सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर  

शरद त्रिपाठी
व्यूस : 4827 | सितम्बर 2016

क्रिकेट की बात हो और सचिन तेंदुलकर का नाम न आए ऐसा कैसे हो सकता है, जी हां ‘‘सचिन रमेश तेंदुलकर’’। सचिन ने क्रिकेट जगत में सफलता के जो कीर्तिमान स्थापित किये, उसके पीछे उनके अथक परिश्रम का हाथ था जो कि मात्र 11 वर्ष की छोटी सी आयु से प्रारंभ हुआ था। जिस उम्र में बच्चे दोस्तों के साथ खेल-कूद में मजे लेते हैं, उस उम्र में सचिन टेनिस बाॅल से बैटिंग की प्रैक्टिस करते थे। आइये जानते हैं सचिन की कुंडली से उनके व्यक्तित्व व खेल जीवन को--

सचिन का जन्म लग्न है कन्या। लग्नेश बुध बैठे हैं सप्तम भाव में अपनी नीचस्थ राशि मीन में। बुध अपने ही नक्षत्र व अपने ही उपनक्षत्र में भी हैं। बुध सप्तम भाव से लग्न को पूर्ण दृष्टि द्वारा बल प्रदान कर रहे हैं। साथ ही बुध नीच भंग राजयोग भी बना रहे हैं। ‘‘नीचे यस्तस्य नीयोच्चभेशौ द्वावेल एव वा केन्द्रस्थश्चेच्चक्रवर्ती भूपः स्यादभूपवन्दितः।।

फलदीपिका, सप्तम अध्याय, 30 श्लोक यदि कोई ग्रह नीचस्थ हो तो उस ग्रह का उच्च नाथ व नीचनाथ दोनों अथवा कोई एक भी यदि लग्न से केंद्र में हो तो नीचभंग राजयोग होता है। बुध स्वयं अपनी कन्या राशि में उच्च का होता है। अर्थात बुध का उच्चनाथ स्वयं बुध ही हुआ। यहां बुध सप्तम भाव में लग्न से केंद्र में बैठकर अत्युत्तम नीच भंग राजयोग बना रहे हैं।

लग्न और लग्नेश की शुभ स्थिति जातक की सफलता को स्वतः ही निर्धारित कर देती है जो कि सचिन की कुंडली में दिख रहा है। लग्न पर बृहस्पति भी पंचम भाव से पूर्ण दृष्टि डालकर शुभता बढ़ा रहे हैं। सचिन के कर्मेश भी बुध हैं। लग्नेश की ही भांति कर्मेश भी बलवान है। क्रिकेट के प्रति सचिन का लगाव बचपन से ही था। किंतु उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है उनके बड़े भाई अजित तेंदुलकर को।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


बड़े भाई के लिए हम देखते हैं एकादश भाव को। एकादशेश चंद्रमा बैठे हैं चतुर्थ भाव में धनु राशि में। चंद्रमा सूर्य के नक्षत्र और सूर्य के ही उप नक्षत्र में है। सूर्य अपनी उच्च राशि में है और षड्बल में सर्वाधिक बली है। चतुर्थ भाव से चंद्रमा दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं। स्वतः ही स्पष्ट है कि उनके कर्मक्षेत्र को संवारने में उनके बड़े भाई का विशिष्ट योगदान रहा। एकादश भाव के कारक होते हैं बृहस्पति। बृहस्पति सुखेश व सप्तमेश भी हैं।

बृहस्पति चंद्रमा के नक्षत्र व शनि के उपनक्षत्र में हैं साथ ही पंचम भाव में नीचस्थ राशि मकर में विराजमान हैं साथ ही नीचभंग राजयोग निर्मित कर रहे हैं। जैसा कि पहले बुध के नीचभंग राजयोग में हम बता चुके हैं कि यदि नीचस्थ ग्रह का उच्चनाथ व नीचनाथ दोनों अथवा कोई एक भी लग्न से केंद्र में होता है तो नीचभंग राजयोग होता है उसी प्रकार सचिन की कुंडली में गुरु के उच्चनाथ चंद्रमा लग्न से चतुर्थ अर्थात केंद्र भाव में बैठकर नीचभंग राजयोग निर्मित कर रहे हैं।

कहते हैं गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता है। खेलना एक कला है और इस कला में निखार गुरु के बिना संभव नहीं है। सचिन के खेल के हुनर को तराशने का काम किया उनके गुरू श्री रमाकांत अचरेकर जी ने। सचिन की कुंडली में गुरु ग्रह बृहस्पति अत्यंत शुभ स्थिति में है। बृहस्पति, चतुर्थ व पंचम के स्वामी होकर पंचम त्रिकोण

भाव में पराक्रमेश मंगल से युत होकर अपने उच्चनाथ चंद्रमा व नीचनाथ शनि के नक्षत्र में विद्यमान है। पंचम भाव से बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि लग्न, भाग्य भाव व लाभ भाव पर पड़ रही है। बृहस्पति पराक्रमेश मंगल से युत है। मंगल शक्ति व ऊर्जा के प्रतीक हैं। मंगल स्वयं अपने ही नक्षत्र व बृहस्पति के उपनक्षत्र में होकर उच्चस्थ है। इस कारण मंगल व बृहस्पति का अत्यंत घनिष्ठ संबंध बना हुआ है। क्रिकेट केवल शरीर से खेला जाने वाला खेल नहीं है।

