वैवाहिक जीवन व दोष एवं निवारण फ्यूचर पाॅइन्टविवाह में विलंब और वैवाहिक जीवन में क्लेश, तनाव, मानसिक पीड़ा और तलाक जैसी स्थिति किन योगों के कारण होती है। इन स्थितियों से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों का वर्णन।... और पढ़ेंज्योतिषउपायज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्यामंत्रविवाहभविष्यवाणी तकनीकयंत्रमई 2010व्यूस: 75152
कुंडली विश्लेषण के कुछ महत्वपूर्ण नियम आभा बंसलकुंडली का विश्लेषण करते हुए कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों जैसे- सभी ग्रहों की स्थिति, डिग्री, दृष्टि, गति, नवांश और चलित की स्थिति आदि को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए और उन्हीं के अनुसार भविष्यकथन करना चाहिए। इन सभी पहलुओं को देख कर अगर ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2010व्यूस: 56330
सूर्य का नीच भंग राजयोग आचार्य किशोरनवग्रहों में सूर्य राजसी ग्रह माना जाता है। मेष राशि में सूर्य उच्चस्थ होते हैं और तुला राशि में नीचस्थ। प्रस्तुत है सूर्य के नीच भंग राजयोग का कुंडलीय विश्लेषण।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगयशकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकसफलताजुलाई 2010व्यूस: 47834
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009व्यूस: 46719
ज्योतिष द्वारा कैसे जानें विवाह योग ? ब्रजमोहन तिवारीविवाह के विषय में जानना इतना आसान नहीं क्योंकि विवाह हमारे सोलह संस्कारों में एक मुख्य संस्कार है। हमारे ज्योतिष शास्त्र में विवाह के विषय में अनेक ग्रन्थ मिलते है। ज्योतिष शास्त्र ऐसा शास्त्र है जिससे हर विषय की सटीक जानकारियां उ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2013व्यूस: 46135
छाया ग्रह होते हुए भी प्रभावी है राहू-केतु शिव प्रसाद गुप्तासौर मंडल में सभी ग्रह सूर्य के चारों और अपने-अपने अंडाकार पथ पर निरंतर परिक्रमा करते रहते है। सूर्य से बढती दूरी के क्रम में ग्रह हैं। - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु और शनि। चूंकि हम पृथ्वी पर ग्रहों के प्रभावों के आकलन के लिए प... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याआगस्त 2006व्यूस: 45020
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन किशोर घिल्डियालज्योतिष की अनेकों विद्याओं में से एक विद्या जैमिनी ज्योतिष भी है जिसे जैमिनी ऋषियों द्वारा उपदेश सूत्रों के रूप में दिया गया है यह विद्या पराशरीय प्रणाली से विभिन्न होते हुये भी काफी सटीक व सूक्ष्म फलित व गणित कर पाने में सक्षम है... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2012व्यूस: 42296
पं. लेखराज शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा आभा बंसलजीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलकर हम उनके चमत्कारी व्यक्तित्व से अत्यंत प्रभावित होते हैं। उनकी विशेषता गुण व् कार्य प्रणाली इस हद तक चमत्कारिक होती हैं। की उनके आगे नतमस्तक होने को मन चाहता हैं।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरजैमिनी ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकमार्च 2013व्यूस: 36508
भयभीत न हों अष्टम चंद्र से संजय बुद्धिराजाअष्टम चंद्र यानि जन्म कुंडली में आठवें भाव में स्थित चंद्र। आठवां भाव यानि छिद्र भाव, मृत्यु स्थान, क्लेश'विघ्नादि का भाव। अतः आठवें भाव में स्थित चंद्र को लगभग सभी ज्योतिष ग्रंथों में अशुभ माना गया है और वह भी जीवन के लिए अशुभ। ज... और पढ़ेंज्योतिषकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2009व्यूस: 34098
शनि मंगल युति किशोर घिल्डियालकालपुरुष की पत्रिका में शनि दशम व एकादश भाव तथा मंगल प्रथम व अष्टम भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी की भी पत्रिका में इन दोनों ग्रहों का युति अथवा दृष्टि संबंध जातक विशेष को गुप्त रूप से कर्म कर लाभ प्राप्त करने जैसे फलांे की ... और पढ़ेंज्योतिषकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2014व्यूस: 33574