दीपावली पर करें मंत्र एवं यंत्र सिद्धि

दीपावली पर करें मंत्र एवं यंत्र सिद्धि  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 21023 | अकतूबर 2008

दीपावली पर करें मंत्र एवं यंत्र सिद्धि दीपावली की रात विधिपूर्वक भोजपत्र, रजत, स्वर्ण या ताम्रपत्र पर निम्न यंत्र बनाकर मंत्र का जप करने से अभीष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं। दी पावली की रात्रि सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखती है। इस कार्य के लिए निश्चित काल या अर्द्धरात्रि में स्थिर लग्न में निम्न यंत्रों की सिद्धि की जा सकती हैं।

मंत्र श्री लक्ष्मी जी का विधिपूर्वक पूजन कर कमलगट्टे की माला से निष्ठापूर्वक नीचे दिए गए मंत्र का 11 या 21 हजार बार जप कर दशमांश हवन व उसके पश्चात् कन्याओं को भोजन कराने से श्री लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है- ¬ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री ¬ महालक्ष्म्यै नमः।

लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मंत्र: ¬ ह्रीं श्री घण्टाकर्णी नमोऽस्तुते ठः ठः ठः स्वाहा। या ¬ लक्ष्मी वं श्री कमला धारं स्वाहा। यह घंटाकर्ण लक्ष्मी प्राप्ति का मंत्र है। इस मंत्र का 11 माला जप नियमित रूप से करने से लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घंटाकर्ण लक्ष्मी की पूजा लाल फूल, लड्डू, नारियल आदि से की जाती है।

लक्ष्मी चामर मंत्र: ¬ ह्रीं महालक्ष्मी ¬ ह्रीं । इस मंत्र का केवल 5 माला जप नियमित रूप से करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। श्रीयंत्र श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र अथवा बीसा यंत्र का पंचामृत स्नान आदि कराकर पूजन करें। फिर नीचे दिए गए मंत्र का 21 हजार या सवा लाख जाप करंे, श्री गणेश एवं लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होगी- ¬ नमो विघ्न राजाय सर्व सौख्य प्रदायिने, दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परात्मने। लम्बोदरं महावीर्यम् नागयज्ञोप शोभितम्। अर्द्धचंद्र धरं देवं विघ्न व्यूह विनाशनम्। ¬ ह्रां ह्रीं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमोनमः। सर्वसिद्धि प्रदोऽसि त्वं सिद्धि-बुद्धि प्रदोभवः। चिंतितार्थ प्रवस्वहिसततं मोदक प्रियः। सिंदूरारूणवरभ्रैश्च पूजितो वरदायकम्। इह गणपति स्तोत्र च पठेद भक्ति भाव नरः। तस्यदेहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मूच्चति।’’

Book Shani Shanti Puja for Diwali

दीपावली पर यह मंत्र सिद्ध कर रोज एक माल जप करने से धन, स्वास्थ्य व सुयश की प्राप्ति होती है। बेरोजगारों को रोजगार मिलता है व व्यापारियों को व्यापार में लाभ होता है। कुबेर यंत्र इस यंत्र व श्री कुबेर जी का इस रात्रि विधिवत् पूजन तथा निम्न मंत्र का 11 या 21 हजार अथवा सवालाख बार जपकर, फिर प्रतिदिन नियमानुसार जप करने से आर्थिक स्थिति सुधार जाती है- ¬ श्रीं ¬ ींीं क्लीं श्रीं क्लीं विŸोश्वराय नमः।‘‘

कनकधारा यंत्र: कनकधारा यंत्र का नियमानुसार पूजन कर कनकधारा स्तोत्र व मंगल ऋणहर्Ÿाा स्तोत्र का पाठ करने से दुर्गा माता की कृपा से धन की चिंता दूर होती है और ऋण या कर्जा चुक जाता है। साथ ही, उधार दिया गया धन भी प्राप्त हो जाता है। पुत्र-प्राप्ति यंत्र इस यंत्र का पूजन व संतानप्रद गणपति स्तोत्र या संतान गोपाल मंत्र का जप व हरिवंश पुराण का पाठ करने से मनोकामनानुसार संतान की प्राप्ति होती है। भूत बाधा निवारण यंत्र इस यंत्र के साथ हनुमान जी या भैरव जी का पूजन कर हनुमत कवच तथा बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करने से भूत-प्रेत आदि से मुक्ति मिलती है। संकट, ज्वर, ग्रह व शत्रु कष्ट निवारण यंत्र इस यंत्र का पूजन कर महामृत्युजंय मंत्र का जप तथा संकटनाशन गणेश स्तोत्र और श्रीसूक्त का पाठ करने से अभीष्ट की सिद्धि होती है।

