प्रेम की जीत

प्रेम की जीत  

आभा बंसल
व्यूस : 3846 | जून 2016

यह कहानी है साशा की जिसने जन्म लिया था एक धनाढ्य परिवार में। साशा आरंभ से ही बहुत ही खूबसूरत, जहीन और खेल कूद में भी अव्वल रहती। बचपन से उसके पिता उसे बेटे की तरह प्यार करते, उसकी हर इच्छा को पूरा किया जाता। अपने मारवाड़ी परिवार में उसकी परवरिश बेटों की तरह की गई और पढ़ाई में भी वह बहुत होशियार थी इसीलिए उसने इंजीनियरिंग काॅलेज में प्रवेश लिया। उसके पिता उसे बड़ा इंजीनियर बनाना चाहते थे। साशा अपने काॅलेज में बहुत ही प्रसिद्ध थी। टीचर्स भी उस पर जान छिड़कते थे। वह अपनी काॅलेज की बाॅस्केट बाॅल टीम की कैप्टन थी तथा अन्य खेलों में भी बढ-चढ़ कर हिस्सा लेती थी।

इंजीनियरिंग का तीसरा साल चल रहा था। उसके लिए एक से एक अच्छे घर से रिश्ते आ रहे थे पर उसके पापा अभी साशा की पढ़ाई खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। तभी साशा के काॅलेज में खेलों का टूर्नामेंट हुआ। साशा भी उनमें से काफी गेम्स में हिस्सा ले रही थी। टूर्नामेंट के दौरान उसकी मुलाकात विनीत से हुई जो उसकी तरह अपनी टीम का कैप्टन था और उसका मुकाबला अधिकतर उससे ही होता और वह कई गेम्स विनीत से हार चुकी थी। पहले तो साशा को उस पर बहुत गुस्सा आता था पर धीरे-धीरे वह विनीत की तरफ खींचने लगी। विनीत भी काफी आकर्षक व्यक्तित्व रखता था।

वे दोनों अक्सर मिलने लगे। एक दिन साशा ने विनीत को अपने घर लंच पर बुलाया तो विनीत उसके घर की आन-बान और शान देखकर भांैचक्का रह गया। उसके घर में तो एक दो सब्जियों से ही खाना खाया जाता था पर यहां वह थाली में रखी कटोरियां ही गिनता रह गया। उसे लगा जैसे वह किसी राजमहल में आ गया है। उसने जब साशा को अपने दिल की बात बताई तो वह हंसने लगी क्योंकि उसके लिए यह आम बात थी। साशा ने कभी उसके स्टेटस या परिवार के बारे में जानने की इच्छा ही नहीं दिखाई। ईधर साशा की इंजीनियरिंग पूरी होने वाली थी तो उसके पिता उसके विवाह की बात करने लगे पर साशा का मन तो विनीत पर अटका था।


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चूंकि विनीत जाट व एक साधारण परिवार से था उसके पिता कभी भी उसके साथ संबंध करने को राजी नहीं होंगे ऐसा वो अच्छी तरह जानती थी पर वह किसी भी सूरत में विनीत को नहीं छोड़ सकती थी इसलिये उन्होंने घर से भागने का प्लान बनाया। विनीत ने उसे बहुत समझाया कि पापा से आज्ञा ले लो पर साशा अपने पापा को जानती थी और उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बंगलोर से दिल्ली आने का प्लान कर लिया।

ईधर जब उसके पापा को थोड़ा सा शक हुआ तो उन्होंने अपने पुलिस के दोस्तों के साथ मिलकर पूरे बंगलोर की नाका बंदी कर दी, रेल और एयरपोर्ट सब जगह उनकी चेकिंग की जा रही थी पर साशा और विनीत भी अपने दोस्तों के साथ कुछ दिन छिप कर रहे और मौका मिलते ही दिल्ली पहुंच गये जहां उनके परिवार ने उनका विवाह कर दिया। साशा जब अपनी ससुराल पहुंची तो एकदम भौंचक्की रह गई। छोटा सा घर, घर में काफी सारे लोग, दो कुत्ते सभी का खाना उसकी सास ही बनाती थी अपने घर में जहां उसने एक गिलास पानी भी लेकर नहीं पिया वहां ऐसा देखकर उसे चक्कर आने लगे लेकिन उसने अपनी भावनाओं पर काबू रखा और सास के साथ मिलकर रसोई में काम करने की कोशिश करने लगी।

दिन में तो अपने ऊपर नियंत्रण रखती पर रात को विनीत के पास जाकर खूब रोती। उसे अपने किये पर पछतावा नहीं था पर कैसे वह उस घर में रमेगी इसी का इंतजार था। कुछ दिन में पापा का बुलावा आया कि अब जो होना था हो गया वे अब उसका विवाह धूमधाम से करना चाहते थे। साशा बहुत खुश हो गई। वे सब बंगलोर पहुंचे। साशा के रिश्तेदार विनीत के रिश्तेदारांे को देखकर बहुत नाक मुंह सिकोड़ रहे थे और बहुत आश्चर्य चकित थे कि कैसे राजकुमारी सी साशा उनके अस्तबल जैसे घर में रह पाएगी। पर साशा ने हार नहीं मानी।

विनीत के प्यार व साथ से उसने अपने घर को नया रूप दिया। दोनों को बहुत अच्छी नौकरी मिली और उसको आज दो बेटे हैं और वह अपने सास-ससुर के साथ ही रहती है। अब दोनों अपना खुद का काम करते हैं और साशा के माता-पिता भी उनसे खुश रहते हैं। साशा जानती है कि शायद पापा की मर्जी से की गई शादी में वह बहुत धनी होती पर आज वह अपनी मेहनत, अपनी पसंद और अपने प्यार पर गर्व करती है। ज्योतिषीय विश्लेषण प्रेम के क्षेत्र में सफलता के लिए जन्मकुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति सर्वाधिक कारगर होती है।


