मोटापा: राशि और उपाय संजय बुद्धिराजामेष यह अग्नि तत्व राशि है और इसका स्वामी मंगल ग्रह है। ऐसे जातक गर्म और मसालेदार खाना पसंद करते हैं। मांसाहारी खाना अधिक खाते हैं। आयुर्वेद अनुसार इनमें पित्त अधिक रहता है। मोटापे से राहत के लिये इन्हें तरल पदार्थ अधिक पीना... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यग्रहराशिभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणमई 2017व्यूस: 6939
कुंडली के विभिन्न भावों में केतु का फल अजय भाम्बीप्रथम भाव केतु यदि प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति रोगी, चिन्ताग्रस्त, कमजोर, भयानक पशुओं से परेशान तथा पीठ के कष्ट का भागी होता है। वह अपने द्वारा पैदा की गई समस्याओं से लड़ने वाला, लोभी, कंजूस तथा गलत लोगों का चयन करने के कारण... और पढ़ेंज्योतिषग्रहघरराशिभविष्यवाणी तकनीकमई 2014व्यूस: 38384
विभिन्न लग्नों में सप्तम भावस्थ गुरु का प्रभाव एवं उपाय मनोज कुमार शुक्लापौराणिक कथाओं में गुरु को भृगु ऋषि का पुत्र बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु को सर्वाधिक शुभ ग्रह माना गया है। गुरु को अज्ञान दूर कर सदमार्ग की और ले जाने वाला कहा जाता है।... और पढ़ेंज्योतिषउपायग्रहघरराशिभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2013व्यूस: 40369
पं. लेखराज शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा आभा बंसलजीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलकर हम उनके चमत्कारी व्यक्तित्व से अत्यंत प्रभावित होते हैं। उनकी विशेषता गुण व् कार्य प्रणाली इस हद तक चमत्कारिक होती हैं। की उनके आगे नतमस्तक होने को मन चाहता हैं।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगजैमिनी ज्योतिषग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्यामार्च 2013व्यूस: 68957
विभिन्न भावों में मंगल का फल अजय भाम्बीजन्मकुंडली के प्रथम भाव में मंगल जातक को साहसी, निर्भीक, क्रोधी, किसी हद तक क्रूर बनाता है, पित्त रोग का कारक होता है तथा चिड़चिड़ा स्वभाव वाला बनाता है। उसमें तत्काल निर्णय लेने की क्षमता होती है तथा वह लोगों को प्रभावित करने तथा अ... और पढ़ेंज्योतिषग्रहघरभविष्यवाणी तकनीकजून 2013व्यूस: 42191
कुंडली के द्वादश भावों में बृहस्पति का फल प्रेम प्रताप विजसभी जानते हैं कि बृहस्पति ग्रह, समस्त ग्रह पिंडों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय होने के कारण, गुरु अथवा बृहस्पति के नाम से जाना जाता है। यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है और, सूर्य को छोड़ कर, सभी अन्य ग्रहों से बड़ा है। इस... और पढ़ेंज्योतिषग्रहघरभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2004व्यूस: 43851
उच्च नीच के ग्रह क्यों और कैसे होते हैं? फ्यूचर पाॅइन्टज्योतिष में रुचि रखने वाले उच्च/ नीच के ग्रहों से रोजाना मुखातिब होते हैं और ग्रहों की इस स्थिति के आधार पर फलकथन भी करते हैं। शाब्दिक परिभाषा के आधार पर ‘उच्च’ का तात्पर्य सामान्य स्तर से ऊँचा और ‘नीच’ का तात्पर्य सामान्य ... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 51789
क्या और कैसे होते हैं-उच्च, नीच, वक्री एवं अस्त ग्रह दयानंद शास्त्रीउच्च तथा नीच राशि के ग्रह भारतवर्ष में अधिकतर ज्योतिषियों तथा ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च तथा नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है कि अपनी उच्च राशि में स्थित ग्रह सदा शुभ फल दे... और पढ़ेंज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीकअप्रैल 2015व्यूस: 46760
व्यवसाय का निर्धारण तिलक राजहमारे जन्मांग चक्र में विभिन्न भावों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष चार भागों में बांटा जाता है। 1, 5, 9 धर्म भाव, 2, 6, 10 अर्थ भाव, 3, 7, 11 काम भाव और 4, 8, 12 मोक्ष भाव है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरशिक्षाभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याअप्रैल 2009व्यूस: 61464
नकसीर अविनाश सिंहजब नाक से खून बहने लगता है तो इसी अवस्था को नकसीर कहते हैं। नकसीर विशेष कर गर्मियों के मौसम में होती है। गर्मियों के दिनों में गर्मी के कारण धमनियों पर अधिक दबाव पड़ने से नाक से खून बहने लगता है। कई बार बहने वाले रक्त की मात्रा स... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यग्रहभविष्यवाणी तकनीकचिकित्सा ज्योतिषमई 2016व्यूस: 5519
ग्रहों के अशुभ प्रभाव देते हैं हृदय विकार फ्यूचर पाॅइन्टआज हृदय रोगियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। हमारे खान-पान एवं जीवन शैली के अतिरिक्त जन्मकुंडली में स्थित ग्रहों का प्रभाव भी हृदय पर पड़ता है। हृदय रोग के ज्योतिषीय कारक क्या हैं, जानने के लिए पढ़िए यह आलेख...... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यग्रहभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2006व्यूस: 5734
मधुमेह रोग में ग्रहों की भूमिका पुष्पित पाराशरज्योतिष वेद का नेत्र है तथा फलित उस नेत्र की ज्योति है। अध्ययन, ज्ञान ही ज्योति स्वरूप है। ज्योति को जानने वाला ज्योतिषी है। यह अत्यन्त कठिन एवं संवेदनशील विज्ञान है। ज्योतिष के माध्यम से हम घटनाओं का आकलन कर सकते हैं। सभी व्यक्... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यग्रहहस्तरेखा सिद्धान्तज्योतिषीय विश्लेषणजुलाई 2016व्यूस: 5483