उच्च चिकित्सा शिक्षा

आज के युग में आजीविका प्राप्त करने में अत्यंत प्रतियोगिता है। क्योंकि नौकरियां कम है और बेरोजगार अत्याधिक है। यहां भी अर्थशास्त्र की मांग और पूंजी का नियम लागू होता है। साधारण शिक्षा जैसे एम.ए. , एम.कॉम, एम.एस-सी, के क्षेत्र में र... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरशिक्षाभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याव्यवसाय

अप्रैल 2009

व्यूस: 10865

कारकांश लग्न से डॉक्टर बनने के योग

''जैमिनी सूत्रम्'' के श्लोक नं. 87 के अनुसार यदि कारकांश लग्न में शुक्र या चंद्र हो और वहां स्थित चंद्र को बुध देखता हो तो जातक डॉक्टर होता है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगजैमिनी ज्योतिषग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याव्यवसाय

जुलाई 2009

व्यूस: 8151

ललाट के प्रकार एवं उस पर अंकित रेखाओं से भविष्यज्ञान

प्राचीन समय से जैसे हाथ की रेखाओं, चिह्नों आदि से भविष्य ज्ञात करके भविष्यवाणी की जाती है, उसी प्रकार यदि रेखा शास्त्री शरीर के अन्य अंगों के विषय में जानकार होता है तो भविष्यवाणी काफी सटीक होती है। वास्तव में शरीर के अन्य ... और पढ़ें

ज्योतिषग्रहमुखाकृति विज्ञानभविष्यवाणी तकनीक

मार्च 2016

व्यूस: 13679

कैरियर निर्धारण में एकादशांश कुंडली का महत्व

ज्योतिष को वेदों की आंख की संज्ञा दी गई है। ज्योतिष शास्त्र मनुष्य के जीवन की वह ज्योति है जो उसके आने वाले समय के बारे में इंगित करता है। हमारा विषय है कैरियर निर्धारण इसके ज्ञान के लिए हमें कुंडली के 12 भावों का अध्ययन करना आवश्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 11679

चंद्राष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

भारतीय ज्योतिष में फलकथन हेतु अष्टकवर्ग विद्या की अचूकता व सटीकता का प्रतिशत सबसे अधिक है। अष्टकवर्ग विद्या में लग्न और सात ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध् गुरु, शुक्र और शनि) को गणना में सम्मिलित किया जाता है।... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

जनवरी 2009

व्यूस: 11752

सुख लक्ष्मी तथा राज योग

मनुष्य के जीवनकाल में इस सुख के लिए अनेकानेक रीतियाँ देखने में आती हैं कोई मनुष्य राजा सम्मत बन सम्मान, ऐश्वर्य प्राप्त करता है, कितने ही लोग व्यापार आदि में प्रवीण होकर कई देशों का वाणिज्य सूत्र अपने हाथ में लेकर अगाध ध् ान प्राप... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्यामेदनीय ज्योतिष

जनवरी 2014

व्यूस: 11311

कारकांश लग्न और आप

कारकांश लग्न और आप

किशोर घिल्डियाल

कारकांश लग्न के आधार पर व्यक्ति विशेष के बारे में फलादेश आज के युग में समयानुसार परिवर्तन के साथ समझे जा सकते हैं। (1) कारकांश लग्न में सूर्य व राहु की युति हो व शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति विषवैद्य अर्थात चिकित्सक होता है। (... और पढ़ें

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जुलाई 2012

व्यूस: 13287

मंगल-मंगल भी, अमंगल भी

मंगल-मंगल भी, अमंगल भी

शिव प्रसाद गुप्ता

मंगलकारी ग्रह 'मंगल' को जन्मकुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भावों में होने पर अमंगली होने का दोष लग जाता है। भारतीय ज्योतिष में मांगलिक दोष सर्वाधिक चर्चा का विषय है। क्योंकि यह दोष जातक के विवाह में विलंब, तलाक य... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

अप्रैल 2011

व्यूस: 12149

धन, पद और प्रतिष्ठा की हानि : कब और क्यों ?

इस आलेख में लेखक ने अपनी प्रभावशाली कलम से उन योगों और दशाओं का विस्तृत वर्णन किया है जिनके कारण जातक के धन, पद व यश की हानि होती है।... और पढ़ें

ज्योतिषसंपत्तिज्योतिषीय योगदशागोचरग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याव्यवसाय

जनवरी 2010

व्यूस: 9547

ग्रहों पर राशियों का प्रभाव

ग्रहों के स्वभावानुसार उनके बलाबल को निश्चित करने में ग्रहों द्वारा अधिष्ठित राशि बहुत महत्व रखती है। दूसरे शब्दों में ग्रहों की कार्य प्रणाली, ग्रहों द्वारा अधिष्ठित राशि के तत्वों, राशि कार्य की रीति या ढंग तथा राशि ... और पढ़ें

ज्योतिषग्रह

जुलाई 2014

व्यूस: 13456

बुधाष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

अष्टकवर्ग का नियम है कि कोई भी ग्रह स्वराद्गिा या उच्च का क्यों न हो, तभी अच्छा फल दे सकता है जब वह अपने अष्टकवर्ग में 5 या 5 इससे अधिक बिंदुओं के साथ हो क्योंकि तब वह ग्रह बली माना जाता है। अतः यदि बुध ग्रह बुधाष्टकवर्ग में 5 या ... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

अकतूबर 2009

व्यूस: 13351

राहु-केतु का राशि परिवर्तन

ज्योतिष में नव ग्रह ही फलित ज्योतिष का मुख्य आधार है जो बारह राशियों में सदा भ्रमणशील रहते हैं। इन ग्रहों के गोचरीय भ्रमण से ही प्रत्येक प्राणी के जीवन में विभिन्न उतार-चढ़ाव या शुभ-अशुभ घटनायें समय-समय पर घटती हंै। नव ग्रहो... और पढ़ें

ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2016

व्यूस: 12063

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