जातक की कुंडली के चार त्रिकोण हाथ की रेखाएं व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का आईना होती है. हाथ की रेखाओं और चिन्हों के माध्यम से व्यक्ति की समस्याओं का सहजता से समाधान किया जा सकता है. जन्मकुंडली की तरह हाथ की रेखाओं में भी त्रिकोण होंते है, ये त्रिकोण अपना विशेष ... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 10638
आचार्य सूर्यदेव के परम शिष्य हनुमान असंख्य उज्जवल किरणों से सुशोभित पुंज तथा ऊर्जा के भण्डार सूर्य देव हमारे सनातन और प्रत्यक्ष देवता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य ब्रह्म स्वरूप है। यह चराचर जगत की आत्मा है, अंधकार और अज्ञान का नाश करने वाले है। ... और पढ़ेंअप्रैल 2008व्यूस: 15605
मृत्यु उपरान्त संस्कारिक क्रियाएँ जब घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तब हिंदू मान्यता के अन्सुआरा मुख्यत: चार प्रकार के संस्कार कर्म कराए आजाते है. मृत्यु के तुरंत बाद, चिता जलाते समय, तेरहवीं, एक समय व बरसी के समय हिंदू धर्म में मान्यता है की मृत्यु के पश्... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 163705
मधुमेह रोग आज हर दस में से चार व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित मील जाएंगे। ऐसा नहीं हिया, की यह रोग बड़ी आयु (६०- ७०) वर्ष के लोगों को ही होता है। यह नवजात शिशु से लेकर छोटे – बड़े, सभी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 11464
बहुत गुण है शंख में शंख नाद का अपना एक विशेष महत्व हैं। इसके गुणों के बारे में आधुनिक वैज्ञानिकों को कोई भी संदेह नहीं। इस शंख ध्वनी को सुनकर विश्वविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ। जगदीश चन्द्र बोस अचानक अचम्भित रहे गए थे। ... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 8471
क्यों होता है अधिक मास भारतीय पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद मास हैं। इनका आरम्भ ३ अगस्त को होगा तथा समाप्ति ३० सितम्बर को होगी। अधिक भाद्रपद मास का आरम्भ प्रथम भाद्रपद मास के द्वितीय पक्ष से होगा तथा यह द्वितीय भाद्रपद के प्रथम पक्ष के अंत तक रहेगा।... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 8310
शनि सूर्य संबंध सूर्य शनि पिता पुत्र है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य शनि एक साथ हो तो उस व्यक्ति को सरकारी कार्यो में बाधा आ सकती हैं ऐसे जातक को समय समय पर आत्मविश्वास में वृद्धि के उपाय करते रहना चाहिए।... और पढ़ेंनवेम्बर 2011व्यूस: 25844
देवस्थान तिरूपति बालाजी भारत में हिन्दुओं के विभिन्न पवित्र स्थलों में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाला यह देवस्थान अप्रतिम है। यह पर्यटन की दृष्टि से भी मनमोहक है। प्रस्तुत है तिरूपति बाला जी मन्दिर का इतिहास, महत्व, संरचना एवं कैसे जाया जाए से संबंधित महत्... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 9240
भावों का एक साथ प्रभाव देखने का ढंग लाल-किताब पद्वति में कई भावों के प्रभावों का एक साथ अध्ययन किया जाता है और फलित देखा जाता हैं. इस सूत्र में इसका विस्तार से विचार किया गया हैं. मान लें , खाना नं. १ में कोई एक या एक से ज्यादा ग्रह हैं. लग्न के ग्रहों को लाल-किताब ... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 7817
प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह के जीवन पर अंक ५ का प्रभाव अंक ५ प्रधानमंत्री डा। मनमोहन सिंह के जीवन को दिशा देता रहा है और आज भी दे रहा है। उनकी जन्मतिथि २६ सितंबर १९३२ है। जिसका योग २३ होता है। पुन: इन दोनों अंकों का योग २+३ = ५ होता है। उनके प्रथम नाम के अक्षरों का योग भी ५ है। उनकी म... और पढ़ेंसितम्बर 2008व्यूस: 7835
श्री यंत्र की साधना श्री यंत्र शिव व् शिवा का विग्रह यंत्र है। विद्या व धन की प्राप्ति के लिए श्री यंत्र की साधना की जाती है। श्री यंत्र ताम्र पत्र पर सपाट व् रजत स्वर्ण आदि पर कूर्माकार या सुमेरु पर्वत के सामान ऊपर से उठे हुए आकार का मिलता है।... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 12261
गुर्दों के रोग-अशुद्ध रक्त का संकट गुर्दे मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंग है, जिनका मुख्य कार्य रक्त को शुद्ध करने का है. शरीर में कोशिकाओं को, अपना कार्य संपन्न करने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है, तो अवशेष के रूप में नाइट्रोजन रह जाते है, गुर्दे इस नाइट्रोजन को छ... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 16406