहें।

दक्षिण-पूर्व भाग को ठीक करने के लिए

- दक्षिण-पूर्व अथवा दक्षिण-पश्चिम में मुख्य प्रवेश द्वार होने पर दरवाजे के दोनों ओर ऊँ स्वास्तिक एवं त्रिशूल लगाएं।

- दरवाजे के बाहर पिरामिड लगाएं।

- विंड चाईम लगायें। (5 अथवा 7 शेड वाला)

- दरवाजे के ऊपर पाकुआ मिरर लगाएं।

- यदि हमारे भवन परिसर में अंदर कोई बड़ा पेड़ या वृक्ष है तथा उसकी दिशा दक्षिण नैर्ऋत्य या आग्नेय है तो उसके तल में सायंकाल प्रतिदिन एक आटे का दीपक या अगरबत्ती अवश्य जलाएं।

- उत्तर ईशान या पूर्व में पेड़ अथवा बड़ा विशाल वृक्ष हो तो एक मिट्टी के पात्र में प्रतिदिन स्वच्छ जल भरकर रखें, दूसरे दिन उसमें जो जल शेष बचे उसे उसी पेड़ के तने में डाल दें।

- पश्चिम एवं वायव्य दिशा में स्थित बड़े पेड़ की सूखी शाखा, पत्ते आदि की साफ-सफाई नियमित करते रहें। उसे सदैव अधिकाधिक हरा भरा दिखलाई देना चाहिए।

- घर के आग्नेय कोण में कुआं या टयूबवेल नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर घर की वरिष्ठ महिला और संतान को शारीरिक कष्ट हो सकता है। इससे बचने के लिए कुएं से लगे कमरे में ऊंचाई पर फिटकरी का टुकड़ा रखें।

- घर के वास्तु दोष निवारण हेतु मुख्य द्वार पर लाल रंग का फीता बांधें तथा घर के बाहरी ओर की दीवार के ऊपर पाकुआ दर्पण स्थापित करें।

1. पूर्व दिशा की ओर यदि किसी प्रकार का वास्तु दोष उत्पन्न हो रहा हो तो उस दिशा की दीवार पर सूर्य यंत्र स्थापित करें।

2. पश्चिम दिशा में उत्पन्न वास्तु दोष को कम करने के लिए उस दिशा की दीवार पर शनि यंत्र स्थापित करें।

3. उत्तर दिशा में उत्पन्न वास्तु दोष बुध व कुबेर यंत्र को संयुक्त रूप से स्थापित करने से कम हो जाते हैं।

4. दक्षिण दिशा में उत्पन्न वास्तु दोष को यदि कम करना हो तो उस दिशा की दीवार पर मंगल यंत्र स्थापित करें।

5. ईशान कोण में यदि जल से संबंधित कार्य नहीं किए जा रहे हांे तो उस स्थान पर पीले गिलास या धातु के पात्र में जल भर कर रखें तथा उस कोण की दीवार पर गुरु यंत्र स्थापित करें।

6. आग्नेय कोण पर यदि किसी प्रकार का वास्तु दोष उत्पन्न हो रहा हो तो उस भाग पर सर्वदा लाल बल्ब जलाकर रखें तथा ऊपर दीवार पर शुक्र यंत्र लगाएं।

7. वायव्य कोण में उत्पन्न दोष को कम करने के लिए इस क्षेत्र की दीवार पर चंद्र यंत्र स्थापित करना चाहिए।

8. नैर्ऋत्य कोण में प्रभावित वास्तु दोष को यदि कम करना है तो उस भाग के दीवार पर राहु तथा महामृत्युंजय यंत्र को संयुक्त रूप से स्थापित करें।

9. मुख्य द्वार के वास्तु दोष को कम करने हेतु उस स्थान पर लाल रिबन को बांधें तथा दीवार के ऊपर पाकुआ दर्पण लगाएं।

10. भवन में यदि किसी प्रकार का बीम दोष हो तो बीम के दोनों सिरों पर लकड़ी या बांस की बांसुरी को लटकाएं।

11. भवन में यदि शौचालय वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप न हो तो इस दोष को कम करने के लिए किसी पात्र में नमक रखकर शौचालय के अंदर किसी ऊंची जगह पर रखें तथा शौचालय के बाहरी दीवार पर पाकुआ यंत्र स्थापित करें।

