कालसर्प योग एवं शान्ति जन्मपत्रिका में राहु व केतु के बीच जब समस्त सात ग्रह आ जाएँ तो कालसर्प योग बनता है. इस योग के मुख्यत: दो भाग बताए गए है. १ उदित काल सर्प योग २ अनुदित काल सर्प योग . दोनों योगों के प्रकार और काल सर्प दोष से मुक्ति के उपाय प्रस्तुत ... और पढ़ेंअप्रैल 2009व्यूस: 9084
कुछ उपयोगी टोटके इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत जानकारी दी जा रही है जिनका लाभ उठाकर आप परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।... और पढ़ेंजनवरी 2009व्यूस: 13811
ज्योतिष से जानें जीविका के रहस्य जन्म कुंडली का दशम भाव व्यक्ति की आजीविका की व्याख्या करता है. दशम भाव कों कर्म स्थान के नाम से भी जाना जाता है. आज के युवा वर्ग के मन में इस प्रकार की जिज्ञासा सर उठाती रहती है, की किस प्रोफेशन कों कैरियर के रूप में चुने ताकि वह ... और पढ़ेंजून 2009व्यूस: 8104
कात्यायनी देवी व्रत शास्त्रों में उल्लेख है की इस मानव शरीर का उद्देश्य मात्र प्रभु का सान्निध्य प्राप्त करना है. इसके लिए अनेक मार्ग निर्दिष्ट है, जैसे भजन, कीर्तन, साधना, उपासना, सत्यभाषण, दान, दया, संयम, वर्तोपवास, अनुष्ठान इत्यादि........ और पढ़ेंनवेम्बर 2009व्यूस: 17902
स्वप्न द्वारा भाव जगत में प्रवेश, एक प्रयोग स्वप्नों के माध्यम से भाव जगत में प्रवेश करना बहुत ही सुगम हैं। किन्तु इसके पूर्व चेतन मन और अवचेतन मन की सीमाओं को समाझ लेने से बहुत सुविधा होगीं। जिन स्वप्नों का सम्बन्ध मनुष्य की चेतना अथवा भौतिक जगत से होता हैं।... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 7591
ऋणानुबंधन पीड़ा निवारण जन्म के साथ ही बाध्यकारी होने जाने वाले ऋणों से यदि प्रयास पूर्वक मुक्ति प्राप्त न की जाए तो जीवन की प्राप्तियों का अर्थ अधूरा रह जाता हैं। इन दोषों से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कहीं जाती हैं। ऐसे व्यक्ति अपने मातृ-पक्ष अर्थात मात... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 9082
कुछ उपयोगी टोटके गुरु जी के अत्यंत फलदायी एवं अचूक उपाय जिन्हें अपनाकर अनेकानेक श्रद्धालुओं ने लाभ प्राप्त किया है। ये छोटे उपाय यदि विधिपूर्वक किये जाएं तो अत्यंत लाभकारी है।... और पढ़ेंनवेम्बर 2011व्यूस: 10682
गोत्र का रहस्य एवं महत् गोत्र के बारे में जानने की जिज्ञासा सभी को रहती है। सामान्यतः जब कोई भी संस्कार होता है उसमें गोत्र की चर्चा होती है। गोत्र क्या है? गोत्र हमारे समाज में कब से प्रचलन में आया और इसके पीछे धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताएं क्या हैं? इस... और पढ़ेंअकतूबर 2013व्यूस: 49911
भागवत कथा (गतांक से आगे) श्री शुकदेव जी यह कहकर घर से वन की ओर चल पड़े। जो वन गया सो बन गया । राम-कृष्ण वन गए, बन गये, मीरा-नरसी मेहता-ध्रुव वन गए, बन गये। वेदव्यास जी विरह से कातर होकर पुकारने लगे-बेटा! बेटा तुम कहां जा रहे हो? उस समय वृक्षां ने तन्मय होन... और पढ़ेंफ़रवरी 2014व्यूस: 5181
नंदादेवी राजजात राजजात की शुरुआत आठवी सदी के आसपास हुई बताई जाती हैं। यह वह काल था जब आदिगुरू शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना की थीं। लोक इतिहास के अनुसार नंदा गढ़वाल के राजाओं के साथ साथ कुमांऊ के कत्युरी राजवंश की इष्ट... और पढ़ेंआगस्त 2012व्यूस: 7029
स्वप्न अवधारणाएं व् दोष निवारण निद्रा काल में देह की अचलता के बावजूद भी कल्पना के केंद्र भूत मन में घटित हलचलों के कारण अंतर्मुखी वृतियों की सक्रियताएं बनी रहती हैं। जिसे स्वप्न की संज्ञा दी जाती हैं। वस्तुत: निद्रा व् जागरण की यह अवस्था अर्थात स्वप्न की इन क्र... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 8603
विकट स्वप्नों का सहज डिस्पोजल निद्रा में कई बार भयानक चीजें दिखाई देती हैं। जिनकों देखकर हम उठ खड़े होते हैं। जैसे कोई परेशान बच्चा, भटकती आत्मा, कंकाल, अस्त्र-शस्त्र, जंगली जानवर आदि। ऐसे स्वप्नों के निदान के लिए कुछ अचूक और प्रभावशाली उपाय करके आप निश्चय ही क... और पढ़ेंजून 2012व्यूस: 7212