शारदीय नवरात्र व्रत चैत्र आषाढ़, आश्विन तथा माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्र व्रत होता है। इनमें संपूर्ण मनोरथ पूर्ण करने वाली सृष्टि स्थिति और संहार कार्य में संलग्न, सभी प्राणियों व् देवताओं की जननी, सगुण-निर्गुण एवं कल्याणम... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 8142
अग्नि तत्व राशि षष्ट भाव में सूर्य वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली का षष्ट भाव रोग, ऋण, चिंता का भाव है. छठा भाव त्रिक भाव है, शास्त्रों में इस भाव कों दुस्थानों में रखा गया है. और शास्त्रों में सूर्य कों क्रूर ग्रह माना गया है. षष्ट भाव का सम्बन्ध सूर्य से होने... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 17005
अंक विज्ञान के अनुसार धन संबंधी कार्य कब करें भाग्यांक द्वारा आप अपनी आर्थिक स्थितियों एवं गतिवधियों को सुनियोजित कर सकते है। अर्थात धन संबंधी कार्य उस दिन या उस समय करें जो भाग्यांक के अनुकूल हो। धन संबंधी कार्यों के लिए भाग्यांक निकालने के लिए जन्म दिन और जन्म समय को।... और पढ़ेंसितम्बर 2008व्यूस: 10386
क्या आप जानते हैं? - गुरु हमारे सोलर सिस्टम का विशालतम ग्रह है। यह इतना विशाल है कि इसमें 1300 पृथ्वियां समा सकती हैं। - गुरु का द्रव्यमान 18, 98, 130, 000, 000, 000, 000 विलियन किलोगा्रम (317.83, x Earth). गुरु का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 3... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 9161
अग्नि तत्व राशि सप्तम भाव में सूर्य सप्तम भाव जीवन साथी का भाव है. सप्तम भाव से वैवाहिक जीवन की स्थिति, जीवन साथी का आचार-विचार, जीवन साथी का स्वभाव, व्यापार, साझेदारी व्यापार का विश्लेषण किया जा सकता है. अगर किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में अग्नि तत्व राशि और उ... और पढ़ेंजुलाई 2009व्यूस: 24553
गृह सुख योग मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं तीन हैं- रोटी, कपड़ा और मकान। दो मूलभूत आवश्यकताएं तो कुछ प्रयास से प्राप्त हो आ जाती है, लेकिन तीसरी अर्थात मकान की प्राप्ति सभी को नहीं होती है। जन्म कुंडली में जिन शुभ ग्रह योगों के कारण जातक सरलता ... और पढ़ेंदिसम्बर 2006व्यूस: 8498
दुर्भाग्य कारक है केमद्रुम योग केमद्रुम योग के बारे में प्राचीन ग्रंथों में अलग–अलग मत है लेकिन सभी का फल समान बताया गया है. अर्थात यह योग जातक के लिए साधारणतया अत्यंत अशुभ होता है. किन्तु कई बार ऐसा भी होता है की कुंडली में इस योग के होने पर भी जातक कों बहुत अ... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 11883
त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय कुछ लोग एक ही समय पर हर देवी-देवता की पूजा करते हैं। वे हर तरह के तत्व को शक्तिवान कर लेते हैं परन्तु जीवन भर दुःखी रहते हैं। कारण यह है कि उन्होंने त्रिक भावों में स्थित विपरीत ग्रहों को भी जागृत कर लिया है।... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 8226
त्रिक भावों में ग्रहों का फल छठे भाव को ‘उपचय’ भाव भी कहा जाता है। उपचय का अर्थ है गतिशील। छठे घर में स्थित ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव बहुत तेज रफ्तार के साथ होता है। यह भाव मनुष्य के मानसिक संताप, दुश्मनी, बीमारी, ननिहाल परिवार, नौकरी, रखैल, भूतबाधा, कर्ज़ औ... और पढ़ेंअकतूबर 2013व्यूस: 9914
चमत्कारी प्रयोग हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए के लिए एक विशेष अनुष्ठान प्रयोग किया जाता है. प्रयोग करने से व्यक्ति कों मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. यह उपाय मंगलवार के दिन किया जाता है. प्रयोग के दिन ब्रह्मा मुहूर्त मेंया सूर्यास्त स... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 27044
कुछ उपयोगी टोटके राहु द्वादश में हो तो जातक अपने साथ होने वाले लड़ाई-झगड़े, मुकदमे आदि से परेशान रहता है. इन सबसे बचाव के लिए जातक कों खाना अपनी रसोई में बैठकर खाना चाहिए. पत्नी से कभी झगड़ा नहीं करना चाहिए. साथ ही अपने शयन कक्ष में हनुमान........ और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 9966
दशमहाविद्या यन्त्र एवं संपूर्ण महाविद्या यन्त्र दस महाविद्याओं की उपासना विभिन्न शक्ति विग्रहों के रूप में की जाती हैं। जबकि पराशक्ति जो नित्य तत्व है और हमेशा वर्तमान स्थिति में रहकर विश्व का संचालन करती हैं। उसकी उपासना यन्त्र रूप में करने पर सर्व श्रेष्ठ फल देती हैं।... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 15069