मुकदमे में जीत के लिए: दीपावली की रात को इस यंत्र को भोजपत्र पर नीम की कलम से लिखकर धूप, दीप, गंध आदि से उसकी पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात् निम्नलिखित मंत्र का 31 माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है।

मंत्र: ‘‘¬ नीली-नीली-महानीली (शत्रु पक्ष/जज का नाम) जीभि तालू सर्व खिली, सही खिलो तत्क्षणाय स्वाहा।।’’

धनप्रदाता सिद्ध बीसा यंत्र: दीपावली की रात को इस यंत्र को चांदी या स्वर्ण के पत्र पर उत्कीर्ण करवा कर धूप, दीप, अक्षत गंध आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। फिर महालक्ष्मी और गणेश को लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए और लाल फूलों से उनकी पूजा करनी चाहिए। फिर निम्नलिखित मंत्र का 21 मालाएं जप कर यंत्र को तिजोरी में रख देना चाहिए। 21 दिन लगातार देसी घी का दीपक श्रीं महालक्ष्मी के सामने जलाते रहें। अगर यंत्र को जेब में रखना हो तो उसे भोजपत्र पर बनाना चाहिए।

मंत्र: ¬ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय-पूरय चिंतायै दूरय-दूरय स्वाहा। सेवक वशीकरण पिशाच यंत्र: धनी लोगों को उनके सगे संबंधी, नौकर, सेवक, आदि हर प्रकार की हानि पहुंचाने की चेष्टा करते हैं ताकि धन हड़प सकंे। अगर किसी धनी व्यापारी को किसी पर भी इस तरह का संदेह हो तो दीपावली, सूर्य ग्रहण आदि में इस यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध या गोरोचन से बना लें और पूजा करने के उपरांत दही में डालकर रख दें, वह व्यक्ति किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचाएगा और सदैव आज्ञा का पालन करेगा।

श्रीनारायण बीसा यंत्र: नरक चतुर्दशी या दीपावली को प्रातःकाल कुश के आसन पर बैठकर भोज पत्र पर तुलसी की कलम या सोने अथवा चांदी के शलाका से केसर युक्त चंदन की स्याही से श्री नारायण बीसा यंत्र की रचना करें। शुद्ध घी के आठ दीपक जलाकर यंत्र को आठ पुष्प अर्पित करें। यंत्र पूजन के पश्चात् पुत्र प्राप्ति य ‘‘¬ नमो नारायणाय’’ मंत्र का आठ माला जप करें। इसके पश्चात् यदि संभव हो तो ‘श्री विष्णु सहस्रनाम या पुरुषसूक्त का एक पाठ करें।

इस विधि से सिद्ध किए हुए श्री नारायण बीसा यंत्र को घर की तिजोरी, दुकान या फैक्ट्री के गल्ले में रखें अथवा तावीज में भरकर गले में धारण करें। श्री नारायण बीसा यंत्र के प्रयोग से भगवान विष्णु की प्रसन्नता व कृपा प्राप्त होती है। श्री विष्णु की प्रसन्नता से घर में श्री लक्ष्मी जी का आगमन और वास स्वतः हो जाता है। इस यंत्र के प्रभाव से शत्रु भय और रोगादि का निवारण होता है और जीवन सुखी व समृद्ध हो जाता है।