12. घर के द्वार को खोलते समय यदि सामने सीढ़ी हो तो इस दोष को कम करने के लिए द्वार पर व सीढ़ी के बीच पर्दा लटकाएं।

13. पूर्वजों को पूजा स्थान से हटा लें। इसका सर्वोचित स्थान नैर्ऋत्य दिशा में है। ये इसी स्थान पर टिकने से आशीष देते हैं।

संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र: मकान चाहे विशाल हो या साधारण, दुकान हो या कंपनी, धर्मशाला हो या मंदिर हो यहां तक की मोटरगाड़ियों में भी वास्तु निवास होता है।

वास्तु देवता को प्रसन्न एवं संतुष्ट करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं जिनमें संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र सरल एवं उपयोगी उपाय है। संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र को स्थापित करने से वास्तु से संबंधित सभी दोषों का निवारण होता है तथा उस स्थान में सुख समृद्धि का वर्चस्व होता है। संपूर्ण वास्तु दोष निवारक यंत्र को घर, व्यवसाय स्थल, कार्यालय आदि में कहीं भी स्थापित कर सकते हैं।

इस संपूर्ण वास्तु यंत्रों में बारह अन्य महत्वपूर्ण यंत्रों की स्थापना की गई है जिससे ये यंत्र अधिक शक्तिशाली बन गये हैं। इस यंत्र में गायत्री यंत्र से घर के सभी सदस्यों में पवित्र भावना का विकास, महामृत्युंजय यंत्र से दुख बीमारियों से रक्षा, श्री काली यंत्र से अकाल मृत्यु से रक्षा, आत्मविश्वास में वृद्धि, श्री वास्तु महायंत्र से वास्तु दोष निवारण द्वारा घर की सुरक्षा होती है।

श्री केतु यंत्र से घटनाओं का पूर्वाभास, श्री राहु यंत्र से अड़चनें दूर, सामान्य संघर्ष के बाद सफलता, श्री शनि यंत्र से घर, परिवार में यश कीर्ति, धन और ऐश्वर्य की वृद्धि, श्री गजपति यंत्र से विघ्न बाधाओं से रक्षा, उत्तम विद्या बुद्धि, बगलामुखी यंत्र से शत्रुओं के षड्यंत्रों से रक्षा होती है।

बंद पिरामिड का सेट: बंद पिरामिड का सेट दैनिक जीवन में मानसिक शांति और स्फूर्ति का अनुभव कराता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति तनाव मुक्त रहता है, व्यक्ति धैर्य से कार्य करता है, कार्य से संतुष्टि मिलती है तथा व्यक्ति आनंददायक जीवन व्यतीत करता है और शांति का अनुभव करता है। प्रत्येक व्यक्ति को इसे अपने कार्यस्थल और घर में अवश्य रखना चाहिए। यह स्थूल या सूक्ष्म गतिविधियों को संचालित करने वाले स्नायु को ऐसा प्रभावित करता है कि वे चिकित्सा का भी कार्य करते हंै।

वास्तु दोष निवारण कछुआ: वास्तु दोष निवारण कछुआ शारीरिक शक्ति का विकास, धैर्य, धन प्रदान करता है तथा झगड़ा-झंझट व गलती से छुटकारा दिलाता है। वास्तु दोष निवारण कछुआ की पूजा सभी के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। कार्यालय में मन अशांत एवं परेशान रहने पर इसे मेज के ऊपर सामने रखकर लिखने-पढ़ने आदि का कार्य करने से यह अधिक लाभ देता है। वाहन में यात्रा के समय जब सब खिड़कियां दरवाजे बंद होते हैं तो ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवेश कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह वास्तु दोष निवारक कछुआ सामने रखकर यात्रा करने से निरंतर ऊर्जा मिलती है। फलस्वरूप यात्रा में परेशानी की बजाय आनंद और स्फूर्ति का अनुभव होता है।

