श्री बगलामुखी का परिचय डॉ. अरुण बंसलव्यष्टिरूप में शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समष्टिरूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला हैं. पीताम्बर विद्या के नाम से विख्यात बगलामुखी की साधना प्राय: शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए... और पढ़ेंज्योतिषजुलाई 2004व्यूस: 5126
महामृत्युंजय मंत्र उपासना डॉ. अरुण बंसलमहाम्रत्युन्जय मंत्र के विभिन्न स्वरूपों का उल्लेख हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में मिलता है. इन सबका अपना-अपना महत्व हैं, विशेष स्थिति में इनका विशेष प्रकार से अनुष्ठान किया जाता हैं.... और पढ़ेंज्योतिषमई 2009व्यूस: 16481
मंत्र सार डॉ. अरुण बंसलमन को शक्ति प्रदान करके समस्त भयों से रक्षा करने वाले शब्दों को 'मंत्र' कहते हैं. 'मन' शब्द से मन को एकाग्र करना, 'त्र' शब्द से त्राण (रक्षा) करना जिसका धर्म हैं. वे मंत्र कहे जाते हैं. मंत्र ही समस्त जातकों... और पढ़ेंज्योतिषनवेम्बर 2004व्यूस: 4562
राहु के राशि परिवर्तन का विभिन्न राशियों में प्रभाव एवं उपाय मनोज कुमार शुक्लाराहु १४ जनवरी २०१३ को सायंकाल ७:१८ बजे तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। दृष्टव्य है की शनि पहले से ही तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। इस प्रकार राहु व् शनि की युति विषयोग का निर्माण कर रही हैं।... और पढ़ेंज्योतिषगोचरग्रहराशिभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2013व्यूस: 20544
कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति अंजली गिरधरव्यक्ति का सारा जीवन कुंडली के नवग्रह और सत्ताईस नक्षत्रों के द्वारा ही संचालित होता है। अगर कुंडली में सारे ग्रह अच्छे और शुभ हैं तो फिर जीवन में कोई समस्या नहीं होती है और चारों ओर से खुशियों की ही वर्षा होती है। लेकिन अगर कुं... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2015व्यूस: 25253
लग्न नक्षत्र स्वामी की लाभकरी दशा किशोर घिल्डियालज्योतिष का अध्ययन करते समय कई बार यह विचार अवश्य आता है कि जन्म समय के चन्द्र नक्षत्र का प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है। इसी से ही दशाएं ज्ञात कर जातक विशेष के भविष्य से जुड़े सभी सवालों के जवाब दिये जाते हैं। ज्... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशाग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याअकतूबर 2013व्यूस: 27316
चक्र कितने प्रकार के होते हैं? फ्यूचर पाॅइन्टप्रश्न: चक्र कितने प्रकार के होते हैं? सुदर्शन चक्र, नर चक्र, षन्नाड़ी चक्र आदि विभिन्न प्रकार के चक्रों का विवरण देते हुए उनके उपयोग सहित महत्व पर प्रकाश डालिए।... और पढ़ेंज्योतिषविविधजुलाई 2006व्यूस: 24965
भृगु संहिता फोरकास्ट सूत्र नंद किशोर पुरोहितईश्वरीय विद्या कहलाने वाले ज्योतिष से आज संपूर्ण मानव जगत में कोई अछूता नहीं है। ब्रह्मांड में गतिशील ग्रह, नक्षत्र, सितारों के प्रभाव में आज ही नहीं, वरन जबसे सृष्टि की रचना हुई, उसी समय से पृथ्वीवासी इनके प्रभाव में है। मानव जगत... और पढ़ेंज्योतिषभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याजनवरी 2004व्यूस: 23104
विवाहेतर संबंध: कुछ रोचक ज्योतिषीय योग सी. एल. अस्थानाविवाहेतर या एकाधिक संबंधों के कतिपय ज्योतिषीय योग Û यदि शुक्र व बुध की युति दशम, सप्तम या लग्न भाव में हो। Û यदि मंगल और शुक्र की युति दशम, सप्तम या लग्न भाव में हो। Û चतुर्थ, दशम भाव में मंगल व शुक्र स्थित हो तथा तुला, मेष, वृ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2007व्यूस: 22084
सुख-समृद्धि हेतु शाबर मंत्र प्रयोग ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’वर्तमान में ज्यादातर मनुष्य रोजगार से चिंतित रहते हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर भी कार्य नहीं मिल पाता। क्या करें? क्या न करें? यही विचार मस्तिष्क में चलता रहता है। लोग व्यापार करते हैं, लाभ प्राप्त नहीं हो पाता, हो... और पढ़ेंज्योतिषउपायअध्यात्म, धर्म आदिमंत्रसितम्बर 2014व्यूस: 24953
पहला सुख निरोगी काया अरुण कुमारपहला सुख निरोगी काया अर्थात् अच्छा स्वास्थ्य जीवन का सबसे बड़ा सुख है। यदि व्यक्ति स्वस्थ नहीं है तो अन्य सुख किस काम के। ज्योतिष में स्वास्थ्य का विचार मुख्यतः लग्न, लग्नेश, षष्ठभाव, षष्ठेश, अष्टम भाव, अष्टमेश एवं अष्टम भाव में स... और पढ़ेंज्योतिषउपायस्वास्थ्यज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकचिकित्सा ज्योतिषअकतूबर 2008व्यूस: 20852
टाइगर आइ (बाघमणि) फ्यूचर पाॅइन्टचर समाचार के इस अंक के साथ उपरत्न टाइगर आइ दिया जा रहा है। यह उपरत्न अत्यधिक लोकप्रिय है। इसे बाघमणि, व्याघ्राक्ष, चित्ती, चीता, टाइगर, टाइगर-आइ, दरियाई-लहसुनिया आदि अनेक नामों से जाना जाता है।... और पढ़ेंज्योतिषरत्नभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2006व्यूस: 21497