2016 में गोचर, बाजार एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था

2016 में गोचर, बाजार एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था  

शाम धिंगरा
व्यूस : 4099 | जनवरी 2016

जिस प्रकार किसी जातक की कुंडली में लग्न, ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव रहता है और गोचरवश ग्रहों की स्थिति, महादशा और अंतर्दशा में कोई जातक आर्थिक प्रगति करता है अथवा अवनति की ओर अग्रसर होता है ठीक उसी प्रकार किसी भी देश की कुंडली के आधार पर नवग्रह उसके शेयर बाजार को नियंत्रित करते हैं। ग्रहों के आधार पर ही किसी समय विशेष पर किसी उद्योग विशेष में प्रगति होती है और मंदी-तेजी आती है।

जो ग्रह शुभ और सकारात्मक प्रभाव लिये होते हैं उनसे प्रभावित कंपनियों के शेयर्स में तेजी देखने को मिलती है और अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाले ग्रहों से प्रभावित कंपनियों के शेयर में मंदी का रुख रहता है। जो ग्रह नीच राशियों में होते हैं और शत्रु ग्रहों से दृष्ट होते हैं उनके प्रभाव वाली कंपनियांे के शेयर्स में अस्थिरता की स्थिति रहती है। सूर्य और चंद्र विशेष रूप से सरकारी कंपनियांे, सोना-चांदी, माणिक, दुग्ध, कृषि आधारित उद्योगों, एविएशन, विदेशी व्यापार अर्थात आयात-निर्यात को प्रभावित करते हैं।

मंगल और शनि तांबा, बिजली, भूमि, पावर, रेल, आॅटोमोबाइल, ट्रान्सपोर्ट, लेबर, लोहा, स्टील, हैवी मशीन, होटल, खान- पान, पुलिस और सेना के सामान बनाने वाली कंपनियों को प्रभावित करते हैं। शनिदेव सेबी की नीतियों और नियमांे को भी निर्धारित करते हैं। बुध ग्रह पन्ना, बैंक, शेयर ट्रेडिंग, बीमा, मार्केटिंग, सलाहकार, चार्टर्ड एकाउटेंट आदि व्यापारिक कंपनियों को प्रभावित करते हैं।

बृहस्पति ग्रह सोना, पीतल, शिक्षा, प्रकाशन, समाचार पत्र, राजनैतिक संस्थाओं, अनुसंधान और ज्ञान-विज्ञान तकनीक पर आधारित कंपनियों को प्रभावित करते हैं। शुक्र विलासिता, सौंदर्य प्रसाधन, दवाईयां, हाॅस्पिटल, शराब, गहने, फिल्म, माॅडलिंग,हीरे-मोती, वस्त्र, इलेक्ट्राॅनिक्स उद्योग की कंपनियों पर असर दिखाते हैं। राहु-केतु टेलीकाॅम, कम्प्यूटर, इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी, विमान तकनीक, इन्फाॅर्मेशन, सूचना एवं प्रसारण, कानून और न्याय व्यवस्था इत्यादि से संबंधित कंपनियों पर असर दिखाते हैं।


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प्रत्येक जातक जो भी शेयर बाजार, मुद्रा एवं कमोडिटी में व्यापार करते हैं उनकी व्यक्तिगत कुंडली में स्थित ग्रहों और उनकी गोचर की स्थिति उस व्यापार में उनकी सफलता, असफलता को दर्शाती है इसलिए इस व्यापार में सफलता को जिस प्रकार किसी जातक की कुंडली में लग्न, ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव रहता है और गोचरवश ग्रहों की स्थिति, महादशा और अंतर्दशा में कोई जातक आर्थिक प्रगति करता है

अथवा अवनति की ओर अग्रसर होता है ठीक उसी प्रकार किसी भी देश की कुंडली के आधार पर नवग्रह उसके शेयर बाजार को नियंत्रित करते हैं। ग्रहों के आधार पर ही किसी समय विशेष पर किसी उद्योग विशेष में प्रगति होती है और मंदी-तेजी आती है। जो ग्रह शुभ और सकारात्मक प्रभाव लिये होते हैं उनसे प्रभावित कंपनियों के शेयर्स में तेजी देखने को मिलती है और अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाले ग्रहों से प्रभावित कंपनियों के शेयर में मंदी का रुख रहता है।

