बगलामुखी का रहस्य एवं परिचय पुरातन काल से ही देवी बगलामुखी को अति श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। राम – रावण युद्ध में जब रावण के बड़े-बड़े योद्धा राक्षस मारे जा चुके थे, तब रावण के पुत्र मेघनाथ ने स्वयं। रणभूमि में जाने का फैसला किया। रणभूमि में जाने से पहले उसने श... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 33593
ऋद्धि –सिद्धिदायक ज्योतिषीय रत्न व्यक्तित्व के निखार और जीवन में सफलता के लिए लग्नेश और त्रिकोणेश के रत्न धारण करना सबसे अधिक लाभकारी रहता है. रत्नो से भाग्य का उदय शीघ्र होता है. महर्षियों ने अपनी खोज से यह निष्कर्ष निकला है कि जिस वस्तु का रंग जितना गहरा होगा, ... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 11367
लिखावट से जानें व्यक्ति विशेष को ज्योतिष शास्त्र की कई विधाएं, शाखाएं हैं जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं भविष्य की पहचान होती है। व्यक्ति का हस्त लेखन व सिग्नेचर भी उसमें से एक है जिसके द्वारा हम सामने वाले को पहचान सकते हैं। उसके अंदर छुपे व्यक्तित्व एवं... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 9678
हरितालिका व्रत हरितालिका व्रत सर्वप्रथम गिरिराजनंदिनी उमा ने किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए थे. इस व्रत के दिन स्त्रियाँ वह कथा भी सुनती है, जो पार्वती जी के जीवन में घटित हुई थी. उसमें पार्वती के त्याग, संयम, ध... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 7576
किन कार्यों के लिए उपयोगी है बगलामुखी साधना बगुलामुखी साधना धन लाभ, मन चाहे व्यक्ति से मिलन, इच्छित संतान की प्राप्ति, अनिष्ट ग्रहों की शान्ति, मुकदमे में विजय, आकर्षण, वशीकरण के लिए मंदिर में अथवा प्राण प्रतिष्ठित बगलामुखी यंत्र के सामने इसके स्तोत्र का पाठ। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 44798
तंत्र –मात्र-यन्त्र का सिद्ध स्थल गाय का श्री भैरव स्थान वैष्णव परायण राक्षस गया कि दायीं भुजा पर विराजमान गया तीर्थ के १४ तीर्थ खण्डों में से एक श्री काशी खंड के नाभि क्षेत्र में विराजमान यह भैरव स्थल गयासुर के कुल गुरु का दिव्य स्थल है. गया में गया-बोधगया पुराने मार्ग पर स्थित संक्राम... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 9312
हवन प्रदूषण में कमी लाता हैं हमारे धर्मशास्त्रों में उल्ल्लिखित हैं, की हवन में प्रयुक्त गाय का घी, गौमय यज्ञ में उपयोग की गई लकड़ियाँ तथा शर्करा आदि से विशुद्ध गैसें निकलती है जो कीटाणु शोधन कर पर्यावरण को विशुद्ध बनाती हैं। ... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 6611
आत्मोन्नति के लिए वर्ष भर करें सूर्य व्रत नवग्रहों में सर्वप्रधान सूर्य की पूजा सुख स्वास्थ्य एवं दीर्घायु देने वाली है। व्यक्ति श्रद्धापूर्वक वर्ष भर सूर्य सप्तमी का व्रत करे तो सारे कष्ट दूर हो जाए।... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 5133
संतान सुख के लिए करें षष्ठी देवी का व्रत वेद-पुराणों एवं भारतीय संस्कृति पर लिखी गई पुस्तकों में अनेक व्रत कथाओं और त्योहारों का वर्णन है। स्कंदपुराण के नारद –नारायण संवाद में संतान प्राप्ति और संतान की पीडाओं में संतान प्राप्ति और संतान की पीडाओं का शमन करने वाला व्रत ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 11279
जन्मकालिक संस्कार संतान के जन्म समय पर संपादित किये जाने वाले क्षेत्रीय संस्कारिक, धार्मिक एवं ज्योतिषीय क्रिया-कलापों का प्रभाव एवं महत्व बताते हुए, उस समय अवधि में किये जाने वाले विशेष संस्कार कार्यों का वर्णन किया जा रहा हैं। ... और पढ़ेंनवेम्बर 2012व्यूस: 29130
व्रत की सफलता के सूत्र मनुष्य अदृश्य शक्तियों का भंडार है, किन्तु उसकी शक्तियां आतंरिक विकारों के कारण क्षीण हो जाती है। फलस्वरूप वह सदा ही किसी नकिसी व्याधि या समस्या से ग्रस्त रहता है। अंतत: समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अथवा सत्कर्म या सद्गति ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 10064
स्वास्थ्य के लिए पूर्व दिशा एवं फेंगशुई फेंगशुई के अनुसार स्वास्थ्य और दीर्घायु पूर्व दिशा से प्राप्त होते है। इसके लिए पूर्व दिशा को ऊर्जावान बनाना चाहिए। इस दिशा से संबंधित प्रधान तत्व काष्ठ है। काष्ठ तत्व को घर या दफ्तर के पूर्व दिशा में स्थापित करने से यह दिशा उर्जा... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 8311