सफल कारोबार एवं लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के उपाय

सफल कारोबार एवं लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के उपाय  

व्यूस : 20859 | फ़रवरी 2009
सफल कारोबार एवं लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के उपाय पं. प्रेमशंकर शर्मा व्यापार में निरंतर लाभ पाने हेतु कुंडली में लग्न, द्वितीय, पंचम, नवम और एकादश भावों एवं उनके स्वामियों के शुभ संबंधों का विचार किया जाता है, परंतु कभी-कभी ऐसा देखने में आता है कि आर्थिक संपन्नता के योग कुंडली में मौजूद होने पर भी दशा-अन्तर्दशा, गोचर ग्रहों की प्रतिकूलता अथवा अन्य अदृश्य कारणों जैसे पितृ दोष, बंधन आदि से व्यापार में वांछित लाभ नहीं मिलता है ऐसे में कुछ उपाय हैं जिनसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है। पौधों से लक्ष्मी प्राप्ति : वृक्षों से लाभ पाना अविश्वसनीय भले ही लगे, परंतु वृक्षों से प्राप्त शुभाशीष मनुष्य का भाग्य बदल देता है। चतुर्थ भाव का संबंध सूर्य, चन्द्र, बुध और शनि से होने पर अथवा चतुर्थ भाव में इन ग्रहों की युति होने पर, जातक वृक्षरोपण द्वारा राजलक्ष्मी का सुख प्राप्त कर सकता है। कुंडली में चतुर्थ तथा सप्तम भावों और उनके स्वामियों का संबंध हो, तो वृक्षों के सिंचन से व्यक्ति अपनी खोई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त कर सकता है। यहां एक तालिका प्रस्तुत है जिसमें अलग-अलग लग्नों और राशियों के लोगों के लिए अनुकूल पेड़ों के नाम उल्लिखित हैं, जिन्हें लगाने या जिनका संरक्षण करने पर उन्हें लाभ प्राप्त होगा, पं. प्रेमशंकर शर्मा स्थिति स्वतः अनुकूल होने लगेगी तथा जीवन सुखमय रहेगा। इस क्रम में नवमांश तथा षोडशवर्ग की सहायता ली जा सकती है। कार्य के अनुसार लक्ष्मी साधनाः मानसिक कष्ट, बंधन प्रकोप या भूत-प्रेत-पिशाच आदि की चपेट से परेशान लोगों को शनिप्रधाना महाभैरवी लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए। युद्धक्षेत्र, पर्वतारोहण एवं साहसी कार्यों में संलग्न लोग जो मंगल प्रधान होते हैं, उन्हें जया नामक लक्ष्मी की साधना करनी चाहिए। औषधि-चिकित्सा एवं रसायन के व्यापार में जुड़े लोगों को कान्तार नामक लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जल, पेय पदार्थ आदि के व्यापारी वर्ग को किसी भी कारण से राजकीय प्रकोप में फंस जाने पर अथवा प्राकृतिक आपदाओं के आने पर तारा लक्ष्मी की अर्चना लाभ देती है। उद्योगपतियों को वाणिज्य लक्ष्मी तथा अविवाहित, महत्वाकांक्षी और विदेशी मुद्रा, इलेक्ट्रोनिक्स के व्यवसाय (कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर आदि), आयात-निर्यात करने वाले लोगों को त्रिपुर सुन्दरी की पूजा-अर्चना से वांछित सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। लक्ष्मी-नारायण उपासना : लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु पूर्णमिा तिथि, गुरुपुष्य नक्षत्र अथवा अन्य शुभ योग देखकर, स्फटिक या कमलगट्टे की माला से निम्नलिखित में से किसी एक मंत्र का जप करें। ' ' ¬नमो योग माया महालक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते।' या ¬श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं ˙¬ महालक्ष्म्यै नमः।' या¬ 'ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं।' इसके अतिरिक्त