जो ग्रह नीच राशियों में होते हैं और शत्रु ग्रहों से दृष्ट होते हैं उनके प्रभाव वाली कंपनियांे के शेयर्स में अस्थिरता की स्थिति रहती है। सूर्य और चंद्र विशेष रूप से सरकारी कंपनियांे, सोना-चांदी, माणिक, दुग्ध, कृषि आधारित उद्योगों, एविएशन, विदेशी व्यापार अर्थात आयात-निर्यात को प्रभावित करते हैं। मंगल और शनि तांबा, बिजली, भूमि, पावर, रेल, आॅटोमोबाइल, ट्रान्सपोर्ट, लेबर, लोहा, स्टील, हैवी मशीन, होटल, खान- पान, पुलिस और सेना के सामान बनाने वाली कंपनियों को प्रभावित करते हैं।

शनिदेव सेबी की नीतियों और नियमांे को भी निर्धारित करते हैं। बुध ग्रह पन्ना, बैंक, शेयर ट्रेडिंग, बीमा, मार्केटिंग, सलाहकार, चार्टर्ड एकाउटेंट आदि व्यापारिक कंपनियों को प्रभावित करते हैं। बृहस्पति ग्रह सोना, पीतल, शिक्षा, प्रकाशन, समाचार पत्र, राजनैतिक संस्थाओं, अनुसंधान और ज्ञान-विज्ञान तकनीक पर आधारित कंपनियों को प्रभावित करते हैं। शुक्र विलासिता, सौंदर्य प्रसाधन, दवाईयां, हाॅस्पिटल, शराब, गहने, फिल्म, माॅडलिंग,हीरे-मोती, वस्त्र, इलेक्ट्राॅनिक्स उद्योग की कंपनियों पर असर दिखाते हैं।

राहु-केतु टेलीकाॅम, कम्प्यूटर, इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी, विमान तकनीक, इन्फाॅर्मेशन, सूचना एवं प्रसारण, कानून और न्याय व्यवस्था इत्यादि से संबंधित कंपनियों पर असर दिखाते हैं। प्रत्येक जातक जो भी शेयर बाजार, मुद्रा एवं कमोडिटी में व्यापार करते हैं उनकी व्यक्तिगत कुंडली में स्थित ग्रहों और उनकी गोचर की स्थिति उस व्यापार में उनकी सफलता, असफलता को दर्शाती है इसलिए इस व्यापार में सफलता को निश्चित करने के लिए देश के साथ-साथ जातक की कुंडली का भी अध्ययन कर लेना लाभप्रद रहता है

क्योंकि अनेकों बार यह स्थिति सामने आती है कि शेयर बाजार, मुद्रा और कमोडिटी का प्रदर्शन तो सकारात्मक होता है परन्तु जातक को लाभ प्राप्ति नहीं होती है और इसके विपरीत जब बाजार का प्रदर्शन नकारात्मक रहता है कुछ जातक अपने निवेश से अच्छा खासा लाभ कमाने में सफल रहते हैं क्योंकि वह जातक या तो मंदड़िया प्रवृत्ति के होते हैं और पूर्व में बिकवाली करके चलते है अथवा उनके निवेश में विपरीत परिस्थतियों में भी वृद्धि का योग बन जाता है।


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जानते हैं ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है कि जातक की कुंडली में सट्टा, जुआ और तेजी-मंदी के व्यापार से लाभ प्राप्ति का योग सदैव विद्यमान रहता है अन्यथा वह हमेशा किसी कुशल ज्योतिषीय सलाहकार की मदद से व्यापार करते हैं। वर्ष 2016 में भारत वर्ष की कुंडली में नवग्रहों का गोचर में संचार हमारे देश के शेयर बाजार, मुद्रा, कमोडिटी और अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करेगा, उसका ज्योतिषीय अवलोकन और पूर्वानुमान यहां प्रस्तुत है, चलिए पहले हम भारत वर्ष की कुंडली का अवलोकन कर लेते हैं।

वर्ष के आरम्भ के समय सूर्य धनु राशि में होंगे, चन्द्रमा राहु के साथ कन्या में, मंगल तुला में, बुध मकर में, गुरु सिंह में, शुक्र शनि के साथ वृश्चिक में और केतु मीन राशि में होंगे। वर्ष के प्रारम्भ में ही 9 जनवरी को राहु और केतु क्रमशः सिंह एवं कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे और राहु और गुरु 11 अगस्त तक सिंह राशि में युति करेंगे तत्पश्चात गुरु कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और वर्षांत तक विद्यमान रहेंगे।

