लक्ष्मी व् शक्ति के विभिन स्वरूप फ्यूचर समाचारधन की कामना हर व्यक्ति के मन में होती है। धन की देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना के पीछे भी यही कामना प्रबल होती है, इसलिए उनके विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। उनके किस रूप की पूजा कब और किस मुहूर्त में की जाए, यह जानने के लिए उनके स... और पढ़ेंदेवी और देवअकतूबर 2011व्यूस: 9490
नक्षत्र और उसके द्वारा जन्मफल नवीन राहुजानक्षत्र तारों समूहों से बने हैं आकाश में जो असंख्य तारक मंडल विभिन्न रूपों और आकारों में दिखलाई पड़ते हैं, वे ही नक्षत्र कहे जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में ये नक्षत्र एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।... और पढ़ेंज्योतिषनक्षत्रभविष्यवाणी तकनीकफ़रवरी 2013व्यूस: 19360
मुख पर चिह्न द्वारा जन्म समय व लग्न का परीक्षण राजेंद्र कुमार शर्माव्यक्ति की शक्ल-सूरत, चाल-ढाल, रंग-रूप इत्यादि को देखकर उसके स्वभाव, चरित्र और जीवन के संबंध में ठीक-ठीक बहुत कुछ जान लेना,... और पढ़ेंमुखाकृति विज्ञानअन्य पराविद्याएंआगस्त 2014व्यूस: 5012
सफल कारोबार एवं लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के उपाय गोचर ग्रहों की प्रतिकूलता तथा पितृदोश आदि के कारण जन्मपत्री में आर्थिक संपन्नता के योग होने के बावजूद व्यापार से वांछित लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में इन उपायों द्वारा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 23552
शत्रुनाशिनी श्री बगलामुखी का परिचय चिरकाल से साधक इन महादेवी का आश्रय लेते आ रहे हैं क्योंकि अरिष्टों के दमन और शत्रुओं के शमन में बगलामुखी भगवती के अवतरण की कथा इस प्रकार है-... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 7617
हस्तरेखा द्वारा कुंडली मिलान विवाह सामजिक जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। सोलह संस्कारों में से १५ वां संस्कार विवाह है। वैवाहिक जीवन की खुशियां जीवन भर साथ रहने वाले दो व्यक्तियों के पारस्परिक तालमेल पर पूर्णत: निर्भर करती है। ... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 9804
सूर्य सौरमंडल का केंद्र सूर्य देवता का दूसरा नाम आदित्य भी है, क्योकि सूर्य, देवताओं की माता अदितिं के पुत्र है। माना जाता है की एक बार दैत्यों, दानवों एवं राक्षसों ने संगठित होकर देवताओं के विरुद्ध युद्ध आरम्भ कर दिया और उन्हें पराजित कर उनके। ... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 9008
शुक्रास्त में अक्षय तृतीया को गूँज सकती है शहनाइयां खगोलशास्त्र के सिद्धांतानुसार ९ या ९ से कम अंशांतर की दूरी पर सूर्य के समीप जाकर शुक्र अस्त हो जाता है। किन्तु ५ मई को शुक्रास्त होने से २४ कला और ३८ विकला की दूरी शेष है। इसलिए उस दिन शुक्रास्त नहीं होगा। ... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 13794
दस महाविद्याओं का संक्षिप्त परिचय व मंत्र दस महाविद्याओं का संक्षिप्त परिचय व मंत्र दाती राजेश्वर महाराज दस महाविद्याओं से सर्वसाधारण परिचित नहीं है और यह भी नहीं जानता कि इन विद्याओं की उपासना से क्या लाभ हो सकता है और उनकी उपासना का विधि-विधान क्या है... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 13179
अंजल टैरो-एंजल चिकित्सा एवं टैरो का अदभुत संगम लगभग ३०० वर्षों से टैरो भविष्य जानने एवं जीवन के रहस्यों को प्रकट करने का सक्षम साधन रहा हैं। शुरुआत से टैरो केवल विशेषज्ञों एवं इस कला में पारंगत विशिष्ट व्यक्तियों तक सिमित रहा हैं। जहाँ टैरो की भविष्यवाणी करने के लिए उपयुक्तता ... और पढ़ेंनवेम्बर 2012व्यूस: 7604
विवाह शुभेष शर्मन... और पढ़ेंज्योतिषकुंडली मिलानग्रहघरविवाहभविष्यवाणी तकनीकमुहूर्तजून 2013व्यूस: 10051
योग, दशा और गोचार ईश्वर लाल खत्रीप्रश्न: वर्तमान समय का फलादेश करने के लिए योग, दशा और गोचर में से किसका महत्व अधिक है और क्यों? अपने उत्तर को उदाहरण की सहायता से प्रमाणित करें।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणमार्च 2015व्यूस: 7356