कुबेर बीसा यंत्र: दीपावली के दिन प्रदोष काल में यह यंत्र घी और सिंदूर मिलाकर व्यापार स्थल की दीवार पर (पूर्व या उŸार दिशा में) ‘श्री धनाध्यक्षाय नमः’ का उच्चारण करते हुए बनाएं। फिर पुष्प, चंदन, धूप और दीप से इसका पूजन करें। प्रतिदिन इस यंत्र का पूजन करके व्यापार प्रारंभ करने से व्यापार में वृद्धि और धनलाभ होता है। त्र दरिद्र होने से कहीं बड़ा अभिशाप है ऋणी होना। ऋण का भार व्यक्ति को चैन से नहीं बैठने देता।

ऋण से मुक्ति हेतु दीवाली की रात्रि में एक लाल अथवा नारंगी रंग के कागज पर रक्त चंदन तथा रोली के घोल और चमेली की कलम से यह यंत्र अंकित कर लें- अब गणपति जी के भव्य रूप का ध्यान करते हुए उनकी धूप, दीप तथा रक्त पुष्प से पूजा-अर्चना करें। फिर गणपति जी को दूब चढ़ाएं।

गणपति जी को दूब चढ़ाने का विशेष महत्व है। अंत में उक्त यंत्र भी गणपति जी के चरणों में अर्पित करके ‘श्री गजानन, जय गजानन’ मंत्र का एक माला जप करें। पूजा की समाप्ति के बाद यंत्र को मोड़कर तांबे के तावीज में बंद कर लें तथा इसे सदा अपने पास रखें। उक्त मंत्र का नित्य एक माला जपकर गणपति जी से ऋण मुक्ति की प्रार्थना श्रद्धा भाव से करते रहें। कोई भी निष्ठावान व्यक्ति इस प्रयोग को करके लाभ उठा सकता है।

Book Laxmi Puja Online

धनदा यक्षिणी यंत्र धनतेरस के दिन संभव हो तो एक दक्षिणावर्ती शंख खरीद लें। शंख न हो तो किसी धातु का एक पात्र रख लें। लकड़ी के पटरे पर अथवा घर में उपलब्ध किसी स्वच्छ थाली में हल्दी के घोल से रतिप्रिया धनदा यक्षिणी यंत्र चित्रानुसार अंकित कर लें। उस पर उक्त शंख पात्र को स्थापित कर दें। शंख का पूंछ वाला अर्थात् नोकीला भाग सदैव उत्तर-पूरब दिशा में रहना चाहिए। धनतेरस से दीपावली तक एक समय निश्चित करके निम्न दो मंत्रों में से एक अथवा दोनों मंत्रों का ग्यारह माला जप नित्य करें:

1. ¬ श्री महालक्ष्म्यै नमः

2. ¬ श्री लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः

प्रत्येक जप के बाद नागकेसर मिश्रित चावल थोड़े-थोड़े करके शंख अथवा पात्र में छोड़ते रहें। अगले दो दिन इन्हीं चावलों को पुनः 11 माला जप कर शंख में छोड़ते रहें। दीवाली की पूजा में इस शंख को रखकर श्रद्धापूर्वक पूजा कर लें और फिर पूजा अथवा कार्य स्थल में किसी शुद्ध स्थान पर रख दें। इसमें श्रीफल, एक कौड़ी तथा चांदी का एक सिक्का रखकर लाल कपड़े से ढक दें। इसके बाद नित्य मंत्र जप करते रहें। पूरे वर्ष लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहेगी।

दीपावली की पूजा में रखा हुआ चांदी का सिक्का भी इस शंख अथवा पात्र में स्थापित कर सकते हैं। एक अन्य यंत्र दीपावली के दिन हनुमान जी पर चढ़ने वाला सिंदूर तथा गाय का शुद्ध घी लेकर घोल बना लें। इस घोल से अपने कार्य स्थल, पूजा स्थल आदि की उत्तर अथवा पूरब मुखी दीवार पर साथ दिया हुआ यंत्र अंकित कर लें। यदि दुकान आदि में मूल्यवान सामग्री की कोई अलमारी अथवा तिजोरी हो तो उसके पृष्ठ भाग में भी यह यंत्र अंकित कर सकते हैं। इसकी नित्य पूजा-अर्चना किया करें, शुभ फल प्राप्त होंगे।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.