श्रीसूक्त का नियमित पाठ करें व खीर, कमलगट्टे से हवन करें। गोपाल सहस्रनाम या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। विशेष लक्ष्मी अनुकम्पा हेतु : लक्ष्मी कृपा हेतु स्फटिक श्रीयंत्र (लगभग 125 ग्राम) स्वर्ण, रजत पत्र, पर अंकित श्री यंत्र, ताम्र पत्र या भोजपत्र या कागज पर श्री यंत्र की शुभ मुहूर्त में योग्य व्यक्ति से प्राण-प्रतिष्ठा कराकर घर, कार्यालय अथवा व्यापारस्थल पर स्थापित करें। फिर प्रतिदिन स्वयं अथवा योग्य ब्राह्मण द्वारा यंत्र की षोडशोपचार अथवा पंचोपचार पूजन कर निम्न मंत्र का श्रद्धापूर्वक कम से कम एक माला जप करना चाहिए। जप के लिए मोती, प्रवाल या रुद्राक्ष की माला लें और लाल रंग के ऊनी आसान पर बैठें। शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें। मंत्र - दुर्गे स्मृता हरसि भीतिम शेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥ धन प्राप्ति हेतु बगलामुखी प्रयोगः शुभ मुहूर्त में इस साधना को प्रारंभ करें। चौकी पर पीत वस्त्र बिछाकर उस पर अष्टकमल बनाएं। फिर बगलामुखी देवी का चित्र अथवा बगलामुखी यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा कराकर उस पर स्थापित करें। स्वयं नहा धोकर पीला वस्त्र पहनें, पीला ऊनी आसन पर बैठें तथा पीले रंग की मिठाई (बेसन, बूंदी के लड्डू या केसर की बर्फी) का भोग लगाएं। गाय के घी का दीपक जलाएं, फिर न्यास ध्यान करके अतुल संपत्ति प्राप्ति हेतु संकल्प करते हुए मंत्र जप करें। आरंभ में जो जप संखया हो, आगे उससे कम जप न करें। जप के अन्त में, खीर, खील आदि से दशांश हवन करें। बगलामुखी मंत्र : ¬जीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्नां कीलय बु(ंिविनाशय जीं ¬ नम :। ¬जीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्नां कीलय बु(ंिनाशय जीं ¬ स्वाहा। बाधामुक्त होकर धन पुत्रादि लाभ हेतु : मंत्र : सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः। बाधामुक्ति यंत्र एवं लक्ष्मी यंत्र के सम्मुख नियमपूर्वक इस मंत्र का जप करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। तांत्रिक उपाय : (टोटके) स घर में स्फटिक श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित करें। एक साबुत लाल गुलाब का फूल रोजाना उस पर चढ़ाएं। पूजा कराकर काली हल्दी गल्ले या तिजोरी में रखें। प्रत्येक पूर्णिमा को सत्यनारायण की कथा कहें या सुनें। तांत्रिक वस्तुएं, हत्था, जोड़ी, सियार सिंगी, बिल्ली की जेर, दक्षिणावर्ती शंख, एकमुखी रुद्राक्ष, नागकेसर, मोर पंख आदि की पूजा कराकर घर में और तिजोरी में, कार्यस्थल में रखें। श्वेतार्क गणेश जी की स्थापना करें, रोज दर्शन करें। बुधवार को मूंग के लड्डू का भोग लगाएं। पीपल के 21 पत्तों पर लाल चंदन से राम लिखकर रोज हनुमानजी पर चढ़ाएं। यह प्रयोग 22 दिनों तक लगातार करें। ध्यान रहे कि क्रम टूटे नहीं। इस प्रयोग में नियमितता एवं शुद्धता जरूरी है। गुरुवार के दिन व्यापार वृद्धि हेतु श्यामा तुलसी के चारों ओर जमा खरपतवार हटाएं, उसे पीले रंग के कपड़े में बांधकर व्यापार स्थल पर किसी सुरक्षित जगह रख दें। किसी बरतन में सफेद सरसों इस प्रकार रखें कि वह दिखाई देती रहे और बरतन को कार्यस्थल में ऐसी जगह रख दें, जहां आने-जाने वालों का ध्यान उस पर पड़े।



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