हस्तरेखाओं से जानें अकाल म्रत्यु की संभावनाएं शास्त्रों ने अनुसार शुभ कर्म, साधना, उपासना आदि कार्य कर अपनी आयु में वर्द्धि कर सकता है. सामान्तया प्रत्येक व्यक्ति लंबी आयु की इच्छा रखता है, परन्तु कई बार हाथों की रेखाओं में बनने वाले योग, व्यक्ति की मनोइच्छाओं के आड़े आ जाते ह... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 8662
आखिर क्या है श्राद्ध एवं पितृ दोष ? भारतीय संस्कृति में माता पिता को देवता तुल्य माना जाता है। इसलिए शास्त्र वचन है कि पितरों के प्रसन्न होने पर सारे देव प्रसन्न हो जाते हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाला मनुष्य अपने पितरों के अलावा ब्रह्म, र... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 12761
शनि शत्रु नहीं मित्र भी शनि की साढ़ेसाती एवं ढैय्या (लघु कल्याणी) को लेकर तथा कथित ज्योतिषियों ने इतनी भ्रांतियां फैला रही है। की प्रत्येक जातक भयभीत होने पर मजबूर हो जाता है। जबकि वास्तविकता ऐसी नहीं है। आईए, पहले शनि के स्वरूप एवं गुण । ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 14219
84 रत्न: एक नजर में 84 प्रकार के रत्न शास्त्रों में बताये गए है. इनमें से कुछ रत्न आज दुर्लभ है. सभी रत्न अपना विशेष महत्व रखते है. रत्न की संक्षिप्त जानकारी इस लेख में दी गई है. प्रस्तुत लेख से रत्नों से परिचय करने में सहयोग मिलेगा........ और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 21817
कैसे करें रत्नों का चयन किसी भी व्यक्ति कों रत्न धारण करने से पूर्व, रत्न का भार, ग्रहों की निर्बलता व शुभता कों ध्यान में रखते हुए रत्न धारण किये जाते है. शास्त्रों में ग्रह शांति के उपाय के रूप में भी रत्नों कों धारण किया जाता है. परन्तु रत्न भी तभी सर... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 13224
फल निर्णय में नक्षत्र की भूमिका महत्वपूर्ण ज्योतिष को वेदों की आंखे कहा गया है। और यह ज्योतिर्विदों पर निर्भर करता है की वे किसी जन्म पत्रिका का विश्लेषण किस प्रकार करते है, और क्या फलादेश करते है। ज्योतिष ज्ञान का महासागर है, जिसमें जो जितना गहरे जाता है उतना ही अमूल्य खज... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 30470
आपकी राशि-आपका खान-पान मेष राशि इस राशि वाले लोगां को गरमा गर्म और मसालेदार भोजन अधिक पसंद है। अचार, चटनी, पापड़ इत्यादि भी इनकी पहली पसंद है। ठंडा और फीका भोजन आपका मिजाज बिगाड़ सकता है इसलिए आपको स्वस्थ तन व मन के लिए ताजा व गर्म भोजन ही करना पसंद है।... और पढ़ेंजनवरी 2014व्यूस: 10000
लहसुनिया लहसुनिया रत्न केतु रत्न है. लहसुनिया रत्न कों कई नामों से जाना जाता है. इसके कुछ नाम वैदूर्य, विडालाक्ष, केतु रत्न, सूत्रमणि है. लहसुनिया धारण करने से दुःख: दरिद्रता: व्याधि, भूत बाधा व नेत्र रोग नष्ट होते है. प्रस्तुत लेख में लहस... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 13865
गोमेद गोमेद रत्न राहु ग्रह का रत्न है. जन्म कुंडली में लग्न या त्रिकोण भावों में राहू का आधिपत्य हो तो, जातक के लिए गोमेद रत्न विशेष लाभकारी रहता है. कन्या राशि और कन्या लग्न के व्यक्तियों के द्वारा रत्न धारण करने से व्यक्ति का मन प्रसन... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 24898
वास्तु में जन्म तिथि का महत्व पिछले सप्ताह पं0 जी तथास्तु द्वारा आयोजित वैलनेस एक्सपो में आन्टैरियो, कनाडा गए। वहां पर एक बहुत बड़े प्रख्यात व्यापारी के घर जाने का अवसर मिला। उनके विदिषा घर के सामने दक्षिण-पष्चिम में एक बहुत भारी पत्थर का फव्वारा जमीन पर बना ह... और पढ़ेंनवेम्बर 2013व्यूस: 6670
लग्नानुसार रत्न चयन धरती के आँचल में प्राप्त होने वाले आभावान पत्थरों को रत्न कहा जाता हैं. रत्न बड़े प्रभावशाली होते हैं. यदि लग्नेश व् योगकारक ग्रहों के रातों को अनुकूल समय में उचित रीति से जाग्रत कर धारण किया जाएं तो वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकत... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 14026
पीलिया यकृत कोशिकाओं की विकृति पीलिया रोग का सम्बंध यकृत से है. ज्योतिष में कुंडली के द्वादश भावों में यकृत का सम्बंध पंचम भाव से है. इस आलेख में लग्न के अनुसार पीलिया रोग होने के ज्योतिषीय योगों का सरल वर्णन किया गया हैं. ... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 11434