बंधन दोष (Bandhan Dosh): प्रभाव और निवारण के उपाय

बंधन दोष (Bandhan Dosh): प्रभाव और निवारण के उपाय  

कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ
व्यूस : 58705 | मार्च 2010

जिस प्रकार देवता हैं, तो दानव भी हंै, अच्छाई है, तो बुराई भी है, मनुष्य हंै, तो राक्षस भी हंै, प्रत्यक्ष है, तो अप्रत्यक्ष भी है, उसी प्रकार षटकर्मों अर्थात आकर्षण, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन, विद्वेषण और मारण आदि में अच्छे कर्म भी हैं, तो बुरे भी जिन्हें मनुष्य अपने स्वार्थ हेतु उपयोग में लाता है और अच्छे-बुरे की सीमा को भी लांघ जाता है। इन षटकर्मों में स्तंभन ही बंधन है।

इसका प्रयोग कर किसी की शक्ति, कार्य, व्यापार, प्रगति आदि को कुंठित या अवरुद्ध कर दिया जाता है। साधारण शब्दों में बंधन का अर्थ है बांध देना। प्रत्यक्ष तौर पर बांध देने की क्रिया को बांधना कहते हैं, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से बांधना बंधन कहलाता है।

अधिकतर लोगों को ऐसा लगता है कि बंधन की क्रिया केवल तांत्रिक ही कर सकते हैं और यह तंत्र से संबंधित है। परंतु वास्तविकता इसके विपरीत है। किसी कार्य विशेष के मार्ग को अभिचार क्रिया से अवरुद्ध कर देना ही बंधन है।

तांत्रिक बंधन कैसे हटाएं (How to Remove Tantrik Bandhan)

यहां कुछ प्रमुख बंधन दोषों, उनके परिणाम तथा उनके निवारण के उपायों का विवरण प्रस्तुत है।

व्यापार अथवा कार्य बंधन किसी व्यक्ति विशेष के व्यापार, दुकान, फैक्ट्री या व्यापारिक स्थल को बांधना व्यापार बंधन अथवा कार्य बंधन कहलाता है। इससे उस व्यापारी का व्यापार चैपट हो जाता है। ग्राहक उसकी दुकान पर नहीं चढ़ते और शनैः शनैः वह व्यक्ति अपने काम धंधे से हाथ धो बैठता है।

निवारण: ऐसे व्यक्ति को अपनी दुकान अथवा फैक्ट्री के प्रवेश द्वार पर एक लोटा जल धार बनाते हुए डाल कर अंदर प्रवेश करना चाहिए।

कोख बांधना: संतान की उत्पत्ति में बाधा उत्पन्न करने की क्रिया को कोख बंधन कहते हैं। यह क्रिया कई प्रकार से की जाती है - कभी स्त्री के माहवारी के कपड़े का उपयोग कर तो कभी पहने हुए वस्त्रों अथवा बालों का। इस दोष से प्रभावित दंपति शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होते हुए भी संतान सुख से वंचित रह जाते हैं।

निवारण: स्त्री अपने जन्म अथवा विवाह के वार के दिन या अमावस्या अथवा शनिवार को पहने हुए कपड़ों में से कुछ धागे निकालकर कड़वे तेल में रूई की जोत में मिलाकर अपनी इष्ट देवी अथवा देवता के समक्ष प्रज्वलित करे।

किसी स्थान विशेष को बांधना: कभी-कभी किसी भवन या किसी स्थान विशेष को बांध दिया जाता है, जिससे वह स्थान शनैः शनैः वीरान होकर खंडहर में परिवर्तित हो जाता है। ऐसे स्थान पर लोगों का आना जाना बाधित हो जाता है और वे उससे भयभीत रहने लगते हैं।

निवारण: किसी भवन या स्थान के बंधन का निवारण अत्यंत कठिन कार्य है क्योंकि ऐसे स्थान पर बुरी आत्माओं का वास हो जाता है। ऐसे स्थान पर निरंतर हवन, यज्ञ आदि अनुष्ठान करते रहने चाहिए। गंगाजल का छिड़काव भी नियमित रूप से करते रहना चाहिए। पीपल आदि वृक्षों को ऐसे स्थान पर उगने नहीं देना चाहिए। किसी योग्य विद्वान द्वारा इसका समाधान संभव है।

पद अथवा पदवी बांधना: ऐसा बंधन किसी विशेष प्रतिनिधि अथवा उच्च पद को बांधने के लिए किया जाता है जिससे वह पद विशेष ही समाप्त हो जाता है। ऐसा बंधन बांधना अत्यंत दुष्कर कार्य है और उस बंधन को काटना उससे भी दुष्कर है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.