शनि वर्ष भर वृश्चिक राशि में रहेंगे, मंगल तुला राशि से यात्रा प्रारभ करके वर्षांत में मकर राशि में विद्यमान रहेंगे, सूर्य, बुध एवं शुक्र सभी 12 राशियों में भ्रमण करेंगे। चन्द्रमा हर माह सभी राशियों में होकर गुजरेगा। भारत वर्ष की चन्द्र कुंडली में गुरु पूर्वार्ध में द्वितीय भाव में राहु के साथ होंगे और उत्तरार्ध में तृतीय भाव में गोचर करेंगे। शनि पूरे वर्ष पंचम भाव में गोचर करेगा। धन भाव में राहु-गुरु की युति चण्डाल योग बनाएगी जिसके फलस्वरूप रूपये का अवमूल्यन होगा तथा विदेशी मुद्रा सशक्त होगी।

पंचम का शनि भाग्योदय और प्रगति को शनैः शनैः गति प्रदान करेगा जिसके प्रभावस्वरूप पूर्वार्ध में डॉलर और पौंड के मुकाबले रूपये के मूल्य में गिरावट देखने को मिलेगी। इसलिए किसी भी विदेशी मुद्रा में आरम्भ में निवेश लाभप्रद रहेगा लेकिन मध्य के बाद रुपया मजबूत होगा इसलिए समय रहते लाभ कमाना ठीक निर्णय रहेगा, काले धन के खुलासे होंगे लेकिन विदेशों में जमा काले धन की वापसी प्रक्रिया शिथिल हो जाएगी। बैंकांे के फ्राॅड सामने आएंगे, राजनीतिज्ञों के फ्राॅड भी खुलेंगे।

दुःखद यह रहेगा कि सत्ताधारी और विपक्ष दोनों राष्ट्रीय सम्पत्ति से खिलवाड़ करते दिखेंगे। राष्ट्रहित के कार्यों में रुकावटें आएँगी। विपक्ष द्वारा सत्तापक्ष का विरोध, आर्थिक और राजनैतिक पतन की ओर लेकर जायेगा। बजट में भी नवीन उत्पादन वृद्धि के स्थान पर करों में वृद्धि पर अधिक जोर दिया जायेगा। सरकारी खर्चों में अनावश्यक वृद्धि होगी।

महंगाई नियंत्रण पर भी सरकार पूर्णतः सफल नहीं होगी और राष्ट्रीय उत्पाद भी आशा के अनुरूप कम रहेगा। मांग में कमी और निवेश एवं लिक्विडिटी का अभाव कमोडिटी मार्केट में शिथिलता लाएगा, कमोडिटी के मूल्यों में भी निरंतर गिरावट बनी रहेगी और बाजार नकारात्मक रुख लेकर चलेगा। ऐसी मंदी की स्थिति में सोना, चांदी, काॅपर, एल्युमिनियम, निकेल और क्रूड आॅयल में दीर्घकालीन निवेश लाभदायक रहेगा परन्तु सूर्य के सकारात्मक प्रभाव से सोने-चांदी में अप्रैल और अक्टूबर में तेजी का योग बनने की प्रबल आशा रहेगी।


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उस समय लाभ कमाना ठीक रहेगा क्योंकि पुनः गिरावट पर निवेश के अवसर मिलेंगे। वर्षभर में सोने-चांदी के मुकाबले क्रूड आॅयल, काॅपर, एल्युमिनियम और निकेल में निवेश से लाभ प्राप्ति के योग अधिक बनेंगे। स्टील में इस वर्ष सबसे अधिक सकारात्मक रुख बनेगा इसलिए स्टील में प्रत्येक गिरावट पर निवेश से अत्यधिक लाभ की संभावना रहेगी।

शेयर बाजार में भी नवीन कीर्तिमान बनने की आशा नहीं रहेगी और बाजार एक दायरे में ही कारोबार करेगा लेकिन सकारात्मक यह रहेगा की आयात में कमी आएगी और निर्यात में वृद्धि होगी,विदेशी निवेश में तीव्रता आएगी जिससे उत्तरार्ध में स्थिति में सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे, आरम्भ में मेटल, पावर, रियल्टी, इंफ्रा के शेयर्स अत्यधिक कम मूल्यों पर मिलने की आशा रहेगी।

