ऊपरी बाधा निवारण एवं पंचमुखी हनुमान उपासना जीवन जितना सत्य है, उतनी ही मृत्यु भी और उतना ही सत्य है मृत्यु के बाद का जीवन। भारतीय चिंतन धारा के मूल स्त्रोतों जैसे वेड, उपनिषद, महाभारत आदि में इस विषय पर बड़ी ही विस्तृत चर्चा की गई हैं। मनुष्य मृत्युपर्यंत आकाक्षाओं के पीछे... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 14762
लग्न बनाम चलित कुण्डली लोगों के मन में अक्सर यह शंका बनी रहती है कि लग्न कुंडली महत्वपूर्ण है या चलित कुंडली, ग्रह की स्थिति लग्न कुंडली के अनुसार देखें या चलित कुंडली के अनुसार, यदि ग्रह की स्थिति चलित कुंडली से ही देखनी है तो लग्न कुंडली क्यों और कब द... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 12488
मंगल दोष परिहार मंगल यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में हो, तो कुंडली मंगलीक होती है। यदि वर मंगली है, तो वधू का भी मंगली होना वांछनीय है। इस प्रकार एक कुंडली के दोष को दूसरी कुंडली काट देती है। लेकिन अनेक योगों में कुंडली को मंगल... और पढ़ेंमार्च 2014व्यूस: 11582
तंत्र की शिक्षा-भूमि : तारा पीठ तंत्र साधना के लिए सर्वाधिक सिद्धि-दायक स्थान कामरूप क्षेत्र के नील पर्वत पर स्थित मां कामाख्या का पवित्र धाम हैं। जहां तंत्र साधना में महाविद्या षोडशी कामाख्या का प्राकृतिक योगदान मानव मस्तिष्क की सोच तथा समझ से परे हैं। तंत्र सा... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 12601
आरोग्यदायिनी विपतिनाशिनी शंख ध्वनि कहा जाता है की शंखनाद से शिला वृष्टि कों भी रोका जा सकता है. शंख नाद के इस चमत्कारी प्रभाव के बारे में तर्क दिया जाता है. की ऐसा करने के लिए कुछ मन्त्रोच्चारण की आवश्यकता होती है और दो महीने तक विशेष धार्मिक अनुष्ठान के बाद ही इस ... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 7544
शुभ फलदायक है जन्म लग्न के अनुसार त्रिशक्ति रत्न लॉकेट धारण करना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में चमत्कारी शक्ति होती है. रत्नों की चमत्कारी शक्ति का लाभ उठाने के लिए धारक कों अपने जन्म लग्न का अनुशरण करना चाहिए. जैसे मेष लग्न के लिए मूंगा, माणिक्य, पुखराज रत्न धारण करना सदैव शुभकारी होता ह... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 14142
लंकापति रावण की जन्मकुंडली का विश्लेषण लंकापति रावण की कुंडली का विवेचन इस प्रकार है। रावण की जन्म कुंडली में लग्नेश सूर्य एक लग्न में स्थित होने तथा नैसर्गिक शुभ ग्रह गुरु के भी लग्न में होने के कारण लग्न अति बलवान था। लग्न बलवान हो, तो व्यक्ति सुखी और समृद्ध होता है।... और पढ़ेंअप्रैल 2008व्यूस: 49695
दीर्घायु पति एवं दांपत्य सुख प्रदाता करवा चौथ व्रत करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को किया जाता है। विवाहित स्त्रियों के लिए यह व्रत अखंड सौभाग्य का कारक होता है। विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने प्राण बल्लभ की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना करके चन्द्रमा को अर्ध्य अर्पित क... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 5564
उदर संबंधी रोगों हेतु योगासन जब मन, बुद्धि और चित् की सम – वृति हो जाती है, तो उसे समाधि कहते है। इंद्रियों की समपुष्टता को भी समत्व कहते है। शरीर से लेकर आत्मा तक समत्व साधन करना योग का अभीष्ट है। छह वर्ष की आयु से सतर–अस्सी वर्ष की आयु तक के व्यक्ति योगाभ्य... और पढ़ेंअप्रैल 2007व्यूस: 5887
शंख में गुण बहुत है सदा राखिए संग पुराणों में शंख की उत्पत्ति के बारे एक रोचक प्रसंग में कहा गया है की भगवान और शंखचूंड राक्षस में जब युद्ध हो रहा था. तब भगवान शंकर ने भगवान विष्णु से प्राप्त त्रिशूल से शंखचूंड का वध कर, उसके टुकड़े कर अस्थि पंजरों से शंख की उत्पत्... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 11350
कुछ उपयोगी टोटके सिद्धियाँ प्राप्त करना सहज कार्य नहीं है. सिद्धियाँ प्राप्त करने का एक सरल उपाय टोटके है. मनोकामनाओं की सिद्धियाँ प्राप्त करने में, गायत्री मन्त्र जाप का विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर, इच्छित वस्तु प्राप्ति की जा सकती है. इस लेख में... और पढ़ेंआगस्त 2011व्यूस: 20445
दीवाली आई -लक्ष्मी लाई दीवाली ऐसा त्योहार है जो तन (उत्तम स्वास्थ्य), मन (मनोकामनायें) व धन (पैसा) प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। शास्त्रों में दीपावली के दिन को मनोरथ सिद्धि का दिन कहा गया है। यही वह दिन है जब अयोध्या वासियों की भगवान राम ... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 7456