शंख का महत्व और उपयोगिता दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर किसी स्त्री, पुरुष या बच्चे के ऊपर छिडकने से रोग, नजर दोष, ग्रहों के कुप्रभाव, जादू-टोना आदि से उसकी रक्षा होती है. दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध भरकर भगवान –शिव कों अर्पित करने या उससे उसका अभिषेक क... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 18289
सरस्वती स्तवन से सारस्वत जागरण नील सरस्वती की आराधना से विद्यालाभ में उत्पन्न होने वाले व्यवधान दूर होते है। छात्र ऊंचे प्रतिशत से परीक्षा पास करते है। अतः प्रतियोगिता परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करते है। वागीश्वरी सरस्वती की मंत्र साधना से वाणी की सिद्धि हो... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 12239
संकट मोचक की शिक्षा माता अखिल ब्रह्माण्ड की अदम्य शक्तिस्वरूपा होती है। समग्र सृष्टि का स्वरूप माता की गोद में ही अंकुरित, पल्लवित, पुष्पित एवं विकसित होता है। विश्व का उज्ज्वल भविष्य माता के स्नेहांचल में ही फूलता-फलता है। यदि कहा जाए कि निखिल संसार... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 7420
श्री हनुमान जी के परम सिद्ध शक्ति पीठ देश के कुछ प्रख्यात सिद्ध हनुमत तीर्थों के विषय में यहां विशिष्ट जानकारी प्रस्तुत की जा रही है। इन हनुमत तीर्थों की जानकारी से जहां भक्त जनों को आनंद मिलेगा, वहीं उन शक्ति पीठों में जा कर दर्शन का आनंद लेने में सुविधा रहेगी।... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 21022
अनोखी विद्या सोचिए, क्या कह रहे है हस्ताक्षर जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर अधिकतर हिंदी में अथवा अपनी क्षेत्रीय भाषा में करते हैं। ऐसे व्यक्ति कुछ धार्मिक स्वभाव के अपने धर्म पर आस्था रखने वाले, थोड़े- से मिलन, लोकप्रिय, वाणी पर आस्था रखने वाले, कुछ हरफनमौला तथा रसिक स्वभाव् के,... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 6850
आरोग्यदाता है सूर्य जन्म कुंडली में सूर्य का बली होकर, सुस्थिर होना, जातक की आरोग्यशक्ति में वृद्धि करता है. इस अवस्था में व्यक्ति शीघ्र रोगों के प्रभाव में नहीं आता है. सूर्य व्यक्ति को रोगों से मुक्त रखने में सहयोग करता है, साथ ही व्यक्ति के आत्मबल... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 10987
पाणिग्रहण संस्कार मुहूर्त विवाह-मुहूर्त में तारा बल अर्थात शुक्र और बृहस्पति की स्थिति पर विशेष जोर दिया जाता है. विवाह –सगाई के अवसर पर इनका पुष्ट होना सुखी वैवाहिक जीवन का आधार माना जाता है. वर-वधू का कुंडली मिलान एक अलग प्रक्रिया है... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 11284
विराट संस्कृति के परिचायक हैं भारतीय पर्व हम भारतीय, विश्व की प्राचीनतम संस्कृति के संवाहक हैं जो आदि से है और अंत तक रहेगी। सनातन संस्कृति में जहां धर्म और अध्यात्म बृहद रूप में विद्यमान है वहीं बिना पर्वों के हमारी संस्कृति पूर्ण नहीं होती है। भारतीय संस्कृति को विराट ए... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 14222
छठ पर्व की अलौकिकता भारतवर्ष पर्वों का देश है। इसके विभिन्न भागों मं विभिन्न प्रकार के पर्व अलग-अलग ढंग से मनाये जाते हैं। इससे जीवन में स्फूर्ति और आस्था का संचार होता है तो मन और शरीर की पवित्रता का अभ्यास भी होता है। भगवान भास्कर प्रत्येक चराचर के... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 5970
जब काल भैरव की महिमा से अभिभूत हुए हनुमान अवंतिका के श्री काल भैरव मंदिर में जब महावीर हनुमान तथा देवर्षि नारद जी ने प्रवेश किया, तब वहाँ आरती हो रही थी. भक्त नाना प्रकार के वाद्ध्य बजा रहे थे. कुछ भावुक जन ताली बजाते हुए उमंग में झूम रहे थे...... ... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 21817
स्वभाव के धरातल विशिष्ट अंकों के द्वारा प्रदर्शित बल अथवा ऊर्जा सामान्य अंकों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हैं तथा यही व्यक्ति के चारित्रिक विवरण का आधार बनते हैं। फिर भी, किस प्रकार से इन बलों का प्रयोग किया जाय, यह जानना आवश्यक है। जैसी कि पह... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 8455
महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग बाधा, अरिष्ट, अकाल म्रत्यु आदि से मुक्ति तथा मन की शुद्धि करने के लिए विशष रूप से किया जाता है. इस आलेख में महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि, हवन विधि, अनुष्ठान नियम आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है.... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 12597