बुध: जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में प्रभाव प्रथम भाव में बुध होने पर जातक दूसरों का प्रिय, ज्ञानवान, चिंतक, त्यागी, लेखक अथवा प्रकाषक, गणितज्ञ, कवि, चिकित्सक, ज्ञान पिपासु तथा अपने धर्म पर मनन करने वाला होता है वह गंभीर व्यक्तित्व वाला, चरित्रवान, मधुरभाषी तथा संयमी होता ह... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 42276
अंक ज्योतिष और द्वादश राशियां अंक विद्या का आविर्भाव आज से लगभग छह हजार वर्ष पूर्व ऋषि पराशर एवं ऋषि अगस्त्य द्वारा हुआ माना जाता है। यद्धपि अंक शास्त्र का उदय भारत में ही हुआ है, परन्तु अंक विद्या का प्रचार और नव अन्वेषण अधिकाशंत: विदेशों में हुए है। पश्चिमी ... और पढ़ेंसितम्बर 2008व्यूस: 15504
चिकित्सक योग चिकित्सा पद्वति चाहे कोई भी हो, प्रत्येक में रोग निवारण के लिए औषधि या दवाई की आवश्यकता होती है। अत: चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए रसायन शास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक होता है। इस क्षेत्र से जुड़े जातकों पर मंगल का प्रभाव... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 12773
शुक्र शुक्र के जीवन से संबंधित बहुत-सी प्राचीन कथाएं है। इसमें से एक के अनुसार शुक्राचार्य को असुरों के हित की विशेष चिन्ता थी जिसके चलते उन्होंने भगवान को प्रसन्न करने के लिए अतुलनीय जप, तप, ध्यान किया जिससे प्रसन्न होकर देवाधिदेव भगवा... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 10330
सफल कारोबार एवं लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के उपाय गोचर ग्रहों की प्रतिकूलता तथा पितृदोश आदि के कारण जन्मपत्री में आर्थिक संपन्नता के योग होने के बावजूद व्यापार से वांछित लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में इन उपायों द्वारा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 22875
कुंडली में चतुर्थ भाव तथा मानसिक तनाव मानसिक तनाव बहुत ही भयानक बीमारी है। मानसिक तनाव का रोगी कई स्तर पर जूझता है मानसिक शारीरिक व सामाजिक। प्रारम्भ में शरीर से तो व्यक्ति स्वस्थ दिखते हैं लेकिन अंतरिक स्थिति बहुत दयनीय होती है जो कि धीरे-धीरे शारीरिक व सामाजिक रूप स... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 20575
वास्तु मंत्र घर में अनुपयोगी वस्तुएं, टूटा हुआ शीशा, पलंग, खाली डिब्बे आदि नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है जो काम में बाधा डालती हैं। घर में बंद घड़ियाँ भीं नहीं रखनी चाहिए।... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 11169
यज्ञ-अनुष्ठान सृष्टि उत्पत्ति के क्रम में सबसे पहले अंड-पिंड सिद्धांत के आधार पर जल में पड़े हुये एक विशाल अंडे से नारायण की उत्पत्ति हुई। फिर नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। न कश्चिद्वेदकर्ता च वेद स्मर्ता चतुर्मुखः।। इस आधार ... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 8580
बगलामुखी एवं दस महाविद्याएं बगलामुखी साधना मूलत: तंत्र से ही सबद्ध है। किन्तु इसमें तांत्रोक्त पद्वति की जटिलता नहीं है। तंत्र विद्या को उचित प्रतिष्ठा दिलाने के लिए यह आवश्यक है की उसे मठों, मंदिरों व् पोथियों से बाहर निकाला जाए ताकि युग ।... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 10949
कालसर्प दोष की शान्ति विधि कालसर्प दोष ज्योतिष में सबसे अधिक अशुभ माने जाने वाले योगों की श्रेणी में आता हैं. व्यवहारिक रूप में भी यह पाया गया है की कालसर्प दोष एक परम अनिष्टकारी योग है. इस दोष का निवारण करने की सरल और स्पष्ट विधि की जानकारी व्यक्ति को व्यर... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 23191
रुद्राक्ष तेरे रूप अनेक आंवले के बराबर रुद्राक्ष श्रेष्ठ, बेर के बराबर मध्य, चने के बराबर रुद्राक्ष निम्न कोटि का होता हैं. रुद्राक्ष समस्त अरिष्टों का नाश करने वाला, लोक में उतम सुख, सौभाग्य एवं समृद्धि दाता, संपूर्ण मनोरथों को सिद्ध करने वाला होता है. ... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 12327
सम्पूर्ण बाधा मुक्ति यन्त्र सम्पूर्ण बाधा मुक्ति यंत्र को प्राप्त करने के पश्चात, श्राद्ध यक्ष को छोड कर, किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में सोम, गुरु, शुक्रवार एक दिन, पंचामृत एवं गंगाजल से यंत्र को धो कर, यथाशक्ति गायत्री मन्त्र का जप करते हुए, धूप, दीप आदि से ... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 22459