लाल किताब एवं ग्रह दोष के चमत्कारिक उपाय लाल किताब एक ऐसा ग्रन्थ है जो प्राचीन भारतीय ज्योतिष से बहुत कुछ भिन्न होने पर भी ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मूल रूप से उर्दू में लिखी गई है। पंजाब प्रदेश के विद्वान ज्योतिषियों ने लाल किताब के सरल उपायों का ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 16015
जगद्गुरु शंकराचार्य आधुनिक भारत में भारतीय वेदांत दर्शन के इस परम ज्ञान का प्रचार प्रसार करने में महाबुद्धिमान, प्रकांड विद्वान और अति दुर्लभ उदार मानवतावादी संत अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का योगदान अतुलनीय है... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 10017
श्राद्ध पक्ष-पितर ऋण मुक्ति मार्ग समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री पशु, सुख और धन धान्य प्राप्त करता हैं। देवकार्य से भी पितर कार्य का विशेष महत्व हैं। देवताओं से पितर... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 11150
सर्वौपयोगी कृपा यन्त्र श्री काली माता कृपा यन्त्र साक्षात चामुंडा का स्वरोप है, जिसने देव-दानव युद्ध में देवताओं को विजय दिलाएं। काली अपने आराधक को अपार शक्ति देकर सबल और सक्षम बनाती हैं। शक्तिहीन को बन प्रदान करती हैं।... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 7549
ग्रह स्थिति एवं व्यापार मासारंभ में गुरु ग्रह का मिथुन राशि में उदित होना तथा वक्री गति के शनि से और राहु से नव पंचम योग में रहना तथा मंगल ग्रह से द्विद्वादश योग में रहना कुछ प्रांतों में उपद्रवी लोगों के उपद्रवी व हिंसक कार्यों में वृद्धि करेगा जिससे जन... और पढ़ेंजुलाई 2013व्यूस: 5747
शनि को ध्याइये सदा सुख पाईय नवग्रहों में शनि वास्तव में एक कर्मप्रधान, सात्विक, निष्पक्ष और न्याय प्रिय ग्रह हैं। इस कारण देवों के देव महादेव ने उसको मनुष्यों के ‘कर्मों का निर्णायक बनाया है, और यथोचित पुरस्कार अथवा दंड देने का अधिकार दिया है। संसार का प्रत्... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 8971
झंझावातों के बीच भारत भारत देश की जन्म कुंडली के अनुसार 15.08.1947 को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में था जिसके स्वामी शनि हैं। इसलिए भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी। वर्तमान समय में सूर्य की महादशा में शनि की अन्तर्दशा 25.06.2013 तक रहेगी। ... और पढ़ेंनवेम्बर 2012व्यूस: 7362
बारहवें भाव में सूर्य, चंद्र एवं मंगल का फल एवं उपाय बारहवां घर खुले आकाश का, व्यय का तथा मोक्ष का भाव है। सूर्य सूर्य आत्मा का कारक है। बारहवें घर में बैठा सूर्य अवचेतन मन में पड़े हुए उन दुखों और सुखों का संकेत देता है जो पिछले जन्म की घटनाओं ने अवचेतन मन में डाल दिये होते हैं।... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 16668
“पशु बनाम “मनुष्य” मुखाकृति अध्ययन महिष आकृति वाले लोग कुछ घमंडी होते है। उनके लग्न में मंगल या शनि हो सकता है। अथवा दोनों का संबंध भी हो सकता है। क्रोध की अवस्था में वे कभी–कभी आक्रमण भी करते है। ऐसे लोग प्राय: सैनिक सिपाही होते है। किन्तु वे । ... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 7663
कुछ उपयोगी टोटके यदि व्यवसाय में निरंतर घाटा हो रहा हो, तो शुक्ल पक्ष क प्रथम सोमवार या पूर्णिमा को एक जटायुक्त नारियल लाला सूती वस्त्र में लपेट कर उसे मौली से बाँध दें। ईश्वर से व्यवसाय में प्रगति की प्रार्थना करें। और वस्त्र में बंधा नारियल अपने... और पढ़ेंअप्रैल 2008व्यूस: 17086
सफल हनुमान साधना के नियम वर्तमान युग में हनुमान साधना तुरंत फल देती है. इसी कारण ये जन-जन के देव माने जाते है. इनकी पूजा-अर्चना अति सरल है. इनके मंदिर जगह-जगह अति सरल है. इनके मंदिर जगह-जगह स्थित है. अत: भक्तों कों पहुँचाने में कठिनाई भी नहीं आती है....... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 19987
राहू-केतु कि दशाओं का फल किसी भही जातक को राहू अथवा केतु कि दश-अंतर्दशा का फल कुंडली में उसकी स्थितयों, भावों एवं अन्य ग्रहों के संबंधों पर निर्भर करता है। राहू जब शुभ प्रभाव में हो तो अपनी दशा में जातक कि भलाई, धन एवं यश कि वृद्धि होती है। ... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 34889