कालसर्प एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग

कालसर्प योग की जन्मांग में उपस्थिति मात्र से जनसामान्य के मन में आतंक और भय की भावना उदित हो जाती हैं। कालसर्प योग से पीड़ित जन्मांग वाले जातकों का संपूर्ण जीवन अभाव अनवरत अवरोध, निरंतर असफलता, संतानहीनता, वैवाहिक जीवन में अनेक कष... और पढ़ें

ज्योतिषदेवी और देवस्थानउपायज्योतिषीय योगरत्नघरलाल किताबमंत्रग्रहमन्दिर एवं तीर्थ स्थल

मार्च 2013

व्यूस: 16699

ऊपरी हवा पहचान और निदान

प्रायः सभी धर्मग्रंथों में ऊपरी हवाओं, नजर दोषों आदि का उल्लेख है। कुछ ग्रंथों में इन्हें बुरी आत्मा कहा गया है तो कुछ अन्य में भूत-प्रेत और जिन्न।... और पढ़ें

ज्योतिषअन्य पराविद्याएंउपायघरमंत्र

मार्च 2010

व्यूस: 10492

कारकांश लग्न द्वारा फलकथन

ज्योतिष की अनेकों विद्याओं में से एक विद्या जैमिनी ज्योतिष भी है जिसे जैमिनी ऋषियों द्वारा उपदेश सूत्रों के रूप में दिया गया है यह विद्या पराशरीय प्रणाली से विभिन्न होते हुये भी काफी सटीक व सूक्ष्म फलित व गणित कर पाने में सक्षम है... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2012

व्यूस: 72061

खिलाड़़ी बनने के विशिष्ट योग

कुंडली के विभिन्न भावों एवं ग्रहों की विशिष्ट स्थितियां व्यक्ति में खेलों के प्रति रूझान एवं विशिष्ट क्षमताओं को उत्पन्न करती हैं। यदि किसी के जन्मांग में सफल खिलाड़ी बनने के योग विद्यमान हों तो तदनुकुल उचित प्रशिक्षण के माध्यम से ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

जनवरी 2011

व्यूस: 9047

खिलाड़़ी बनने के योग

खिलाड़़ी बनने के योग

मिथिलेश कुमार सिेह

कडली के भावों एवं ग्रहों की विशिष्ट स्थितियां व्यक्ति में खेलों के प्रति रुझान तथा आवश्यक क्षमता उत्पन्न करती हैं। उसमें सफल खिलाड़ी बनने की क्षमताओं का सही आकलन कर लिया जाए, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रारंभ से ही उचित प्रशिक्षण ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 7512

मंगल दोष एवं प्रेम विवाह

विवाह संपूर्ण मानव जाति के लिए परमात्मा की एक अनुपम भेंट है. भारत वर्ष में लोग प्राचीन कला से ही विद्या अध्ययन के बाद विवाह करते थे, लेकिन वर्त्तमान समय के युवा वर्ग के बाद विवाह करते थे, लेकिन वर्त्तमान समय के युवा वर्ग यह नहीं म... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2011

व्यूस: 11779

सर्प दोष विचार

सर्प दोष विचार

राजेंद्र कुमार जोशी

सर्प की हत्या करने से यह दोष लगता है जिससे जातक संतानहीन होता हैं। शास्त्रों एवं पुराणों में भी सर्प की ह्त्या स्वयं करना या किसी दूसरे से करवाना पाप कर्म माना गया हैं। इस पाप के कारण जातक का वंश नष्ट हो जाता हैं। क्योंकि पुत्रोत्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगबाल-बच्चेकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

मार्च 2013

व्यूस: 8799

नेट परीक्षा - कौन होगा सफल

एक सफल व सुरक्षित भविष्य की तलाश हर युवा पीढ़ी का सपना होती है। वर्तमान समय की चुनौतियों से निबटने के लिए हमारा मेहनती युवा वर्ग अनेक तरह की प्रतियोगिता परीक्षाएं देता रहता है। इन्हीं परीक्षाओं में से एक है नेट की परीक्षा जिसे पास ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2013

व्यूस: 4991

चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा आजीविका निर्वाह के योग

भारतीय ज्योतिष के अंतर्गत होराशास्त्रों में जातक की आजीविका संबंधी कार्यक्षेत्रों और व्यवसायों का विचार भी किया गया है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ये फल आज के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं होते हैं, क्योंकि पिछले 50-60 वर... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अप्रैल 2014

व्यूस: 10979

गर्भाधान एवं गर्भपात

गर्भाधान एवं गर्भपात

रामचंद्र शर्मा

जन्म कुण्डली में त्रिकोण भावों को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। लग्न, व्यक्तित्व व व्यक्ति के स्वास्थ्य का भाव है। पंचम भाव बुद्धि, संतान तथा निर्णय क्षमता से सम्बन्ध रखता है। नवम भाव भाग्य का है यह धर्म व चिन्तन का भाव भी है। इन्ह... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2014

व्यूस: 10308

ज्योतिष शास्त्र की सार्थकता ज्योतिष विज्ञान

विज्ञान ‘कार्य-कारण के सिद्धांत’ पर आधारित है। परंतु असंख्य घटनाएं ऐसी हैं, जिनका कारण समझने में चोटी के वैज्ञानिक अपने आपको सर्वथा असमर्थ पा रहे हैं। सिद्धांतों के व्यभिचार मात्र से ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता का प्रतिवाद नहीं... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2012

व्यूस: 4904

जन्म दशा से जुड़ा पंचम, नवम व द्वादश भावों का संबंध

हिंदू ज्योतिष कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। यह तथ्य प्रायः सभी ज्योतिषी तथा ज्ञानीजन अच्छी तरह से जानते हैं। मनुष्य जन्म लेते ही पूर्व जन्म के परिणामों को भोगने लगता है। जैसे फल फूल बिना किसी प्रेरणा के अपने आप बढ़ते... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2007

व्यूस: 5030

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Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

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