अंग्रेजी की कहावत है - ‘‘आंखें
आत्मा की खिड़की हैं’’ अर्थात्
आंखें दिल की जुबां होती हैं।
मानवमृखाकृति विज्ञान में जितना
महत्व आंखों का है उतना ही महत्वपूण्र्
ा स्थान भौंहों अर्थात् भृकुटी का भी
है। यहां चर्चा का विषय ‘‘भौहें’ हैं।
भौंहों पर विचार करते समय तीन
बातों पर मुख्य तौर पर ध्यान देना
चाहिए। जैसे उनकी गोलाई, लंबाई
और मोटाई। इसके अतिरिक्त भौंहों
की बनावट तथा सिर के बालों से
तुलना का भी विशेष ध्यान रखना
महत्वपूर्ण है, साथ ही भौंहों का प्रारंभ
और अंत भी।
सामान्य तौर पर हम सरल
अध्ययन हेतु भौहों को निम्न
भागों मंे बांटकर अपना अध्ययन
कर सकते हैं:
1. आदर्श भौहें: जो भौंहें आरंभ
में गोलाई लिए हो, मध्य भाग ऊपर
उठा हो और नेत्रों और भौंहों के
बीच अधिकतम फासला हो, अंत में
नीचे की ओर तीखा ढलान, आंखों से
अधिक लंबी, आपस में मिली हुई न
हों, बाल घने और सिर के बालों की
अपेक्षा हल्का रंग लिए हुए हों वें भौंहे
‘आदर्श’ मानी जाती हैं।
‘आदर्श भौंहों’ वाले जातक विद्वान,
कुशल, सुखी और सौभाग्यशाली
होते हैं।
2. झाड़ू के समान भौंहें: ये भौंहें
दो प्रकार की होती हैं। प्रथम वे जो
आरंभ में सुनिर्मित और अंत में बिखर
जाती हैं। द्वितीय वे जो आरंभ में
बिखरी और अंत में सुव्यवस्थित हो
जाती हैं। ऐसे व्यक्ति बिना योजना
बनाये काम आरंभ कर देते हैं, तथा
नुकसान उठाते हैं। तीस से चालीस
वर्षायु में आर्थिक कष्ट उठाते हैं।
2. यदि भौंहें अत्यंत काली और सघन
हांे तो जातक क्रूर और आक्रामक
स्वभाव का होता है। अपवाद स्वरूप
कुछ जातक स्वयं पर नियंत्रण कर
लेते हैं। कुछ विद्वानों का मानना है
कि द्वितीय प्रकार की भौंहों वाले
जातकों की मुखाकृति पर यदि शुभ
लक्षण हों तो ऐसे जातक राजनैतिक
या सैनिक क्षेत्र में सफल हो जाते हैं।
3.आरंभ और अंत अच्छी वाली
भौंहें: ऐसी भौंहों के जातक
क्रियाशील, दूरदर्शी, परोपकारी और
महत्वाकांक्षी होते हैं। यदि ये भौंहें
असाधारण रूप से लंबी हों, ऊपर
की ओर तेजी से तिरछी जाती हों तो
ऐसे जातक जो काम हाथ में लेते हैं,
उसे पूरा भी करते हैं।
4. अस्त-व्यस्त भौंहें:
इन भौंहों के बाल इधर-उधर बिखरे
से रहते हैं। ये भौंहें काफी सघन
होती हैं- ऐसे जातक भ्रमित स्वभाव
के होते हैं। इनमें एकाग्रता की
कमी तथा भावावेश की अधिकता
होती है। शरीर शक्तिशाली होते हैं
परंतु कोई लाभ नहीं उठा पाते हैं।
चीनी आचार्यों के मतानुसार इनके
34 वर्ष का आयु खंड अशुभ तथा
निराशाजनक होता है।
5. त्रिकोणाकार भौंहें: ये भौहें
सघन और त्रिकोणाकार होती हैं।
ये स्वार्थी एवं साहसी होते हैं तथा
मुसीबतों में घबराते नहीं, इनकी
विचार शक्ति निर्बल होती है। सही
सलाह पर चलें तो सुख पाते हैं।
यदि भौंहों के दोनों छोर नुकीले हों
तो जातक शीघ्र निर्णय लेने में सक्षम
होता है।
6. कटारी जैसी भौंहें: ऐसे जातक
चालाक और क्रूर होते हैं। ये शीघ्र
निर्णय लेने वाले होते हैं। ईरान के
शासनाध्यक्ष अयातुल्ला खोमेनी की
