परमात्म स्वरूपा: महाशक्ति मां दुर्गा देवी-देवताओं को जब स्वरचित सृष्टि की मर्यादा की रक्षार्थ युगों-युगों में अपनी अलौकिक योगमाया का आश्रय लेकर पुरुष या स्त्रीरूप में पैदा होना पड़ता है. जब पुरुष वेश में अवतार लेते है, तब जगत उनकी ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि ... और पढ़ेंमार्च 2012व्यूस: 8134
बगलामुखी साधना में ध्यान बगलामुखी साधना के समय ध्यान योग्य बातें जिसको अपनाकर साधक अपनी साधनापूर्ण कर शत्रु पर विजय प्राप्त कर लेता है।... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 9179
मुहूर्त विचार धार्मिक संस्कारों व् सामजिक परम्पराओं से जुड़े भारतीय अपने समस्त कार्य मुहूर्त निकलवा कर करते हैं। फलित ज्योतिष के अनुसार गणना करा के निकाला गया कालखंड मुहूर्त कहलाता हैं। दिन व् रात मिलाकर २४ घंटे के समय में, दिन में १५ व् रात्रि ... और पढ़ेंअकतूबर 2012व्यूस: 58317
संकट मोचक का प्रादुर्भाव भक्त शिरोमणि हुनमान का नाम लेने से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं। उनकी जन्म कथा कई रहस्यों से भरी है। भूख लगी तो सूर्य को निगलने दौड़ पड़े, संजीवनी बूटी न मिली तो पर्वत ही पूरा उखाड़ लिया, आइए जानें, ऐसे तेजस्वी और बलशाली हनुमान का जन... और पढ़ेंआगस्त 2013व्यूस: 8481
हनुमान के तीन रूप हनुमान जी जब संजीवनी पर्वतखंड उठाकर आकाश-मार्ग से उतर-दिशा की ओर उड़ चले, तब उनका एक ही रूप श्रीराम की सेवा में रह गया. संयोग से उसी समय देवर्षि नारद विना की मधुर झंकार करते हुए तथा मुख से “ नारायण “ का उच्चारण करते हुए श्रीराम...... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 18061
शंखों की उत्पति और महिमा पूजा अनुष्ठान तथा अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर शंखनाद किया जाता है. शंखनाद से आसपास के हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते है. इस बात कों विद्वानों ने प्रयोग करके सिद्ध कर दिया है. अक्सर देखा गया है की नित्य शंखनाद करने वालों का स्वास... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 9094
सौभाग्य शयन व्रत त्रिलोकेश्वर शिव एवं शक्तिरूपा पार्वती की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए सौभाग्य शयन व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को किया जाता है। प्रस्तुत है इस व्रत का महात्म्य... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 5274
पवनपुत्र हनुमान जी के जन्म प्रसंग भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र अंजनी पुत्र हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर विधमान है. उनकी आराधना उपासना से बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते है. प्राचीन ग्रंथों में महावीर हनुमान के जन्म के अनेक प्रसंग है जिनका संक्षिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत ह... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 16083
वर्षफल मुंथा जिस राशि में स्थित होती है, उस राशि के स्वामी को मुन्थेश कहा जाता है. मुंथा की तरह मुन्थेश फल का भी विचार करना चाहिए. यदि मुन्थेश और अष्टमेश वर्ष कुंडली में एक साथ स्थित हों, तो वर्ष में म्रत्यु तुल्य कष्ट होता है... और पढ़ेंदिसम्बर 2009व्यूस: 22511
महामृत्युंजय मंत्र व्याख्या, भावार्थ व उपयोगिता महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है. उसकी अकाल, मृत्यु से रक्षा होती हैं. साथ ही अग्नि, जल वाहन आदि से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव होता हैं. किसी व्यक्ति को अगर कोई सर्प या बिच्छू काट लेता है, तो यह मंत्र... और पढ़ेंमई 2009व्यूस: 9276
शेयर बाजार में मंदी-तेजी ग्रहों की गोचर स्थिति सूर्य 13 फरवरी को 2 बजकर 12 मिनट पर मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करेगा। मंगल 4 फरवरी को 14 बजकर 23 मिनट पर कन्या राशि से तुला राशि में गोचर करेगा। बुध 7 फरवरी को 3 बजकर 12 मिनट पर वक्री गति से गोचर करेगा। 9... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 5755
शंख स्थापना, उपयोग व महत्व शास्त्रों में शंख कों निधि माना गया है. इसे घर में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ स्थापित करने से पारिवारिक सुख-समृद्धि प्रबल होती है, तथा अनिष्टों का शमन होता है. पूजा, अनुष्ठान, यज्ञ तथा तांत्रिक क्रियाओं में विशेष उपयोग किया जा... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 26560