शनि के फलों का विभिन्न दृष्टियों से अध्ययन शास्त्रों में वर्णन है की शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, आयु प्रधान, नपुंसक, तमोगुणी और पुरुष प्रधान गृह है। इसका वाहन गिद्ध है। शनिवार इसका दिन है। स्वाद कसैला तथा प्रिय वस्तु लोहा है। शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प,... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 46375
व्रत-उपवास की अन्तर्निहित धारणा व्रत शब्द वैदिक धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की एक अनूठी दें है। चारों वेदों, ब्रह्माण ग्रंथों, मनुस्मृति एवं साहित्यिक ग्रंथों में व्रत शब्द अनेक बार आया है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में व्रत प्रतिज्ञा – पालन और दुर्गणों का परित्याग कर ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 9837
फलित ज्योतिष में सूर्य का महत्व जन्मकुंडली में सूर्य के बल के मुताबिक जीवन में शक्ति होती है। आइए जानें अग्नि तत्व राशियों में सूर्य का जीवन पर प्रभाव... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 7599
ऊर्जा का स्त्रोत -नवरत्न किसी भी सजीव या निर्जीव वस्तु में किसी एक कंपनशक्ति की अधिकता होती हैं। तथा किसी एक कंपनशक्ति की कमी होती हैं इसी प्रकार मनुष्य में जन्म के समय ग्रहों की दशा के अनुसार इनमें से किसी कंपनशाकी की अधिकता या कमी पायी जाती हैं। इसी प्र... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 9293
वृक्षारोपण संबंधी कुछ विशिष्ट बातें प्रकृति द्वारा प्रदत पंचमहाभूत जिस प्रकार हमारे लिए उपयोगी है। उसी प्रकार पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है। पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है। जिस प्रकार हमारा शारीर अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश से मिलकर ब... और पढ़ेंअकतूबर 2011व्यूस: 12106
व्यावसायिक वास्तु के ४२ सूत्र व्यापारिक संस्थान के मालिक को दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण पश्चिम में इस प्रकार बैठना चाहिए की उसका मुंह उतर या पूर्व की और हो। दूकान व् शोरूम में बिक्री का सभी सामान दक्षिण, पश्चिम एवं वायव्य में रहना चाहिए। बिक्री काउंटर पर खड़े सेल्स... और पढ़ेंदिसम्बर 2008व्यूस: 6984
गरुढ़ व्रत गरुढ़ व्रत एक दिव्य व्रत है. यह किसी भी पूर्णमासी से प्रारंभ किया जा सकता है. किन्तु मार्गशीर्ष की पूर्णिमा से शुरू कर इसे एक वर्ष तक करने की विशेष महिमा है. एक वर्ष तक करने की विशेष महिमा है. एक वर्ष पूरा हो जाने पर पुन: मार्गशीर्... और पढ़ेंदिसम्बर 2008व्यूस: 7075
ऐसे प्रकट हुईं मां दुर्गा शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गए हैं। वास्तव में ये नौ रूप दुर्गा के गुणवाचक नाम हैं जिनका अपना अलग-अलग महत्व है। वास्तव में दुर्गा की उत्पत्ति दुष्टों के संहार हेतु समस्त देवताओं द्वारा हुई। देवताओं ने अपनी-अपनी शक्ति देकर ... और पढ़ेंअकतूबर 2013व्यूस: 1035
कैसे बने वास्तु अनुरूप विद्यालय विद्यालय का निर्माण वास्तु के सिद्धांतों इ अनुरूप करना चाहिए। ताकि छात्र मेधावी तथा सफल हों। किन्तु खेद्जनक बात यह है की आजकल इस दिशा में बहुधा इन सिद्धांतों की अनदेखी की जाती है। फलत: अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते है ... और पढ़ेंदिसम्बर 2008व्यूस: 14769
हाथों में हनुमान समाए फिर शनि से क्यों भय खाए जब हम हाथ की रेखाओं में ग्रहों का विश्लेषण करते है तो बल, बुद्धि, विद्या के प्रदाता मंगल ग्रह का विशेष विचार करते है. हनुमाना जी कों मनागल का ही दूसरा रुप माना जाता है. हनुमान की शांति, बुद्धि, कर्मशीलता और स्वामिभक्ति से सभी भलीभ... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 10622
श्रीयंत्र : शिव शक्ति का साक्षात विग्रह श्री यन्त्र से सभी शक्तिसाधक सामान्य रूप से परिचित हैं। परन्तु श्रीचक्र का वैदिक सन्दर्भ के साथ साथ क्या वैज्ञानिक आधार हैं और आदि शक्ति का स्वरूप क्या है तथा शक्ति के विभिन्न अवतारों के क्या हेतु रहे हैं, इसका शास्त्रीय और विद्वत... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 9574
आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे अश्वगंधा तथा बहेड़े के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनायें। प्रातः सायं दो-दो गोली गरम पानी के साथ खाने से हृदय-शूल नहीं होता। ... और पढ़ेंफ़रवरी 2012व्यूस: 6936