इसमें दिमाग का भी भरपूर उपयोग होता है। दोनों के तालमेल से ही सचिन ने क्रिकेट की बारीकियों में महारत हासिल की। बृहस्पति पंचम भाव में बैठकर पंचमेश शनि को भी पूर्ण दृष्टि द्वारा प्रभावित कर रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु के शिष्य तो कई होते हैं किंतु गुरु की शिक्षा को दिल व दिमाग से आत्मसात करने की योग्यता सचिन जैसे शिष्य में ही हो सकती है। ग्रहों की स्थिति के साथ ही हम बात करते हैं महादशाओं की।

किसी भी जातक को उसकी कुंडली के शुभ ग्रहों का फल उस ग्रह की दशा/ अंतर्दशा में ही प्राप्त होता है जबकि गोचरीय संयोजन भी अनुकूल हो। सचिन का जन्म हुआ सूर्य की महादशा में जो लगभग 5 वर्ष चली। उसके बाद प्रारंभ हुई चंद्रमा की महादशा। चंद्रमा दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहे हैं। यही कारण है कि बचपन से ही सचिन की रूचि क्रिकेट की ओर हुई और इसे ही उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र बनाने का फैसला लिया।

चंद्रमा के एकादशेश होने के प्रभाववश ही उन्हें अपने बड़े भाई का पूर्ण सहयोग मिला। सचिन केवल 11 वर्ष के थे तभी उनके बड़े भाई के प्रयास के कारण सचिन को गुरु श्री रमाकंात अचरेकर जी के वरद्हस्त के नीचे अपने हुनर को निखारने का अवसर प्राप्त हो गया। चंद्रमा के बाद प्रारंभ हुई मंगल की महादशा जो 7 वर्ष चली। इन सात वर्षों में सचिन ने जी तोड़ मेहनत की।

उनकी कुंडली में मंगल पंचम भाव में उच्चस्थ राशि मकर में बैठे हैं। मंगल शक्ति व ऊर्जा प्रदाता ग्रह हैं। फिर जब मंगल मकर के हों तो क्या कहना? मंगल लाभ भाव, अष्टम भाव व द्वादश भाव को पूर्ण दृष्टि प्रदान कर रहे हैं। कहते हैं अष्टम भाव गहराई का भाव है। किसी भी विषय की गहन समझ व उसका चिंतन अष्टम भाव का अधिकार क्षेत्र है। यही कारण है कि सचिन ने क्रिकेट की बारीकियां केवल सीखी ही नहीं बल्कि उन्हें जिया भी। अपने खेल को उन्होंने गौरवपूर्ण ऊंचाई प्रदान की।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


मंगल की महादशा के बाद प्रारंभ हुई राहु की महादशा। राहु की महादशा के प्रारंभ होते ही शुरू हुआ सचिन की सफलताओं का वह स्वर्णिम सफर जिसे कोई भूल नहीं सकता। राहु चतुर्थ भाव में लाभेश चंद्रमा से युत होकर स्थित हैं तथा दशम भाव को पूर्ण दृष्टि प्रदान कर रहे हैं। राहु धनेश शुक्र व लाभेश चंद्रमा के नक्षत्र व उपनक्षत्र में बैठकर नीचभंग राजयोग भी बना रहे हैं। राहु मिथुन राशि में उच्च के होते हैं।

राहु के उच्चनाथ बुध सप्तम भाव में अर्थात लग्न से केंद्र में बैठे हैं जिस कारण राहु का नीच भंग हो गया है। 18 वर्ष की राहु की महादशा में सचिन को वह सब कुछ मिला जिसकी हर व्यक्ति की चाह होती है। अब तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी पकड़ बन चुकी थी। उनका प्रेम परवान चढ़ा और पारिवारिक सहमति से उनका विवाह भी हो गया। सचिन के लग्नेश बैठे हैं सप्तम भाव में। सप्तमेश बृहस्पति पंचम में है। पंचमेश शनि नवमस्थ है और सप्तमेश बृहस्पति द्वारा पूर्णतः दृष्ट है।

सप्तमेश बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि लग्न पर भी है। लग्न, पंचम, सप्तम, नवम का यह संबंध निश्चित ही प्रेम विवाह का द्योतक है। पंचम भाव, लग्न व पंचमेश सभी पर संतान कारक बृहस्पति का शुभ प्रभाव है जिस कारण उन्हें संतान सुख भी प्राप्त हुआ। इसी दशा में उन्हें अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हुए। राहु शुक्र के नक्षत्र और चंद्रमा के उपनक्षत्र में हैं। शुक्र व चंद्र ने धनेश और लाभेश होने का शुभ फल प्रदान किया। साथ ही शुक्र मारकेश व चंद्रमा षष्ठ से षष्ठेश भी हैं। इस कारण सचिन को कई गंभीर चोटों का सामना भी करना पड़ा। 2013 में सचिन ने आई. पी. एल. से बाहर होने की घोषणा की।

अनगिनत चोटों के कारण अब उनका मन व शरीर दोनों ने ही खेल जीवन से संन्यास की ओर प्रेरित किया। अपना 200वां टेस्ट खेलकर और जीतकर उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन से संन्यास ले लिया। सचिन की कुंडली अद्भुत है। चार ग्रहों का नीचभंग राजयोग सामान्यतया दृष्टिगोचर नहीं होता है। मंगल व सूर्य उच्च के, चंद्र व शनि मित्र राशि तथा शुक्र सम राशि में हैं। इन नव ग्रहों के शुभ प्रभाववश ही वे मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लेकर भी अपनी ईश्वर प्रदत्त खेल प्रतिभा को निखारने में सफल हुए तथा देश और दुनिया के लिए मिसाल बने हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.