भारतीय उद्योग की रीढ़ टाटा समूह टाटा समूह की तीन पीढ़ियों की कुंडलियों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यापार से लाभ के प्रबल योग यदि कुंडली में हो तो वयापार में सफलता अवश्य मिलती है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 5693
वास्तु शास्त्र के ५१ महत्वपूर्ण सूत्र सफेद रंग की सुगंधित मिटटी वाली भूमि ब्राह्माणों के निवास के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। लाल रंग की कसैले स्वाद वाली भूमि क्षत्रिय। राजनेता, सेना व पुलिस के अधिकारियों के लिए शुभ मानी गई है। हरे या पीले रंग की खट्टे स्वाद वाली भूमि व्य... और पढ़ेंदिसम्बर 2008व्यूस: 8607
बगलामुखी माला मंत्र साधारण व्यक्तियों के लिए बगलामुखी माला मंत्र बहुत सरल और उपयोगी सिद्ध हो सकता है। साधना को इस माला मंत्र का १०८ बार पठन करना होता है। यह मंत्र अधिक क्लिष्ट भाषा में भी नहीं है और साधारण व्यक्ति भी इसको पढ़। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 31618
महामृत्युंजय मंत्र की महिमा और उपासना का महत्व महामृत्युंजय मंत्र जाप करने के सामान्य नियमों के साथ साथ इस आलेख में महामृत्युंजय मंत्र की उपासना का महत्व भी स्पष्ट किया गया हैं. महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से साधक को किस प्रकार के फल प्राप्त हो सकते है. इसका विश्लेषण भी इस आले... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 13248
कब्ज (सभी रोगों की जड़) आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा प्रणालियों का मानना है की कब्ज आँतों में बसने वाला वह शैतान है जो अनेक प्रकार के रोगों को जन्म देता हैं और कब्ज के रहते किसी भी रोग का उपचार सुनिश्चित नहीं हो सकता. कब्ज निम्न आंत्र संस्थान से संबंधित रोग... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 8870
स्व-प्रबंधन ही मूलमंत्र है हमारे अस्तित्व के तीन स्तर है- स्थूल –शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण – शरीर। स्थूल शरीर दिक्काल की परिघटना है। यह जन्म लेता है। जीवित रहता है, और फिर मर जाता है। इसके दो घटक होते है। पार्थिव और प्राण। हम में से बहुत से लोग उर्जावान हो... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 9341
चौघडिया काल मुहूर्त देखने की पद्वति अति प्राचीन कला से प्रचलन में है। मुहूर्त का प्रमुख आधार समय होता है। समय का परिमाप जानने के लिए वर्ष, माह, दिन, घंटे, मिनट का पैमाना होता है। वर्तमान समय में अब सभी जगह घंटे, मिनट, सेकेन्ड का प्रयोग होने ल... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 7404
लाभदायक वास्तु सामग्री आज के इस आधुनिक युग में मकान या दुकान की प्राप्ति बहुत मुश्किल से ही पाती हैं, यदि होती भी है तो उसे पुन: तोड़कर वास्तु सम्मत बनाना संभव नहीं हो पाता हैं। ऐसे में यदि मकान, आफिस, दुकान या इंडस्ट्री में कहीं आसतु दोष हो तो नीचे वर्... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 8758
जन्म लग्न द्वारा रोग और रत्न धारण से रोग निवारण शास्त्रों के अनुसार लग्नेश का रत्न धारण करना व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृद्धि करता है. जन्म कुंडली का लग्न भाव शरीर, स्वभाव, रूप, गुण आदि का कारक भाव होता है. प्रत्येक लग्न के लिए लग्नेश का रत्न सर्वथा शुभ फल देता है. इस लेख मे... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 25671
शिक्षा का महत्व् एवं उच्च शिक्षा जब कुंडाली में पंचमेश तथा नवमेश बली होकर केंद्र या त्रिकोण में हों, तथा दोनों का द्वादशेश से युति या दृष्टि सम्बन्ध हो और पंचमेश, नवमेश तथा द्वितीयेश के नवांश में यदि द्वादशेश पड़ता हो, तो डोनेशन के द्वारा नामांकन होता है। ... और पढ़ेंफ़रवरी 2008व्यूस: 25883
हस्तरेखा व विवाह योग समाज में एक भ्रान्ति है की जितनी संख्या में यह रेखाएं होगी, जातक के उतने ही विवाह होंगें. ऐसे अनेकानेक लोग है. जिनकी हथेली में एक से अधिक विवाह रेखाएँ है, किन्तु उनका विवाह या तो एक ही बार हुआ, या हुआ ही नहीं......... और पढ़ेंजुलाई 2009व्यूस: 37260
भाग्य वृद्धि के लिए ज्योतिष एवं वास्तु की उपयोगिता का चयन किसी जातक को भाग्यवृद्धि हेतु उपाय वास्तु के अनुसार करने चाहिए या ज्योतिष आधार पर। प्रस्तुत है एक सामयिक चर्चा।... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 11578