वास्तु में ईशान दिशा की शुभता का वैज्ञानिक आधार ईशान कोण दिशा के स्वामी भगवान् शंकर हैं। (शंकर इत्यमर) इस दिशा के अधिष्ठाता देवगुरु बृहस्पति हैं। शिव और बृहस्पति दोनों ही पूज्य और कल्याणकारी हैं। इसलिए ईशान कोण को धार्मिक दृष्टि से पवित्र और शुभ माना गया हैं। धार्मिक पूजा-अनुष्... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 7071
हाथ बताए धन की बात यदि किसी व्यक्ति को नए व्यापर में हानि का संकेत हो तो उसे वह व्यापार पूरी तरह सोच विचार कर पूरी सावधानी बरतते हुए करना चाहिए. ताकि जीवन में धन आदि के क्षेत्र में हानि का मुहं नहीं देखना पड़े..... ... और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 7955
भविष्य कथन की पद्तियां इस जगत की उत्पति का आधार भेद हैं. वस्तुत: ज्योतिष सबसे अलग एवं अद्वितीय ज्ञान पद्वति हैं. जिसमें सम्बंधित जातक / जातिका एक जन्म दिनाक, जन्म समय एवं जन्म स्थान के अनुरूप तात्कालिक ग्रह स्थिति तथा ग्रहों की दशा अन्तर्दशा व् गोचर के ... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 15379
कालसर्प योग : कारण एवं निदान कालसर्प योग के मुख्य रूप से तीन प्रकार कहे गए है. १ पूर्ण या आंशिक २ वास्तविक या विपरीत ३ स्थान अनुसार. कालसर्प दोष किसी भी प्रकार का हो, उसकी दोष शान्ति हेतु नागों और सांपों के नाथ प्रभु शिव की आराधना करना अति उतम उपाय है. इस योग... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 13712
हस्तलेख से व्यक्तित्व विश्लेषण किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में यदि हमें पता करना है तो हम उसके बाॅडी लैंग्वेज से जान सकते हैं। व्यक्ति के आंतरिक भावों, स्वभाव आदि की अभिव्यक्ति बाह्य षारीरिक अंगों के द्वारा व्यक्त होती है। हस्ताक्षर तथा लिखावट भी व्यक्ति... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 10075
सिकंदर महान सिकंदर महान की ग्रह स्थिति का अवलोकन ज्योतिषशास्त्र में रूचि रखने वाले सभी दैवज्ञ करना चाहेंगे और जानना चाहेंगे कि कौन से ग्रह योग के कारण सिकंदर विश्व प्रसिद्ध योद्धा बने। इस आलेख में प्रस्तुत है इनकी जन्मकुंडली का संक्षिप्त विश्... और पढ़ेंनवेम्बर 2010व्यूस: 18417
बालारिष्ठ एवं भूत-प्रेत बाधा का पारस्परिक संबंध ज्योतिष में स्वास्थ्य एवं आयु का विचार करने के लिए मुख्यत : लग्न, षष्ठ, अष्टम तथा द्वादश भाव को देखा जाता हैं। लग्न व्यक्ति का व्यक्तित्व, शरीर एवं स्वास्थ्य हैं। षष्ठ भाव रोग का कारक होने के कारण स्वास्थ्य से सम्बंधित है तथा अष्ट... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 9030
ग्रहों के शुभ फल प्राप्ति के लिए क्या उपाय करें अन्य उपायों की तरह ज्योतिषीय उपाय को भी दो भागों में विभक्त कर अध्ययन किया जा सकता है- पहला निरोधात्मक तथा दूसरा आरोग्यात्मक। निरोधात्मक उपाय उस उपाय को कहते है। जिसे अपनाने से किसी अशुभ फल या दुर्घटना से बचा जा सके अथवा यदि कोई ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 32726
राशि के अनुसार रुद्राक्ष जिस प्रकार उचित रत्न धारण करने से ग्रहों के कुप्रभावों को कम अथवा समाप्त किया जा सकता हैं. उसी तरह रुद्राक्ष भी किसी भी मनुष्य के दुर्भाग्य से सक्षम होते हैं. आप अपने भाग्य के बंद द्वारों को खोलना चाहते है तो अपनी राशि के अनुसार ... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 36595
सुलक्षणा पत्नी-प्राप्ति के योग विवाह जीवन का एक ऐसा पड़ाव हैं, जहां पर आकर एक व्यक्ति को केवल अपनी इच्छाओं और मूल्यों के आधार पर जीना होता हैं। बल्कि उसे अपने जीवन साथी की भावनाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का पूरा-पूरा ध्यान भी रखना पड़ता हैं। ... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 7134
क्या है रेकी रेकी शक्तिपात प्रक्रिया के माध्यम से रेकी मास्टर द्वारा व्यक्ति को स्थानांतरित की जाती है। यह प्रक्रिया शीर्ष, ह्रदय और हस्तचक्रों को खोलकर रेकी और व्यक्ति के बीच जीवन भर रेकी उसके साथ रहेगी। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 7893
ज्योतिष सॉफ्टवेयर जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह पॉमटाप कम्प्यूटर जिसको हथेली पर रख सकते हैं विद्वान ज्योतिषियों के लिए अलादीन का चिराग समान इस यंत्र में क्या ज्योतिष क्षेत्र उपलब है आइए जानें इस लेख द्वारा।... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 12189