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लेख

पितृ कौन, उनकी पूजा आवश्यक क्यों ?

सितम्बर 2006

व्यूस: 6945

माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जो जीवन रहते उनकी सेवा नहीं कर पाते, उनके देहावसान के बाद बहुत पछताते है। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्य...और पढ़ें

पितृ पक्ष का महत्त्व

सितम्बर 2006

व्यूस: 5869

ज्योतिष शास्त्र में ऋतुओं तथा काल, पक्ष, उतरायण तथा दक्षिणायन, उतर गोल और दक्षिण गोल का अत्यधिक महत्व है। उतर गोल में देवता पृथ्वी लोक में विचरण करते हैं। वहीं दक्षिण गोल भाद्र मास की पूर्णिमा को चंद्...और पढ़ें

यदि आपको नजर लग जाए

सितम्बर 2006

व्यूस: 6546

अक्सर लोग कहते है की मेरे सारे कार्यों में विध्न बढ़ रहे हैं। पता नहीं किसकी नजर लग गई है। इसी प्रकार मांओं को अक्सर अपने बच्चों की नजर उतारते हुए देखा जाता है। घर में नई बहु आती है। नया मकान बनाते है।...और पढ़ें

भूत प्रेत बाधा

सितम्बर 2006

व्यूस: 8725

हम २१वीं शताब्दी में जी रह है। विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में नित नई खोज हो रही है। आयुर्विज्ञान में भी खोज जारी है। पुराने प्रकार की महामारियों (हैजा, प्लेग, टी बी आदि) पर काबू पा जाने का दावा किया जा...और पढ़ें

मंत्र शक्ति से बाधा मुक्ति

सितम्बर 2006

व्यूस: 9638

मंत्रो में इतनी शक्ति है की उनकी साधना से सभी आपदाओं का निवारण किया जा सकता हैं। जन्म के पूर्व से मृत्यु पर्यत की समस्याओं का समाधान मन्त्रों तथा देव पूजा के द्वारा किया जा सकता है। मंत्र शक्ति की साध...और पढ़ें

कष्ट, विपति, बाधा के ज्योतिषीय कारण व् निवारण

सितम्बर 2006

व्यूस: 5768

भारतीय विचारधारा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान को उसका पूर्व कर्मफल प्रभावित करता है। उसके कष्टों के निम्नलिखित करण बताए गए है। देव कोप, धर्मदेव, रोष, सर्पक्रोध, प्रेत कोप, गुरु-माता-...और पढ़ें

गंडमूल नक्षत्र विचार

सितम्बर 2006

व्यूस: 6460

व्यक्ति का जन्म जिस ग्रह स्थिति और नक्षत्र में होता है। उसी के अनुसार जीवन में शुभ तथा अशुभ घटनाएं घटित होती है। ज्योतिष शास्त्र के फलित ग्रंथों में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से बनने वाले आशुभ योगों की...और पढ़ें

अपना भाग्य स्वयं आंकिए

सितम्बर 2006

व्यूस: 28077

नवम भाव कुंडली का सर्वोच्च त्रिकोण स्थान है और उसे लक्ष्मी स्थान माना गया है। नवम भाव एकादश भाव से एकादश भाव से एकादश होने के कारण लाभ का भी लाभ अर्थात जातक के जीवन की बहुमुखी वृद्धि दर्शाता है। अत: स...और पढ़ें

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पितृ कौन, उनकी पूजा आवश्यक क्यों ?

माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जो जीवन रहते उनकी सेवा नहीं कर पाते, उनके देहावसान के बाद बहुत पछताते है। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई है। राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों

पितृ पक्ष का महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र में ऋतुओं तथा काल, पक्ष, उतरायण तथा दक्षिणायन, उतर गोल और दक्षिण गोल का अत्यधिक महत्व है। उतर गोल में देवता पृथ्वी लोक में विचरण करते हैं। वहीं दक्षिण गोल भाद्र मास की पूर्णिमा को चंद्रलोक के साथ-साथ पृथ्वी के नजदीक से

यदि आपको नजर लग जाए

अक्सर लोग कहते है की मेरे सारे कार्यों में विध्न बढ़ रहे हैं। पता नहीं किसकी नजर लग गई है। इसी प्रकार मांओं को अक्सर अपने बच्चों की नजर उतारते हुए देखा जाता है। घर में नई बहु आती है। नया मकान बनाते है। कोई नई दूकान, शुरू करते हैं या वाहन खरीदते हैं तो

भूत प्रेत बाधा

हम २१वीं शताब्दी में जी रह है। विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में नित नई खोज हो रही है। आयुर्विज्ञान में भी खोज जारी है। पुराने प्रकार की महामारियों (हैजा, प्लेग, टी बी आदि) पर काबू पा जाने का दावा किया जा रहा है। परन्तु एड्स और कैंसर जैसे जानलेवा रोगों का जन्म हो गया है।

मंत्र शक्ति से बाधा मुक्ति

मंत्रो में इतनी शक्ति है की उनकी साधना से सभी आपदाओं का निवारण किया जा सकता हैं। जन्म के पूर्व से मृत्यु पर्यत की समस्याओं का समाधान मन्त्रों तथा देव पूजा के द्वारा किया जा सकता है। मंत्र शक्ति की साधना से दुःख-दारिद्रय से लेकर आपसी

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