ब्रहस्पति : देवताओं का गुरु खगोलीय, पौराणिक एवं ज्योतिषीय दृष्टिकोण सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों में बृहस्पति का पांचवां स्थान है। सूर्य से बृहस्पति की दूरी ४८३३ लाख मील है। इसका विषुवतीय व्यास ८८००० मील से कुछ ज्यादा और ध्रुवीय व्यास ८४००० मील से कुछ कम है। इसका घनत्व पृथ्वी का १२४० गुणा और... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 9025
बगलामुखी की साधना बगलामुखी तंत्र के विषय में बतलाया गया है – “बगलासर्वसिद्धिदा सर्वाकामना वाप्नुयात “ अर्थात बगलामुखी देवी का स्तवन पूजा करने वालों की सभी कामनाएं पूर्ण होती है। “ सत्ये काली क अर्थात बागला शक्ति को त्रिशक्तिरूपिणी माना गया है। ... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 16449
सम्मोहन उपचार पास्ट लाइफ का अर्थ है पिछ्ला जन्म या इस जीवन से फले का जीवन, रिगरेशन का अर्थ है याद करना या पीछे जाना तथा थिरेपी का सम्बन्ध उपचार से है अर्थात पास्ट लाइफ रिगरेशन थिरेपी उपचार की एक पद्वति हैं। जिसमें इस जीवन से पूर्व के जीवन को या... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 5628
कांवड़ : श्रावण में शिवार्चन की पावन परम्परा भगवान् शिव का अभिषेक करने की परम्परा वैदिक काल से ही चली आई हैं। संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी शिव अभिषेक तथा आराधना का परम प्रतीक हैं। हमारे मनीषी ऋषियों ने भगवान् शिव की सभी अर्चन विधि तथा कामनाएं रुद्राभिषेक में समाहित का दी हैं। ... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 6411
मानव अस्वस्थता का कारण नकारात्मक ऊर्जाएं आभा मंडल या ऊर्जा क्षेत्र उस ऊर्जा का क्षेत्र है जो हमेशा हर किसी के साथ होता है. ब्रह्मांड में प्रत्येक सजीव और निर्जीव वस्तु का अपना आभा मंडल होता है. प्रत्येक सजीव व् निर्जीव वस्तु का आभा मंडल एक ... और पढ़ेंमार्च 2012व्यूस: 10010
नैऋत्य-अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दक्षिण-पश्चिम के फर्श का लैबल बाकी सभी दिशाओं से नीचा था। जो की दुर्घटना एवं मुकदमेबाजी का कारण होता हैं। बिल्डिंग का दक्षिण-पश्चिम का कोना कटा हुआ था। जो की घर के मालिक के जीवन में खुशियों के काटने का कारण होता हैं।... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 6598
क्या हैं बंधन और उनके उपाय मानव अति संवेदनशील प्राणी है। प्रकृति और भगवान हर कदम पर हमारी मदद करते है। आवश्यकता हमें सजग रहने की है। हम अपनी दिनचर्या में अपने आस-पास होने वाली घटनाओं पर नजर रखें। और मनन करने। यहां बंधन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत है। ... और पढ़ेंसितम्बर 2006व्यूस: 58331
क्यों मनाते है। शिवरात्रि ? शिव लिंग के प्रकट होने के समयानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि महाशिव रात्रि के नाम से जानी जाती है। तथा अन्य मासों की कृष्ण चतुर्दशी शिव रात्रि के नाम से। कृष्ण चतुर्दशी शिव रात्रि के नाम से सिद्धांत रूप में सूर्योदय से सूर... और पढ़ेंमार्च 2008व्यूस: 16020
रामायण के असली नायक हनुमान बचपन से ही हनुमान कितने शक्तिशाली थे इसका परिचय उन्होंने सूर्य देव कों अपने मुख में रखकर दिया था. उनके सूर्य कों निगल लेने के बाद जब चारों ओर अंधियारा छ गया था तब उसे दूर करने और सूर्य कों मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से देवराज इन्द्... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 8707
नाग रहस्य : नाग पंचमी का सत्य श्रवण शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी भी कहते है. इस दिन सारे भारत में नागों की पूजा की जाती है. नाग पंचमी के रहस्य क्या है. इसका पौराणिक महत्व क्या है. नाग पंचमी से कौन सी कथाएँ जुडी हुई है. पढ़िए इस लेख में...... और पढ़ेंआगस्त 2011व्यूस: 23128
मशरूम (खुमी) एशिया में लंबी आयु के लिए चीन में मशरूम का इस्तेमाल वर्षों से भी ज्यादा समय से किया जाता रहा है। अब तो विश्व के लगभग सभी देशों में इसकी भीनी श्वास महक के कारण इसका सामान्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसे सभी शहरों में सुपर मार्क... और पढ़ेंदिसम्बर 2006व्यूस: 5687
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी संपूर्ण भारत में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग उपवास रखते है। शास्त्रों में बताया गया है की जो व्यक्ति जनमाष्टमी का व्रत ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 7063