संवत्सर एक पर्व

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत वर्ष पर्वों त्योहारों की संस्कृति का देश है जिसमें अनेकों धर्म के लिए अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। हम पर्व की बात करें तो हम ज्योतिषियों के लिए तो हमारे संवत्सर पर्व से बड़ा और कोई पर्व हो ... और पढ़ें

दिसम्बर 2013

व्यूस: 6564

संकल्प, विनियोग,न्यास ध्यानादि का महत्व

किसी भी धार्मिक कृत्य, पूजा-पाठ व मंत्र आदि के जप से पूर्व होने वाली सूक्ष्म क्रियाओं संकल्प, विनियोग, न्यास व ध्यान आदि से आम जन सामान्यतः अनभिज्ञ होता है। इसलिए इस आलेख में इन आवश्यक क्रियाओं के महत्व पर प्रकाश डालने का प्रयास क... और पढ़ें

नवेम्बर 2013

व्यूस: 37206

वायव्य कोण बंद, खुशियों में विलंब

प्लाट का मुखय द्वार दक्षिण-पूर्व, पूर्व में बना था जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पुत्र को कष्ट व आपसी सामंजस्य की कमी रहती है। ... और पढ़ें

जनवरी 2012

व्यूस: 5862

शारदीय नवरात्र व्रत

सीता हरण के समय की बात है. भगवान श्री राम सीता विरह से अत्यन्त व्याकुल थे. उन्होंने भ्राता लक्ष्मण से कहा- सौमित्र | जानकी का कुछ भी पता न चला. उसके बिना मेरी म्रत्यु बिलकुल निश्चित है. जानकी के बिना अयोध्या में मै पैर ही न रख सकू... और पढ़ें

सितम्बर 2009

व्यूस: 8974

नव रत्न - एक विहंगम दृष्टिपात

माणिक्य- सूर्य रत्न माणिक्य सूर्य के शुभ फल प्राप्ति हेतु धारण किया जाता हैं. विभिन्न स्थानों से प्राप्त माणिक्य के रंगों में अंतर होता हैं. कबूतर के रक्त के सामान रंग वाला माणिक्य अधिक मूल्यवान होता हैं. बर्मा का माणिक्य अपना विश... और पढ़ें

मई 2012

व्यूस: 12461

रक्षा बंधन : भाई –बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक

भाई बहन के पावन प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन दोनों के आपसी प्रेम की दृढता को प्रकट करता है। भाई-बहन का प्रेम एक दूसरे को ऐसी शक्ति प्रदान करता है जिससे मुश्किल से मुश्किल परिस्थितयां भी अनुकूल हो जाती है। यह पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णि... और पढ़ें

आगस्त 2007

व्यूस: 11382

अग्नि तत्व राशि चतुर्थ भाव में सूर्य का फल

वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में सूर्य पिता, आत्मा, अनुशासन का कारक ग्रह कहा गया है. किसी व्यक्ति की कुंडली में जब सूर्य मेष, सिंह और धनु राशि में हों और सूर्य की स्थिति लग्न से चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति को प्राप्त होने वाले फल कुछ ... और पढ़ें

अप्रैल 2009

व्यूस: 15700

श्री हनुमान जी और ऊँकार

ऊं पूरी सृष्टि का केंद्र बिंदु है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश, इसी ऊँकार में समाए हुए है. इस तरह ऊँकार ही सम्पूर्ण सृष्टि में स्पंदन पैदा करने वाला तत्व है. जिस प्रकार निराकार ब्रह्मा का वाचक साकार रूप के अन्सुआरा ऊंकार का प्रतीक है.... और पढ़ें

सितम्बर 2009

व्यूस: 11354

हीरा

सभी रत्नों में हीरा विशेष रूप से अपनी चमक और आकर्षण के लिए जाना जाता है. हीरा व्यक्ति कों सुख, ऐश्वर्य, राजसम्मान, वैभव, विलासिता आदि देने में सक्षम होता है. हीरा रत्न के सभी शुभ प्राप्त करने से पहले कुंडली का परिक्षण करा लेना चाह... और पढ़ें

जून 2009

व्यूस: 12663

पीतांबरा माता बगलामुखी

शास्त्रों में बगलामुखी ब्रह्मास्त्र विद्या, स्तंभनकारिणी और पीतांबरा माता के नाम से जानी जाती है। यह दस महाविद्याओं में अष्टम महाविद्या है। पीतांबरा बगलामुखी माता लगान की भांति दुश्मनों को खींचकर उन्हें घोड़ों की तरह स्तब्ध कर देती... और पढ़ें

मार्च 2008

व्यूस: 19750

Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business

लोकप्रिय विषय

करियर बाल-बच्चे चाइनीज ज्योतिष दशा वर्ग कुंडलियाँ दिवाली डऊसिंग सपने शिक्षा वशीकरण शत्रु यश पर्व/व्रत फेंगशुई एवं वास्तु टैरो रत्न सुख गृह वास्तु प्रश्न कुंडली कुंडली व्याख्या कुंडली मिलान घर जैमिनी ज्योतिष कृष्णामूर्ति ज्योतिष लाल किताब भूमि चयन कानूनी समस्याएं प्रेम सम्बन्ध मंत्र विवाह आकाशीय गणित चिकित्सा ज्योतिष Medicine विविध ग्रह पर्वत व रेखाएं मुहूर्त मेदनीय ज्योतिष नक्षत्र नवरात्रि व्यवसायिक सुधार शकुन पंच पक्षी पंचांग मुखाकृति विज्ञान ग्रह प्राणिक हीलिंग भविष्यवाणी तकनीक हस्तरेखा सिद्धान्त व्यवसाय पूजा राहु आराधना रमल शास्त्र रेकी रूद्राक्ष श्राद्ध हस्ताक्षर विश्लेषण सॉफ्टवेयर सफलता मन्दिर एवं तीर्थ स्थल टोटके गोचर यात्रा वास्तु परामर्श वास्तु दोष निवारण वास्तु पुरुष एवं दिशाएं वास्तु के सुझाव स्वर सुधार/हकलाना संपत्ति यंत्र राशि
और टैग (+)