हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे का महत्व !

हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे का महत्व !  

आर. के. शर्मा
व्यूस : 4559 | अप्रैल 2017

जुड़वां संतानों एवं एक ही समय खंड में उत्पन्न बच्चों की एक समान जन्मकुंडलियां ही बनंेगी, वे बच्चे विश्व के किसी देश में उत्पन्न हुये हों, परंतु क्या सभी बच्चों का जीवन एवं भाग्य, एक समान ही होगा, उत्तर मिलेगा कदापि नहीं। परंतु दूसरी ओर कभी-भी दो व्यक्तियों, चाहे वे एक ही मां की संतान क्यों न हों, उनके हाथ की रेखायें, यहां तक कि अंगूठे की रेखायें कभी भी आपस में नहीं मिलतीं। यही विषय, इस लेख का है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार विश्व में किन्हीं दो व्यक्तियों के प्रिन्ट्स किसी भी प्रकार से एक समान नहीं हो सकते और न ही विश्व में कोई दो मस्तिष्क एक ही समय में एक ही प्रकार के विचार-समूह को संग्रहित करने में सक्षम हो सकते हैं। प्रत्येक प्राणी की प्रवृत्तियां, उसकी चेष्टायें, उसकी विचार शक्ति एवं उसकी हस्तरेखायें भिन्न-भिन्न होती हैं। न्यूयार्क के विद्वान् जाॅर्ज-विलियम बेन्हम अपने ‘दी लाॅ आॅफ साइंटिफिक हैंड रीडिंग’ नामक ग्रंथ में लिखते हैं-‘‘प्रत्येक मस्तिष्क कोष्ठक एक विद्युतीय तरंगों को उत्पन्न करने का संयंत्र है। उस विद्युत शक्ति के द्वारा उत्पादित वैचारिक तरंगें हथेली के मध्य भाग पर या ग्राफिटिकल स्थिति में अंकित हो जाती है।

वैज्ञानिकों ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि हस्तरेखायें, जन्म से लेकर मृत्यु तक अपरिवर्तित रहती हैं। मनुष्य का अंगूठा ‘चैतन्य-शक्ति’ का प्रधान केंद्र है। इसका संबंध सीधा मस्तिष्क से होता है। अंगूठा इच्छाशक्ति का केंद्र माना जाता है और व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। हस्तरेखा के महत्व के साथ ज्यादा महत्व अंगूठे का माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ‘‘अंगूठे के नीचे स्थित नाड़ी समूह से शरीर में प्राण संचार होता है। ‘‘अंगुष्ठमात्रो रवि तुल्य रूप, संकल्पाहंकार समन्वितोयः। बुद्धेर्गुणेनात्मगुणेन चैव, आराग्रमात्रो ह्यपरोऽपि दृष्टः।।’’ -श्वेताश्वतरोपनिषद् - 5/8 प्रस्तुत मंत्र में ‘अंगुष्ठमात्र’ शुद्ध जीवात्मा का वाचक है। वेद मंत्रों में शब्दार्थ से भावार्थ (गूढ़ार्थ) का महत्व ज्यादा है। ऋषि ने जीवात्मा को सूर्य के समान तथा संकल्प और अहंकार से युक्त कहा है। सूर्य प्राणशक्ति का द्योतक है। सामुद्रिक शास्त्र ने भी अंगूठे को तीन भागों में विभक्त किया है। प्रथम ऊपर का भाग-ब्रह्मा, मध्य विष्णु तथा अंतिम (शुक्र स्थल) शिव से संचालित माना है जो कि क्रमशः सत्व, रज और तम के प्रतीकात्मक रूप हैं। ‘‘ईशानो भूतभव्यस्य स एवाद्य स उश्वः’’ इस सूक्ष्म तत्व की एकरूपता अक्षुण्ण है।

भूत, भविष्य, वर्तमान पर शासन करने वाला वह परम तत्व जैसा आज है वैसा कल भी रहेगा। इसी प्रकार मनुष्य के हाथ की रेखायें घटती-बढ़ती एवं बनती-बिगड़ती (तीन मुख्य को छोड़कर) रहती हैं। परंतु अंगूठे पर बनी हुई सूक्ष्म’ रेखाएं अपरिवर्तनशील हैं। तभी तो प्रत्येक सरकारी दस्तावेजों, बैंक, आधार कार्ड आदि पर ‘अंगूठे की छाप’ को विशिष्ट महत्व दिया गया है। अंगूठे का महत्व क्यों? किसी वस्तु की पकड़ अंगूठे के बिना संभव नहीं, हस्ताक्षर एवं लिखने हेतु जब कलम पकड़ी जाती है तो कलम तर्जनी व अंगूठे के कंपन से चलती है। तर्जनी अंगुली बृहस्पति की अंगुली कहलाती है, जो ‘सरस्वती’ का प्रतिनिधित्व करती हुई, विद्या-प्रवाह को निरंतरता प्रदान करती रहती है। अंगूठा कलम को बगल से दबाव डालकर उसके संचालन का कार्य करता है। मस्तिष्क का सीधा संबंध अंगूठे की कोशिकाओं तक होने से मस्तिष्क के भावों का स्पष्ट अंकन अंगूठे द्वारा ही संभव है। इसी कारण ‘हस्ताक्षर तथा लेखन (राईटिंग)’ द्वारा मनुष्य की प्रकृति आदि पता- ‘राइटिंग विशेषज्ञ’ लगाते हैं। Û एलिजाबेथ पी. होफमैन के अनुसार -रूस के मेडिकल संस्थान’ के वैज्ञानिक अंगूठे की परीक्षा करके बता सकते हैं कि अमुक व्यक्ति को भविष्य में लकवा होगा या नहीं? लकवा होने की स्थिति में, अंगूठे का आॅपरेशन करके वहां की शिराओं को ठीक कर देने से फिर लकवा होने की अशंका नहीं रहती।