पारद शंख: पारद शंख के विषय में मान्यता है कि पारद शंख की स्थापना से वास्तु दोषों का निराकरण होता है।घर परिवार में पारद शंख की पूजा करने पर घर के सभी सदस्यों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सीप कछुआ: आज-कल अधिकतर लोग घर के वास्तु को लेकर परेशान रहते हैं क्योंकि घर में वास्तु दोष हो तो घर की समृद्धि नहीं हो पाती है। कलह बीमारियां व लड़ाई-झगड़े आदि में धन का व्यय होता है। सीप कछुए को घर में रखने से घर परिवार में सुख-सौहार्द बढ़ता है। परस्पर ताल-मेल में वृद्धि होती है। परिवार के सदस्यों में परिवार की सुरक्षा की भावना विकसित होती है। इसे अपने व्यवसाय स्थल पर फैक्ट्री, कार्यालय आदि में रखने से कार्य व्यवसाय में वृद्धि होती है और बुरी नजर आदि से बचाव होता है। व्यापार में आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हंै। इसे घर में अथवा व्यवसाय स्थल में रखने से वास्तु दोष की शांति होती है। सीप कछुए को अपने घर में रखने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

सीप कछुआ घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने से घर के वास्तु संबंधी दोष दूर होते हंै। स्फटिक पिरामिड: पिरामिड का उपयोग ऊर्जा वृद्धि के लिए किया जाता है। स्फटिक पिरामिड को वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व दिया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पिरामिड नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का सृजन करता है। वास्तविक रूप से स्फटिक व पिरामिड दोनों ही यह कार्य करते हंै। स्फटिक पिरामिड का नित्य पूजन करने से लक्ष्मी जी शीघ्र प्रसन्न होती हंै तथा घर, व्यावसायिक स्थल में शुभ ऊर्जा का वास बना रहता है तथा सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश होकर वास्तु दोष का निवारण होता है। सुनहरी मछली: सुनहरी मछली फेंगशुई उपाय है।

इससे न केवल घर की सुंदरता में वृद्धि होती है अपितु यह घर के वास्तु दोषों को भी दूर करती है। फेंगशुई के अनुसार इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है तथा सुनहरी मछली घर में रखने से मानसिक शांति मिलती है। फेंग शुई के अनुसार मछली धन को आकर्षित करती है और आने वाली किसी भी आपदा को अपने ऊपर ले लेती है। तीन टांग वाला मेढक: घर में सुख-समृद्धि के लिए तीन टांग वाला मेढ़क दरवाजे के अंदर इस प्रकार लगाना चाहिए की मेढ़क दरवाजे के अंदर आता हुआ दिखाई दे। यह घर के आर्थिक संकट दूर करता है।

पूर्व दिशा में वास्तु दोष का निवारण:

दोष: भवन की पूर्व दिशा का भाग अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊंचा होना।

- भवन के टी. वी. का एन्टीना नैऋर् त्य कोण में लगा लें जिसकी ऊंचाई भवन के पूर्व एवं उत्तरी भाग की दीवारों से अधिक हो। एन्टीना के स्थान पर लोहे का एक पाईप या झंडा भी लगाया जा सकता है।

- भवन के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में ठोस वस्तुएं एवं उत्तर-पूर्व भाग में पीली वस्तुएं रख देनी चाहिए।

दोष: भवन में यदि पूर्वी उत्तरी भाग में बिना कोई रिक्त स्थान छोड़े घर का निर्माण हो गया हो तो-

उपाय: दूसरी मंजिल का निर्माण कराते समय उत्तरी एवं पूर्वी भाग को खाली छोड़ दें और जब तक निर्माण कार्य नहीं होता तब तक के लिए पूर्व एवं उत्तरी भाग का हिस्सा बिना सामान के खाली छोड़ दें।

दोष: मुख्य द्वार यदि आग्नेय में हो तो-

- मुख्य दरवाजे पर गहरे लाल रंग का पेंट करने तथा दरवाजे पर लाल रंग के पर्दे लगाने से इस दोष का निवारण हो जाता है।

- दरवाजे पर बाहर की ओर सूर्य का चित्र लगा दें।

- पूर्व आग्नेय कोण में स्थित दरवाजे को बंद रखें।

ईशान कोण में वास्तु दोष का निवारण:

दोष: ईशानोन्मुख भूखंड की उत्तरी दिशा में ऊंची ईमारत या भवन हो तो

- उत्तर दिशा वाली ऊंची इमारत और भवन के बीच एक मार्ग बना देना चाहिए अर्थात मार्ग के लिए खाली जगह छोड़ दें। इससे ऊंची इमारत के कारण जो वेध उत्पन्न हो रहा है उसके एवं भूखंड के बीच मार्ग बन जाने से वास्तु दोष या वेध दोष का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

