अहोई अष्टमी भारतीय स्त्रियां पुत्र की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि के लिए कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत रखती है। इस दिन सारे दिन व्रत रखकर दीवार पर अष्टक का चित्र बनाया जाता है। चौक बनाकर कलश की स्थापना की जाती है। ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 5964
लग्नस्थ शनि : एक ज्योतिषीय विश्लेषण बहुत से लोग शनि के लग्न में होने मात्र से घबराते है। हर जन्मांग में शनि की स्थिति दूसरे जन्मांग से भिन्न होगी। तो वह अलग – अलग राशि और अंश पर होगी। और साथ ही, लग्न में राशि भी भिन्न होगी, या कभी कभी राशि एक होने पर भी शनि की राशि ... और पढ़ेंजुलाई 2008व्यूस: 8791
शनि ग्रह एवं हनुमान वायु तत्व प्रधान शनि मकर व कुम्भ राशियों का स्वामी है. परन्तु कुम्भ राशि में यह मूल त्रिकोणी तथा शेष में स्वगृही होता है. तुला राशि में यह उच्च का माना जाता है. इस राशि में २० डिग्री तक इसकी स्थिति परम उच्च की हो जाती है....... और पढ़ेंसितम्बर 2009व्यूस: 7793
वास्तु के अनुसार व्यवसायिक कार्य व्यवसायिक कार्य करने के लिए आयताकार या वर्गाकार भूखंड सर्वश्रेष्ठ होता हैं। आयताकार भूखंड को १:२ अनुपात से अधिक नहीं रखना चाहिए। भूखंड के दक्षिण- पश्चिम भाग की सतह ऊंचीं होनी चाहिए। दक्षिण -पश्चिम में निर्माण कार्य अधिक से अधिक कर... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 6100
यंत्र परिचय, रहस्य तथा वर्गीकरण आम आदमी के लिए यंत्र विभिन्न आकृतियों का रेखा समूह मात्र होता हैं। जबकि वास्तविकता यह है की यंत्र का प्रत्येक आकार एक विशेष देवता और तत्व की शक्ति का प्रतीक होता हैं। जिसे एक निश्चित विधि-विधान के अंतर्गत मंत्रों द्वारा जागृत करके... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 9846
हाथ मस्तिष्क का दर्पण हैं आज 'साइंस' और टैक्नोलाजी ने हमारे जीवन को परिवर्तित कर दिया है लेकिन प्रगति जन्य तनाव ने भावनात्मक स्टार पर मनुष्य को खोखला कर दिया है. विशेष रूप से युवा शक्ति को हार्ट अटैक और डायबिटीज जैसे और रोगों ने जकड ... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 7607
कांवड़ की परम्परा मुख्य रूप से उत्तर भारत में गंगाजी के किनारे के क्षेत्र के प्रदेशों में कांवड़ का बहुत महत्व हैं। राजस्थान के मारवाड़ी समाज के लोगों के यहाँ गंगोत्री, यामुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित जो जल लाते थे और प्रसाद के साथ ज... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 8546
फ़िल्म अभिनेत्री व् नृत्यांगना – वैजयंती माला फ्यूचर समाचार एक पिछ्ले अंकों में आप की विशिष्ट व्यक्तियों के जीवन काल का ज्योतिषीय विश्लेषण पढ़ चुके है। इस अंक में प्रस्तुत है प्रसिद्द फ़िल्म अभिनेत्री, नृत्यांगना व सांसद रह चुकी श्रीमती वैजयंती माला बाली का जीवन चक्र। उन्होंने ... और पढ़ेंजून 2008व्यूस: 6835
हस्त रेखा एवं मनोविज्ञान हस्तरेखा विज्ञान और मनोविज्ञान में गहरा सम्बन्ध है। हथेली की रेखाएं हमारे दिमाग में बनने वाली विद्धुत तरंगों की नलियाँ है। हथेली के अलग-अलग स्थानों के उभार, जिन्हें हस्तरेखा विज्ञान की भाषा में पर्वत कहा जाता है। चुम्बकीय केंद्र ह... और पढ़ेंदिसम्बर 2006व्यूस: 6029
श्रीराम का जन्मकाल पौराणिक तथ्यों के अनुसार भारतीय इतिहास का आंकलन सही नहीं है। यदि रामजन्म इसी २८वें महायुग में हुआ होता तो आज से लगभग ८ लाख ७० हजार वर्ष पूर्व का समय निकलता। किन्तु उनका जन्म तो २४वें महायुग में हुआ था। ... और पढ़ेंअप्रैल 2008व्यूस: 22107
क्या है श्री यंत्र श्रीयंत्र का उल्लेख तंत्रराज, ललिता सहस्त्रनाम, कामकलाविलास, त्रिपुरोपनिषद आदि विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मिलता है। महापुराणों में श्री यंत्र को देवी महालक्ष्मी का प्रतीक कहा गया है। इन्हीं पुराणों में वर्णित महालक्ष्मी स्... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 12568
प्रेम ही जीवन है. राम भक्त हनुमान ने अपने निस्वार्थ प्रेम से अपने जीवन कों सही दिशा प्रदान की. अपने प्रिय के प्रति निस्वार्थ प्रेम भक्ति के व्यक्तित्व कों निखारता है. प्रेम बिना इस संसार में अपने इष्ट देव कों प्राप्त करना सहज नहीं है. हनुमान का यह ... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 9730