भौंहें इसी प्रकार की हैं। उनके क्रूर
और दृढ़ स्वभाव से सभी परिचित हैं।
7. चापाकार भौंहें: ये भौंहंे पतली
तथा गोलाकार होती हैं। ये स्त्रियों
में अधिकतर होती हैं। ऐसी स्त्रियों
में भावना तथा कामुकता का वेग
इतना अधिक होता है कि ये अपने
आप पर नियंत्रण नहीं रख पाती हैं।
पुरूष भी कामासक्त होते हैं तथा
इनको हिस्टीरिया एवं मिर्गी के दौरे
पड़ते हैं।
8. पंख जैसी भौहें: ऐसे जातक
चतुर, योग्य, चालाक और बेईमान
होते हैं। यदि भावना पावन हो तो
परोपकारी, सहयोगी बनते हैं। परंतु
मालिक बनने की योग्यता इनमें नहीं
होती। यदि ठुड्डी भी गोलाई लिए
हो तो ये मालिक भी बन सकते हैं।
9. आंखों के समीप भौंहें: ऐसे
लोग बेसब्र, अशांत और अस्थिर चित्त
वाले होते हैं। परंतु पतली भौंहों वालों
के विचार व्यवस्थित और स्थिर होते
हैं। ऐसी ही भौहें जर्मनी के तानशाह
एडोल्फ हिटलर की थी।
10. ऊंची-नीची भौंहें: इनके
जीवन में अशुभता नहीं आती,
अलबत्ता उसमें भावावेश होता है।
ये अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति द्वारा
भावनाओं पर नियंत्रण पा जाते हैं।
11. खड़े बालों वाली भौंहें:
यदि प्रारंभ में ही भौंहों के बाल
सीधे खड़े उगे हों तो जातक को
अपने भाई-बहनों का सहयोग नहीं
मिलता। भांैहों के बीच में कोई स्थान
खाली बाल रहित हो तो भाई-बहनों
की ओर से निराशा होती है और मन
को अशांति मिलती है।
12. जुड़ी हुई भौंहें: दोनों भौंहें
आपस में मिली हों तो जातक शीघ्र
बुरा मानते हैं, जरा-सी बात पर
क्रोध, निराशा, कल्पित रोगों से
परेशान, बदले की भावना से ग्रसित
तथा नीच प्रकृति के होते हैं। 35 वर्ष
की आयु के बाद भाग्य चमकता है।
13. छोटी भौंहें: ये तुनुक मिजाज,
असंतोषी, शीघ्र आवेश में आ जाने
वाले होते हैं। ये किसी की सहायता
नहीं करते हैं।
14. सघन भौंहें: भौंहों का प्रत्येक
बाल मोटा और गहरा काला होता
है। ऐसे लोगों का व्यक्तित्व दृढ़
होता है। भौंहें समकोण हों तो
जातक अभिमानी, हठी, क्रोधी और
दुष्ट होता है।
15. पतली भौंहें: भौंहें जितनी
पतली होती हैं, जातक उतना ही
अल्पभाषी और एकान्तप्रिय होता है,
वह सलीकेदार भी नहीं होता है।
16. निस्तेज भौंहें: जिनके भौंहों
का रंग सिर के बालों से हल्का होता
है वे निस्तेज होते हैं, उनमें विचार
शक्ति का अभाव होता है।
17. छल्लेदार भौंहें: ऐसे जातक
अस्थिर चित्त, बिखरे विचारवाले,
रहन-सहन भी अव्यवस्थित एवं
स्नेहहीन होते हैं। इनके जीवन का
30 से 35वें वर्ष का काल-खंड अशुभ
फलदायक होता है।
18. नीचे झुके बालों वाली भौंहें
ः जिनके भौंहों के बाल झुककर
आंखों पर आते हैं वे अपरिपक्व होते
हैं, सबसे संबंध खराब कर लेते हैं।
यदि भौंहें सघन काली हों तो 35 वर्ष
की आयु के बाद भाग्योदय होता है।
ये राजनीति व सेना के क्षेत्र में नाम
कमाते हैं।
19. जड़ें दिखाई देने वाली भौंहें
ः ये आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं।
इनमें हर परिस्थिति का सामना करने
की क्षमता होती है।