- ईशानोन्मुख भूखंड पर पूर्व व उत्तर दिशा के लिए निर्माण का कम से कम प्रयोग करें और इस भाग को हमेशा साफ एवं शुद्ध रखें। इसके साथ ही भूखंड के नैर्ऋत्य कोण में उपयोगी एवं भारी वस्तुओं का ढेर बनाकर रखें।

दोष: ईशान कोण में कूड़ा-कचड़ा आदि का ढेर हो तो

- ईशान कोण पर लगे ढेर को साफ करवाकर उस स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखें।

दोष: ईशान कोण में रसोई घर होना।

- रसोई घर के अंदर गैस चूल्हे को आग्नेय कोण में रख दें और रसोई के ईशान कोण में जल भरकर रखें।

दोष: ईशान कोण में शौचालय हो तो-

- शौचालय का प्रयोग बंद कर दें अथवा शौचालय की बाहरी दीवार पर एक बड़ा आदमकद शीशा लगा दें।

- शौचालय की दीवार पर शिकार करता हुआ शेर का चित्र भी लगायें।

- शौचालय के बाहर ऐसे मिट्टी के पात्र जिन पर कटावदार आलेखन आदि निर्मित हो को रखें।

उत्तरोन्मुखी भूखंड के वास्तु दोष का निवारण:

दोष: भूखंड पर बनाए गये घर का उत्तरी भाग उन्नत होना।

- दक्षिण भाग को ऊंचा करने के लिए टी. वी. का एन्टीना, झंडा या लोहे का राॅड उत्तरी भाग से ऊंचा लगा दें तथा साथ ही घर में भारी सामान दक्षिण दिशा में ही रखें। छत के ऊपर रखी जाने वाली पानी की टंकी को भी दक्षिण दिशा में ही रखें।

दोष: भूखंड की पूर्व दिशा में टीले अथवा ऊंचा मकान हो तो -

- उत्तर दिशा में स्थित इन वेधों एवं भूखंडों के बीच एक सार्वजनिक मार्ग बना दें।

वायव्योन्मुख भूखंड के वास्तु दोष निवारण दोष: यदि इस भूखंड पर बने घर में मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो तथा दक्षिण और पश्चिम दिशा में दरवाजे हों तो-

- वायव्य कोण व आग्नेय कोण में विस्तार की भूमि को अन उपयोगी छोड़ दें। - दक्षिण दरवाजे का प्रयोग तुरंत बंद कर दें।

पश्चिमोन्मुख भूखंड के वास्तु दोष का निवारण दोष: इस भूखंड के पश्चिम दिशा के दरवाजे का मुख नैर्ऋत्य कोण में होने से।

- दरवाजे पर काले रंग का पेंट करवा दंे तथा दरवाजे के समक्ष एक आदमकद आईना इस प्रकार लगवाएं कि प्रवेश करने वाले व्यक्ति को उसका प्रतिबिंब अवश्य दिखाई दे।

नैर्ऋत्योन्मुख भूखंड के वास्तु दोष का निवारण दोष: यदि इस भूखंड में बनाये गये भवन-कक्षांे व बरामदों में ठोस, व भारी वस्तुएं हों, नैर्ऋत्य कोण का नीचा होना।

- इन कमरों के अंदर व बरामदों में ठोस भारी वस्तुएं रखें।

- कक्षों को धोते समय जल को नैर्ऋत्य से ईशान की ओर लाएं एवं पूर्व, उत्तर अथवा ईशान की ओर स्थित दरवाजे से बाहर निकालें।

दोष: नैर्ऋत्य कोण में खिड़की होना

उपाय: इस दिशा में खिड़की को बंद कर उसके ऊपर गहरे हरे रंग का पर्दा डाल देना चाहिए। दक्षिणोन्मुख भूखंड के वास्तु दोष का निवारण दोष: इस भूखंड के सम्मुख भाग में कुआं हो तो-

- कुएं को बंद कर देना चाहिए अथवा कुएं पर मोटी एवं भारी स्लैब डालकर उसे ऊपर से बंद कर देना चाहिए। आग्नेयोन्मुख भूखंड के वास्तु दोष एवं उनके निवारण के उपाय।

दोष: आग्नेय कोण में मुख्य द्वार होने पर - इस दरवाजे को अधिकतर बंद ही रखना चाहिए।

- दरवाजे पर गहरे लाल रंग का पेंट करवा देने से वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।