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विनीत की कुंडली में शुक्र लग्न भाव में स्थित है जिसे शुक्र की सर्वश्रेष्ठ स्थिति माना जाता है साथ ही भाग्येश गुरु शुक्र की राशि में स्थित है। विनीत का लग्नेश चंद्रमा है तथा लग्न में शुभ ग्रह की स्थिति ने उसे संवेदनशील, सभ्य, सुशील तथा आकर्षक व्यक्तित्व का धनी बनाया। चतुर्थेश (हृदय) शुक्र तो कुंडली में बली होकर बैठा ही है साथ ही चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह की स्थिति के चलते विनीत अपने नाम के अनुरूप सुंदर हृदय व सुंदर मस्तिष्क का स्वामी है। इनकी कुंडली में चर लग्न है तथा गुरु, शुक्र व शनि ये तीनों केंद्रों में स्थित हैं।

इसे अंशावतार योग कहते हैं तथा इस योग वाला जातक न केवल प्रेम के क्षेत्र में सफल होता है बल्कि अपनी योग्यता व आकर्षण के बल पर अपने व्यावसायिक एवं सामाजिक जीवन में यश प्राप्त करता है। विनीत की कुंडली की इन्हीं विशेषताओं के कारण इनके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा आकर्षण व योग्यता दृष्टिगोचर हुई कि साशा ने उसे साधारण परिवार से संबंधित होने के बावजूद भी अपने लिए सर्वश्रेष्ठ समझा। साशा की कुंडली में लग्नेश शुक्र शुभ ग्रहों से संयुक्त होकर द्वितीय भाव में स्थित है।

इनकी कुंडली में भी भाग्येश शुक्र की राशि में स्थित है। इसलिए साशा के लिए जीवन में प्रेम सर्वोपरि है। कुल मिलाकर दोनों की कुंडलियां शुक्र ग्रह के प्रभाव के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। अतः इन दोनों ने प्रेम को सर्वाधिक महत्व दिया और जमाने की परवाह किये बगैर अपने प्रेम को इसके सफल अंजाम तक पहुंचाया तथा 30 जून 1994 को जब साशा की कुंडली में सप्तमेश मंगल के ऊपर से शनि व गुरु का गोचरीय प्रभाव हो रहा था तो ये दोनों प्रणय सूत्र में बंध गये। साशा की कुंडली में लग्न में सूर्य एवं शनि की युति बन रही है जिस पर सप्तमेश मंगल एवं गुरु की पूर्ण दृष्टि भी है अर्थात् साशा एक बहुत ही मजबूत व्यक्तित्व रखती है।

तभी अपनी मर्जी से विवाह का इतना बड़ा फैसला ले सकी और अपने प्लान पर पूरी तरह अमल भी कर सकी। पंचमेश बुध तृतीयेश चंद्रमा, लग्नेश शुक्र के साथ अपनी ही राशि में होने से वह अत्यंत बुद्धिमान, चतुर, मधुर भाषी एवं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में सफल हुई। शनि और मंगल की आपस में पूर्ण दृष्टि होने से जहां उसने इंजीनियरिंग की और अपनी इवेंट मैनेजमेंट की कंपनी खोली। परंतु इन्हीं ग्रहों के कारण अपने वैवाहिक जीवन को कांटों की राह से भी गुजारना पड़ा। विनीत की कुंडली पर विचार करंे तो पंचमेश मंगल की सप्तम भाव पर पूर्ण तथा सप्तमेश शनि की पंचमेश मंगल एवं नवमेश गुरु पर पूर्ण दृष्टि से उसका प्रेम विवाह हुआ।


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लग्नेश और सप्तमेश शनि की दशम भाव में युति के कारण उसे साशा का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ और वह उसी के साथ अपनी कंपनी चला रहे हैं और साशा उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। साशा और विनीत की इवेंट मैनेजमेंट कंपनी बहुत अच्छी तरह से चल रही है। शुक्र के शुभ प्रभाव की बदौलत यह कंपनी दिन-प्रतिदिन प्रगति की राह पर इसीलिए अग्रसर हो रही है क्योंकि इवेंट मैनेजमेंट व्यवसाय का कारक शुक्र होता है। साशा की कुंडली में लग्नस्थ सूर्य व शनि तथा दशम भावस्थ मंगल नाम, यश व अच्छी योग्यता के कारक बन रहे हैं। शनि के लग्नस्थ होने से ये लाभदायक योजनाएं बनाने में सक्षम हैं।

ऐसे लोगों की छठी इन्द्रिय सक्रिय होती है तथा ये समय की मांग के अनुकूल उचित फैसले लेने में इसलिए सक्षम होते हैं क्योंकि ये समय रहते सामने वाले के मन की बात व वस्तु स्थिति को भांप लेते हैं। दशमस्थ मंगल होने के कारण ये अपनी योजनाओं के कार्यान्वयन में भी सफल होती हैं। धन भाव में शुभ ग्रहों के स्थित होने से करियर में शीघ्र प्रगति प्राप्त हो रही है। इनकी ऐसी श्रेष्ठ ग्रह स्थिति आगे भविष्य में उन्हें सफल व सक्षम उद्यमी बनाने में कारगर रहेगी। 2021 के बाद 2041 तक शुक्र की स्वर्णिम दशा के प्रभाव के फलस्वरूप साशा उन्नति की बुलंदियों को छू लेगी।



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