गृह निर्माण एवं सुख समृद्धि का वास्तु गृह निर्माण व् वास्तु सम्मत नियमों का समावेश करने से जीवन को और अधिक सुखी एवं समृद्धि बनाया जा सकता हैं। इस आलेख में लेखक ने गृह निर्माण के लिए भूमि चयन व् गृह निर्माण की इन्हीं बारीकियों को उजागर करने का प्रयास किया हैं।... और पढ़ेंदिसम्बर 2012व्यूस: 11454
हस्तरेखा द्वारा ग्रह स्थिति ज्ञान हस्त रेखाओं व लक्षणों के आधार पर जन्मपत्री का निर्माण किया जा सकता है. प्राचीन आचार्यों ने हस्त रेखा द्वारा जन्म पत्री की विधियां बताई है. जैसे अगर किसी का हाथ चपटा या वर्गाकार हो तो व्यक्ति का जन्म लग्न चर हो सकता है........ और पढ़ेंजुलाई 2009व्यूस: 20925
हस्त रेखा द्वारा भविष्य फल जिन लोगों की दो या दो स अधिक रेखाएं होती है। उनके एकाधिक विवाह की संभावनाएं नहीं होती है। तो जीवन में दो या दो से अधिक महराव आते है। जिनमें जीवनचर्या, परिचय क्षेत्र, स्थान कार्य, व्यवसाय आदि भी बदल सकते है। ... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 11078
रुद्राक्ष का शिव से संबंध रुद्राक्ष भगवान शिव प्रदत प्रकृति का अनुपम उपहार है। रुद्राक्ष शब्द की निष्पति संस्कृत के दो शब्दों से हुई है-रूद्र और अक्ष “ अक्ष “ का तात्पर्य आशुतोष भगवान शिव की उस कल्याणकारी दृष्टि से है जो धारण करने वाले का पथ निर्बाध एवं नि... और पढ़ेंफ़रवरी 2007व्यूस: 7392
पितृ दोष रहस्य: लक्षण एवं शमन भारतीय ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक व् मंगल को रक्त का कारक माना गया हैं। अत: जब जन्मकुंडली में सूर्य या मंगल, पाप प्रभाव में होते है तो पितृ दोष का निर्माण होता हैं। पितृ दोष वाली कुंडली में समझा जाता है की जातक अपने पूर्व ज... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 29331
लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूप धन की कामना हर व्यक्ति के मन में होती है। हर व्यक्ति धन के पीछे भागता है और धनार्जन का हर संभव प्रयास करता है। धन की देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना के पीछे यही कामना प्रबल होती है। इसलिए उनके विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 7961
शकुन शास्त्र में काक तंत्र विचार कौओं के प्रकार : शकुन शास्त्र के अनुसार कौओं की पांच प्रजातियां मनाई गई हैं। ब्राहमण, वैश्य, शूद्र तथा अन्त्यज. ब्राहमण काक-जिस कौए का शरीर लम्बा व् भारी, लम्बी चोंच, लम्बा मुख, गंभीर शब्द और अत्यंत श्यामवर्ण होता हैं। वह ब्राहमण ... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 41014
बुध रत्न पन्ना-प्रकृति व ज्योतिषीय स्वरूप हरे रंग की प्राकृतिक आभा से युक्त पत्थर पन्ना, संस्कृत मने हरित्मानी, मरकत पाची, गरुत्मत सोपर्नी आदि नामों से भी संबोधित किया जाता हैं. अत: अपनी गुण- विशेषी विशिष्टताओं व सुन्दर स्वरूपों के फलस्वरूप सदियों से ... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 17704
लग्नस्थ ग्रहों कों दर्शाती हाथ की रेखाएं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का लग्न भाव जातक के व्यक्तित्व की रूपरेखा दर्शाता है. लग्न भाव शरीर भाव है. इस भाव में स्थित ग्रह, भाव स्थित राशि और इस भाव से दृष्टि सम्बन्ध बनाने वाले ग्रहों के स्वभाव अनुसार जातक का स्वभाव ... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 11073
हस्त मुद्रा चिकित्सा मानव-शरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है। शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है, जिसे करने से शारीरिक स्वास्थ्य लाभ में सहयोग प्राप्त होता है। हस्त-मुद्रा-चिकित्सा के अनुसार हाथ तथा हाथों की अंगुलियों और अंगुलियों से बनने वाले मुद्राओं म... और पढ़ेंदिसम्बर 2013व्यूस: 16567
आयु विशेष पर लाल किताब आधारित फलादेश कुछ लोग सूर्य देव को इस विद्या के जनक मानते है तो कुछ अन्य सूर्य के सारथी अरुण को इसका आदि आचार्य मानते है। उनके अनुसार लंकापति रावण ने सूर्य भगवान के सारथी अरुण से यह विद्या ग्रहण की थी। लाल किताब उर्दू शैली में प्रकाशित है। ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 13541
क्या काल सर्प योग से मुक्ति नहीं? यह सच है कि जिन लोगों कि कुंडलियों में राहू और केतु के मध्य अन्य ग्रहों कि ऐसी स्थिति होती है। उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए अन्य जातकों कि तुलना में अधिक श्रम करना पडता है। और ऐसा भी देखने में आता है कि जातकों को जीवन।... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 8181