दोष: इस प्रकार के भूखंड में दक्षिण आग्नेय में गेट होने पर

उपाय: इस दरवाजे को अधिकतर बंद रखें तथा दरवाजे पर काले रंग का पेंट करा देना चाहिए। फेंग शुई का वास्तु दोष निवारण में उपयोग व लाभ: फेंग शुई में पांच तत्व आकृतियां

1. लकड़ी -पूर्व-आयताकार

2. धातु- पश्चिम - गोलाकार, बेलनाकार

3. जल-उत्तर-तरंग

4. अग्नि-दक्षिण तीर की आकृति

5. पृथ्वी-नैर्ऋत्य-वर्गाकार उपर्युक्त पांच तत्वों का उपयोग हमारे चारों तरफ की ‘ची’ ऊर्जा को सकारत्मक बनाकर एक खुशनुमा, स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिये किया जाय, यही फेंगशुई का सिद्धांत है। इसका सामान्य अर्थ-वायु और जल है। यह ‘ताओ’ सिद्धांत पर आधारित है।

पृथ्वी पर एक अदृश्य शक्ति विद्यमान है, जिसका वर्णन आधुनिक विज्ञान में गुरुत्वाकर्षण एवं विद्युत चंुबकीय बलों के रूप में किया जाता है। इस अदृश्य शक्ति के कारण ऊर्जा सदैव सभी जगह काल्पनिक बल रेखाओं के रूप में बहती रहती है। इस ऊर्जा को चीनी भाषा में ‘ची’ कहते हैं। इसके निम्न दो भाग होते हैं।

1. यिन- ऋणात्मक ;.अमद्ध

2. यांग - धनात्मक ये दोनों एक दूसरे की पूरक हैं परंतु विपरीत प्रकृति के बल हैं। प्रत्येक वस्तु के साथ ये दोनों बल जुड़े फेंग शुई वास्तुशास्त्रानुसार किसी भवन या अन्य संरचना को बिना तोड़-फोड़ के प्रकृति के अनुरूप कर सकते हैं।

फेंगशुई वस्तुओं का उपयोग एवं लाभ

- अविवाहित, दांपत्य जीवन में क्लेश: इन समस्याओं को दूर करने हेतु फेंगशुई में

- ‘‘दोहरी खुशी का सांकेतिक चिह्न’’ शयन कक्ष में नैर्ऋत्य दिशा में लगाने से वैवाहिक बाधा दूर होकर जीवन सुखमय, मधुर बनता है। साथ ही यह विवाह बाधा भी दूर करता है। अविवाहितों के कमरे में इस चिह्न के प्रयोग से विवाह शीघ्र होता है।

- अविवाहित कन्या के विवाह के लिये शयनकक्ष के नैर्ऋत्य दिशा में ‘‘पियोनिया’’ पुष्प की तस्वीर लगाने से अच्छे रिश्ते से विवाह की संभावना बढ़ती है।

- अविवाहित युवक के विवाह हेतु शयन कक्ष की नैर्ऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) में एक लव-बर्ड्स, मूर्ति या पोस्टर लगा देने से योग्य कन्या से विवाह की संभावना बढ़ती है।

- नवविवाहितों का वैवाहिक जीवन मधुर करने हेतु भेंट स्वरूप प्राप्त ‘‘मेण्डेरियन डक’ का जोड़ा, जिनकी चोंचें मिली हांे, रखें या खरीद कर रखें। ये कन्या के चयन में भी सहायक होते हैं। ये पिंजरे में बंद हांे तो न खरीदें।

- ‘‘डाॅल्फिन मछलियां’’ अपने जीवनसाथी (वैवाहिक) और व्यवसाय में साझीदार को भेंट देने से वैवाहिक व व्यावसायिक संबंधों में मधुरता एवं सद्भाव की वृद्धि होती है। इसे पूर्व या पश्चिम में रखना शुभ रहता है।

- मिस्टिक नाॅट, लव नाॅट या प्रेम गांठ, जादुई गांठ आदि का न ही कोई आदि है और न ही कोई अंत । बिना छोर वाली होने के कारण यह एक ‘‘रहस्यमयी गांठ’’ कहलाती है। इस प्रतीक का उपयोग करने वालों को कोई जुदा नहीं कर सकता है।