ऐसे में ै।प्स्ए ज्।ज्। ैज्म्म्स्ए श्रैॅ ैज्म्म्स्ए छज्च्ब्ए च्ज्ब्ए स्-ज्ए ठभ्म्स्ए ब्व्छब्व्त्ए ळव्क्त्म्श्र च्त्व्च्ए त्म्स्प्।छब्म् प्छथ्त्।ए त्म्स्प्।छब्म् प्छक्न्ैज्त्प्म्ै में निवेश उचित निर्णय रहेगा। बैंकांे और वित्तीय संस्थानों में विशेष गिरावट की आशा रहेगी। ऐसे में सरकारी बैंकों विशेष कर ैठप्ए च्छठए ठ।छज्ञ व्थ् ठ।त्व्क्।ए ठ।छज्ञ व्थ् प्छक्प्।ए न्छप्व्छए व्त्प्म्छज्।स् ठ।छज्ञ में निवेश कर सकते हंै क्योंकि शीघ्र ही इनमें तेजी का रुख नजर आएगा।

गत वर्ष की तुलना में प्रकृति का रुख सकारात्मक नजर आता है,बारिश और मौसम सकारात्मक संकेत दे रहे हैं जिससे कृषि उत्पादों में वृद्धि से खाद्य पदार्थों की महंगाई में कमी आएगी इसलिए अनाज और दालों में गत वर्ष की तुलना में लाभ की आशा बहुत कम रहेगी। उनमें अत्यधिक निवेश निकारक सिद्ध हो सकता है। मंगल के शुभ प्रभाव से रेलवे, वायुसेवा और सड़क परिवहन में विशेष प्रगति की आशा रहेगी जिससे फरवरी के अंतिम सप्ताह में इनके शेयर्स में अप्रत्याशित तेजी की आशा रहेगी।

ऐसे में ज्ञ।स्प्छक्प् त्।प्स्ए ज्प्ज्।ळ।क्ए ब्व्छब्व्त्ए प्छक्प्ळव्ए श्रम्ज् ।प्त्ए ैच्प्ब्म्श्रम्ज्ए ैभ्त्म्म्त्।ड ज्त्।छैच्व्त्ज् के शेयर में बिकवाली करना ठीक रहेगा। मार्च में बाजार में एफ. एमसी. जी., उपभोक्ता पदार्थ और कृषि आधारित उद्योग में तेजी की आशा रहेगी ऐसे में ठत्प्ज्।छछप्।ए क्।ठन्त्ए छम्ैज्स्म्ए ळस्।।ग्व्ए ड।त्प्ब्व्ए म्प्क् च्म्त्त्ल्ए ठ।स्त्।डच्न्त् ब्भ्प्छप् के शेयर में लाभ कमाना ठीक रहेगा।

पेट्रोल/तेल मार्केटिंग कम्पनियों में भी गत वर्ष की तुलना में न्यूनतम लाभ की आशा रहेगी इसलिए किसी भी नवीन निवेश के बदले बिकवाली और लाभ कमाने की नीति पर चलना उचित निर्णय रहेगा। मेडिसीन और हॉस्पिटल उद्योग में गत वर्ष की तुलना में लाभ की आशा कम रहेगी इसलिए प्रत्येक तेजी पर लाभ कमाना ठीक रहेगा क्योंकि पुनः गिरावट पर निवेश के अवसर मिलेंगे। टेलीकॉम, मीडिया और इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलॉजी, ई-काॅमर्स में प्रत्येक गिरावट पर दीर्घकालीन निवेश से लाभ प्राप्ति की आशा रहेगी।

शराब, सिगरेट और गुटका उद्योग में भी अगस्त तक अस्थिरता की स्थिति रहेगी लेकिन उसके पश्चात वर्ष भर तेजी की आशा रहेगी। मुद्रा एवं शेयर के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिष्ठित महानुभावांे को ईश्वर कमोडिटी, मुद्रा और शेयर बाजार में लाभ कमाने के अनंत अवसर प्रदान करें। इन्हीं शुभकामनाओं सहित आप सब का नव वर्ष शुभ मंगलमय, सुख-समृद्धि एवं लाभ से परिपूर्ण रहे।

नोटः उपरोक्त फलादेश ग्रह स्थिति पर आधारित है, इसका उद्देश्य पाठकों का मार्गदर्शन करना है। कोई भी निर्णय लेने से पहले बाजार को प्रभावित करने वाले अन्य कारणों पर भी ध्यान दंे। सट्टा खेलने की प्रवृत्ति, निर्णय में गलती एवं निजी भाग्यहीनता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए लेखक, सम्पादक एवं समाचार पत्र की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।



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