यदि किसी अशक्त रोगी का अंगूठा ढीला होकर हथेली पर गिर पड़े तो उसकी मृत्यु चैबीस घंटे के अंदर निश्चित है। इस प्रकार अंगूठा प्राण-शक्ति का द्योतक है। रोमन लोग कटे हुए अंगुष्ठ वाले मनुष्य को डरपोक की संज्ञा देते हैं तथा इंगलिश व फ्रेंच भाषा में ऐसे अंगूठे के लिए ‘नामर्द’ शब्द का प्रयोग हुआ है। इसके विपरीत अंगूठे का सुदीर्घ व पुष्ट होना सुदृढ़ व परिपुष्ट तर्क-ज्ञान, विवेकशीलता व सुसंस्कृत व्यक्ति की गरिमा को दर्शाता है। भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों को ठीक करने के लिए प्रायः सबसे पहले उनकी कनिष्ठिका अंगुली व अंगूठे को दबाया जाता है। इसका वैज्ञानिक रहस्य यह है कि कनिष्ठिका वास्तव में बुध की अंगुली होती है तथा चंद्र पर्वत को भी अधिकार में लिये हुये होती है। बुध बुद्धि का व चंद्र मन तथा कल्पना का कारक ग्रह है। इन दोनों के दबाने से वह व्यक्ति विशेष सचेष्ट, सतर्क होकर अपने अनुभव व विचारों को वाणी के द्वारा शीघ्र प्रकट करने के लिए बाध्य हो जाता है अर्थात होश में आ जाता है। अंगूठे पर बनी धारियों से मनुष्य की जन्मजात बीमारियों तथा आपराधिक प्रवृत्तियों का पता लगाया जा सकता है। बंगाल के पुलिस कमिश्नर रिचर्ड हेनरी ने ‘क्रीमीनोलाॅजी’ (अपराध विज्ञान) क्षेत्र में बहुत दिलचस्पी ली और जून 1897 में उन्होंने कलकत्ता में विश्व का पहला ‘फिंगर प्रिंट ब्यूरो’ स्थापित किया। इतिहास: सौभाग्य की बात है कि विश्व भर में प्रचलित अंगुलियों की छाप पर आधारित वैज्ञानिक प्रक्रिया के सूत्रपात का श्रेय भारत को है। इस क्षेत्र में सर हेनरी के गुरु-सब इन्सपेक्टर श्री अजीजुल हक के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। श्री हक ने अंगुलियों के पोरों पर रेखाओं की गोलाइयों के आधार पर ऐसे सिद्धांतों का आविष्कार किया, जिससे अंगुलियों के निशानों का वर्गीकरण अत्यंत सरल हो गया।

इसी के लिये उन्हें उस जमाने में पांच हजार रुपये का पुरस्कार देकर ‘खान साहब’ की उपाधि दी गयी थी। सन 1905 में श्री हेनरी के प्रयासों से श्री अजीजुल हक को ‘स्काॅटलैंड यार्ड’ के विशेषज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। आज स्काॅटलैंड यार्ड में 25,00,000 से अधिक अंगुलियों के निशान हैं। पुलिस अपराध शाखा द्वारा प्रस्तुत अंगुलियों की रेखाओं का वर्गीकरण, त्वचा-शक्तियों, हस्तरेखा विशेषज्ञ, ज्योतिषियों के वर्गीकरण से सर्वथा भिन्न होता है। इस समय विश्व का अंगुलियों के निशानों की छाप का सबसे बड़ा संग्रह अमरीका के एफ. बी. आई. (फेडरल ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन) के कार्यालय में है। यहां प्रतिदिन दस हजार लोगों की अंगुलियों के निशान संग्रह हेतु आज भी लिये जाते हैं। अंगुष्ठ पर चिह्न: भारतीय ऋषियों ने हजारों वर्ष पूर्व आकृति के अनुसार इन्हें तीन श्रेणियों में विभक्त किया है। ये हैं- शंख, चक्र व शुक्ति। यदि चक्र का चिह्न हो तो उसको अपने पिता व पितामह का धन प्राप्त होता है। इसके विपरीत यदि अंगूठे पर शंख या अन्य आकृति का चिह्न हो तो उसे अपने बाप-दादा के संचित धन का लाभ नहीं होता है। अंगूठे पर बारह राशियों के चिह्न पाये जाते हैं, जिनके द्वारा हम उस व्यक्ति की जन्मकुंडली बना सकते हैं। मुख्यतः अंगूठे से अंशात्मक लग्न भी निकाला जा सकता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.