- ‘‘लव एवं रोमांस प्रतीक’’ पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध, विवाह योग्य व्यक्तियों हेतु अच्छा जीवन साथी प्राप्त करने हेतु, घर में पारिवारिक सदस्यों में प्रेम आदि के लिए शयनकक्ष या हाॅल में सुरक्षित स्थान पर लगायें।

- घर या कार्यालय में सामंजस्य, तालमेल , मैत्री, एकमतता हेतु ‘‘हारमोनी रिलेशनशिप प्रतीक’’ लगाना चाहिए।

सामान्य उपाय

- भारतीय हिंदू धर्म, संस्कृति/वैदिक वास्तु में भगवान श्री गणेश का जिस प्रकार सारी विघ्न बाधाओं को दूर करने से उपयोग होता है उसी प्रकार फेंगशुई में भाग्य संबंधी बाधाओं को दूर करने में हाथी की की तस्वीर आदि प्रतीक रूप में पूर्व दिशा में स्थापित करने से समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

- भाग्य बाधा व संतान बाधा दूर करने हेतु मुख्यद्वार के बाहर व अंदर हाथियों का जोड़ा तस्वीर/फोटो के रूप में लगाना चाहिए।

- भाग्य बाधा, लंबी आयु व अच्छे स्वास्थ्य हेतु बांस के पौधे का चित्र लगाना चाहिए।

- सफलता, आर्थिक समृद्धि, खुशहाली, स्वस्थ जीवन, स्थायित्व, समृद्धि आदि फेंगशुई को दूर करने हेतु हंसते हुए बुद्ध/लाफिंग बुद्धा को घर में स्थापित करें। फेंगशुई में इसे श्रीगणेश जी भगवान के स्थान पर परिवर्तित किया गया है।

- अशरीरी बलाओं, चहुंमुखी विकास हेतु मुख द्वार के दोनों ओर 3-4 फुट की ऊंर्चाई पर ‘ऊँ’, स्वस्तिक त्रिशूल के पवित्र प्रतीकों को लगाना चाहिए। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।

- दुर्भाग्य को दूर करने हेतु 9 मछली वाला फिश एक्वेरियम घर में उत्तर दिशा में रखना चाहिए। वायव्य में इसे रखने पर धन में वृद्धि तथा आग्नेय में रखने पर व्यवसाय में वृद्धि होती है। इसे ईशान में रखना भी शुभ माना जाता है।

- अपनी ओर आते हुए जल जहाज की फोटो या प्रतीक को घर या दुकान/कार्यालय में पूर्व, उत्तर या आग्नेय में लगाने से व्यापारिक बाधा दूर करता है तथा सौभाग्य, सफलता व समृद्धि दिलाता है। ध्यान रखें डूबते हुए जहाज/नाव की फोटो/ प्रतीक घर में न लगायें।

- भगवान श्रीकृष्ण का चित्र, हाथ में बांसुरी लिये हुये राधाजी, मोर, गोपियों के साथ रास करते हुए लगाना सकारात्मक ऊर्जा विकसित कर विभिन्न समस्याएं दूर करता है।

- दुर्भाग्य दूर कर सौभाग्य में वृद्धि हेतु घर के वायव्य दिशा में छः छड़ों वाली धातु की पवन घंटी लगानी चाहिए। संतान बाधा दूर करने हेतु सात छड़ों वाली पवन घंटी पश्चिम दिशा में लगायें।

- प्रसिद्धि एवं सौभाग्य में वृद्धि हेतु नाचते हुए मोर बैठक में दाहिनी ओर लगाने पर ऋणात्मक ऊर्जा का ह्रास होकर धनात्मक ‘ची’ ऊर्जा बढ़ने लगती है।

- चीनी देवता लुक-फुक-साऊ जो क्रमशः प्रथम-प्रभुत्व के, द्वितीय मध्यवर्ती, समृद्धि के लंबे वाले व तृतीय-अग्नि, लंबी उम्र के देवता हंै। तीनों मूर्तियों को एक साथ मकान, दुकान, कार्यालय, संस्थान में रखने पर उपरोक्त तीनांे परेशानी दूर होकर शुभ प्रभाव देते हैं।

- धन वृद्धि हेतु मध्य छेद वाले तीन भाग्यशाली सिक्कों को लाल रिबन में पिरोकर मुख्य द्वार के भीतर हैंडिल में बांधना शुभ रहता है। इन्हें तिजोरी, कैश, पर्स या पैसे वाली जेब में भी रख सकते हैं।

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