प्रायः ऐसी धारणा है कि नीच
ग्रह हमेशा अशुभ फल ही देते हैं,
जबकि वास्तविकता इससे भिन्न
है। हो सकता है कुछ मामलों में
नीच ग्रह नकारात्मक परिणाम देते
हों, पर हमेशा ऐसा नहीं होता है।
उदाहरणस्वरूप हम शनि ग्रह को
लेते हैं। यह एक राशि में ढाई वर्ष
रहता है। स्वाभाविक है यह अपनी
उच्च राशि तुला में ढाई वर्ष तक
रहेगा व नीच राशि मेष में भी ढाई
वर्ष रहेगा। तो क्या इसके उच्च के
होने की अवस्था में जन्म लेने वालों
पर हमेशा शनि की कृपा बरसेगी या
शनि की नीच अवस्था में जन्म लेने
वाले पर शनि का प्रकोप बरसेगा।
व्यवहार में भी यह सामने आया है
कि जिसकी कुण्डली में शनि नीच
राशि में है, वह भी शनि से संबंधित
कामों में लाभ पाता है, जबकि उच्च
के शनि वाले जातक को भी शनि
जनित कष्टों का सामना करना पड़
सकता है।
इस प्रकार मंगल कर्क राशि में नीच
का होता है। यही मंगल ग्रह कर्क
लग्न या राशि के लिए योगकारक
ग्रह माना गया है। यह कर्क लग्न
में पंचमेश और दशमेश अर्थात केन्द्र
और त्रिकोण दोनों जगहों का स्वामी
होता है। ऐसी अवस्था में जब यह
लग्न में स्थित होगा तो नीच का तो
कहा जाएगा, लेकिन यह यहां पर
अशुभ नहीं, बल्कि विशेष योगकारक
हो जाएगा।
कई ऐसी स्थितियां भी होती हैं, जब
कोई ग्रह किसी अशुभ स्थान का
स्वामी होकर नीच का हो जाता
है और शुभ फल देने लगता है।
उदाहरण के लिए अष्टमेश का नीच
का होना अच्छा माना गया है। इस
प्रकार तमाम उदाहरण हैं, जो नीच
ग्रह को अशुभ फलदायी कहे जाने के
पक्ष में नहीं हैं।
नीच राशि के ग्रह -
1. यदि सूर्य नीच राशि तुला (7)
में हो तो, जातक पापी साथियों की
सहायता करने वाला, और नीच कर्म
में तत्पर होता है।
2. चंद्रमा नीच राशि वृश्चिक (8) का
हो तो जातक रोगी, धन का अपव्यय
करने वाला तथा विद्वानों का संगी
होता है।
3. मंगल नीच राशि कर्क (4) में हो
तो, जातक की बुद्धि कुंठित होती है,
इसके सोचे हुए कार्य अधूरे रहते हैं।
यह किसी का एहसान भूलने में देर
नहीं करता है।
4. बुध नीच राशि मीन (12) का हो
तो, जातक समाजद्रोही, बंधुओं के
द्वारा अपमानित तथा चित्रकला आदि
में प्रसिद्ध होता है।
5. गुरु नीच राशि मकर (10) का
हो तो अपनी दशा में जातक को
कलंकित करता है, तथा भाग्य के
साथ खिलवाड़ करता रहता है।
6. शुक्र नीच राशि कन्या (6) का हो
तो, जातक को मेहनत के बाद भी
धन नहीं मिलता है। इसके कारण
जातक को पश्चात्ताप होता रहता है।
7. शनि नीच राशि मेष (1) का हो
तो, अपव्ययी, मद्यपान करने वाला
तथा पर स्त्रीगामी होता है।
8. राहु नीच राशि का होने पर
जातक मुकदमे जीतने वाला, लेकिन
धन प्राप्त नहीं होता है।
9. केतु नीच राशि का होने पर
जातक मलिन मन का, दुर्बुद्धि और
कष्ट सहन करने वाला होता है।