अचला सप्तमी व्रत अचला सप्तमी एक दिव्य व्रत है और इसके पालन से विविध कामनाएं पूर्ण होती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाने वाले व्रत की कथा महात्म्य प्रस्तुत है।... और पढ़ेंफ़रवरी 2009व्यूस: 4974
बृहस्पति बृहस्पति, ऋषि अंगीरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित थे। सभी प्रकार की कठिनाइयों के रहते हुए भी वे देवताओं के लिए सभी धार्मिक व पवित्र कर्मकांड, यज्ञादि कुशलतापूर्वक करने में सक्षम थे। दैत्य, देवताओं को कष्ट देना चाहते थे। उनके यज... और पढ़ेंसितम्बर 2013व्यूस: 9097
दिमाग के ४२ खाने लाल-किताब का यह एक अनोखा सूत्र है.इसके उपयोग से व्यक्ति विशेष की विशेषताओं के बारे में सरलता से जान सकते हैं. ग्रह अकेले या इकठ्ठे हो कर जो हाल इंसान की दिमागी हालत का कर सकते हैं. वैसी ही हालत भाग्य की वह कुंडली में करेंगे ... और पढ़ेंमई 2012व्यूस: 9317
तृतीय भाव में सूर्य का फल तृतीय भाव पराक्रम, साहस, भाई, कंठ स्वर, लेखन, कंधे, यात्रा आदि का होता है। प्रस्तुत है तृतीय भाव में अग्नि तत्व राशिस्थ सूर्य का फल... और पढ़ेंमार्च 2009व्यूस: 7235
बैकुंठ चतुर्दशी व्रत यह व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन उपवास करके तारों के निकलने पर नदी के तट पर चौदह दीपक जलाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। फिर भक्तिभाव से चंदन, दीप, पुष्प, अगरबती आदि से भगवान ... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 5821
कुछ उपयोगी टोटके छोटे – छोटे टोटके बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान सहजता के साथ कर देते है. जैसे जन्म कुंडली में शनि अशुभ हो तो घर में लोहे के समान का प्रयोग करें. भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें. आँखों में काला अंजन और कला सुरमा लगाएं..... और पढ़ेंआगस्त 2009व्यूस: 7721
कब बनता है कालसर्प योग? ज्योतिष् शास्त्रों के अनुसार राहु कों सर्प का मुंह कहते है. और केतु कों उसकी पूंछ कहते है. जन्म कुंडली में अगर अन्य ग्रह –भाव बली न हो तो यह माना जाता है की व्यक्ति की म्रत्यु शीघ्र होती है. अगर म्रत्यु न भी हो तो व्यक्ति कों म्रत... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 8439
रुद्राक्ष एक, औषधिय गुण अनेक रुद्राक्ष से सभी परिचित हैं. रुद्राक्ष की माला से पूजा, अर्चना तो की ही जाती हैं, पहनने आदि में भी इसका प्रयोग बहुत अधिक किया जाता हैं. विभिन्न रोगों में भी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जा सकता हैं. सिरदर्द : रुद्राक्ष, तगर, सोंठ, कूट... और पढ़ेंअप्रैल 2012व्यूस: 7846
वास्तु के अनुसार कार्यालय किसी भी कार्यालय को विकसित करने के पूर्व भूखंड का चयन आवश्यक हैं। कार्यालय के लिए आयताकार या वर्गाकार भूखंड का चयन सर्वश्रेष्ठ होता हैं। ईशान वृद्धि भूखंड पर भी कार्यालय का निर्माण लाभप्रद होता हैं। ... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 8960
हस्त रेखा अध्ययन के सामान्य सिद्धांत रेखाओं पर तारा कार्य में शीघ्र सफलता का सूचक होता है। रेखाओं पर तिरछी रेखाएं हानिकारक होती है। पतली रेखाएं श्रेष्ठ फल देने में सक्षम होती है। वहीँ मोटी रेखाएं व्यक्ति की दुर्बलता का संकेत देती है। । ... और पढ़ेंजनवरी 2008व्यूस: 10088
राहू-केतु का पौराणिक एवं ज्योतिषीय आधार राहू और केतु के बारे में प्राय: सभी जानते है, परन्तु पौराणिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से राहू-केतु निम्नवत है। पुराणों के अनुसार, असुर राज हिरण्यकश्यप कि पुत्री सिंहिका का विवाह विप्रचिर्ती दानव के साथ हुआ था। इन दोनों के योग से राहू ... और पढ़ेंआगस्त 2008व्यूस: 11600
भैया दूज इस मंगलमय दिवस में व्रती बहनों के लिए प्रात:काल, स्नानादि से निवृत होकर अक्षत-पुष्पादि से निर्मित अष्ट दल कमल पर गनेशादी की स्थापना करके, यम यमुना, चित्रगुप्त तथा यम दूतों का पूजन कर, यमुना स्तवन एवं निम्न मंत्र से यमराज की स्तुति... और पढ़ेंनवेम्बर 2008व्यूस: 6728