रवींद्रनाथ टैगोर और सरस्वती योग

रवींद्रनाथ टैगोर और सरस्वती योग  

गौतम पटेल
व्यूस : 7511 | फ़रवरी 2015

‘‘ज्योतिषं फलितं शास्त्रं योगः प्राधान्यमेव च’’

फलितशास्त्र ज्योतिष का मूलाधार है और विभिन्न योगों का अध्ययन ही उस फलित शास्त्र का मेरुदंड है। इसलिए जब तक ज्योतिष शास्त्र सम्मत लगभग सभी मान्य योगों का अध्ययन पूर्ण नहीं कर लिया जाता तब तक फलित शास्त्र का अध्ययन अपूर्ण ही कहलाएगा।

‘‘शुक्रवाक्पतिसुधाकरात्मजैः केंद्रकोणसहितैद्र्वितीयगैः।

स्वोच्चमित्रभवनेषु वाक्पतौ वींर्यगे सति सरस्वतीरिता।।

धीमन्नाटकगद्यपद्यगणनालंकारशास्त्रेष्वयं

निष्णातःकविताप्रबंधरचनाशास्त्रार्थपारंगतः।

कीत्र्याक्रान्तजगत्त्रयोऽतिधनिको दारात्मजैरन्वितः

स्यात् सारस्वतयोगजो नृपवरैः संपूजितो भाग्यवान्।।

यदि बुध, बृहस्पति और शुक्र लग्न से केंद्र (1,4,7,10), कोण और (5,9) सहित द्वितीय स्थान में हों और बृहस्पति, स्वराशि, मित्रराशि या उच्चराशि में बलवान हो तो सरस्वती योग होता है। जस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सरस्वती योग विद्यमान होता है वह बहुत बुद्धिमान, नाटक, गद्य, पद्य (काव्य), अलंकार शास्त्र तथा गणित शास्त्र में पटु और विद्वान होता है। काव्य रचना, निबंध, प्रबंध (सुंदर लेख अथवा सुंदर पुस्तक लेखन) तथा शास्त्रार्थ में भी ऐसा व्यक्ति पारंगत होता है। सारे संसार में उसकी कीर्ति फैलती है। ऐसा व्यक्ति अति धनी होता है।

वह पत्नी, पुत्र आदि के सुख से युक्त होता है। उसे राजकीय सम्मान मिलता है। बहुत भाग्यवान होता है। रवींद्र नाथ टैगोर की जन्म कुंडली में यह योग विद्यमान है। प्रस्तुत जन्म कुंडली में सरस्वती योग स्पष्टतः इस प्रकार विद्यमान है कि बुध और शुक्र जन्म लग्न से द्वितीय स्थान में स्थित हैं और बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में जन्म लग्न से पंचम त्रिकोण स्थान में बलवान स्थिति में है। इस कारण इस कुंडली में सरस्वती योग का संपूर्ण फल पूर्णतः फलीभूत हुआ है। यद्यपि रवींद्रनाथ टैगोर की जन्म कुंडली में बुध-आदित्य योग, पाश योग, सुनफा योग, विपरीत राजयोग, अनंत धन योग और सदा संचार योग के अतिरिक्त और भी अनेक योग हैं, किंतु इनमें सरस्वती योग प्रमुख है।

भारतीय साहित्य में रवींद्रनाथ का स्थान अद्वितीय है। वे कवि, गीतकार, कथाकार, नाटककार, उपन्यास और निबंध लेखक थे। न केवल भारतीय साहित्य को अपितु विश्व साहित्य को भी उनकी देन महत्वपूर्ण है। उन्होंने इतने मधुर गीत, हृदय की पीड़ाओं को गाते गीत, मानव की करुणा को उकेरते गीत, शृंगार रस से ओत-प्रोत गीत, विरह और मिलन, स्मृति और विस्मृति के गीत लिखे हैं कि अचरज होता है। रवींद्रनाथ ने जो कुछ भी लिखा और जितना भी लिखा उसकी विस्तृति और विविधता पर विचार करने से विस्मय होता है। विलक्षण प्रतिभा वाले इस महामानव की सर्वव्यापक विराटता की केवल एक झलक प्रस्तुत है।

उनकी रचनाओं में (बंगला और अंग्रेजी भाषा में) सभी लगभग 27 काव्य नाट्य/गीति नाट्य/नृत्य-नाट्य/संगीत नाट्य, 27 गद्य, 21 निबंध 13 नाटक, 13 उपन्यास, 13 लिखित/पठित भाषण, 10 छोटी कहानियां, 5 कहानी, 10 पाठ्य पुस्तक, 5 पुस्तक, 5 संस्मरण, 500 कविताएं/गीत/गाने/ समूह गान एवं संगीत संग्रह प्रमुख हैं। इतना ही नहीं वे अपने जीवन के पूर्वार्द्ध में रंगमंच कलाकार (अभिनेता) और उत्तरार्द्ध में चित्रकारी की ओर भी उन्मुख हुए और बहुत सफलता भी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त शिक्षा, संस्कृति, धर्म, राजनीति, समाज सेवा और देशभक्ति के क्षेत्रों में भी उनकी भागीदारी अत्यंत प्रशंसनीय रही।

निष्कर्ष यह है कि रवींद्रनाथ को वह सब कुछ मिला जिसकी इच्छा एक मानव कर सकता है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी कृति गीतांजलि पर स्वीडिश अकादमी ने 13 नवंबर, 1913 को नोबेल पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस पर लंदन के पत्र ‘पालमल’ ने लिखा था कि ‘‘नोबेल प्रन्यासियों (ट्रस्टीज) ने अपने न्याय की पूर्ति रवींद्रनाथ को साहित्य-पुरस्कार देकर जिस रूप में की है, उससे अधिक सम्यक रूप में पहले कभी नहीं की थी।’’ लंदन की पत्रिका ‘दी पोएट्री’ ने कवि की रचना ‘गीतांजलि’ के संबंध में लिखा कि ‘‘यह प्रकाशन केवल अंग्रेजी काव्य के इतिहास में ही नहीं बल्कि विश्व काव्य के इतिहास में एक स्मरणीय घटना है।’’


जानिए आपकी कुंडली पर ग्रहों के गोचर की स्तिथि और उनका प्रभाव, अभी फ्यूचर पॉइंट के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यो से परामर्श करें।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.