कार्य प्रगति में बाधक है वास्तुदोष

दक्षिण-पूर्व की खिडकी के बढे हुए दोष को कम करने के लिए लकड़ी का एक रैक बनवाया गया, इससे परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार आया। कुछ ही दिन पहले श्री विजय मेहंदीरता ने बताया की इन सारे उपायों के फलस्वरूप । ... और पढ़ें

जनवरी 2008

व्यूस: 6558

हर की पौड़ी

वास्तुशास्त्र के अनुसार जिन स्थानों की भौगोलिक स्थिति धार्मिक दृष्टि से अधिक वास्तु संगत होती है वही स्थान विशेष आस्था का केंद्र बनता है। आइए, जानें हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी में ऐसी कौन सी भौगोलिक वास्तुनुकुलताएं हैं जो श्रद्... और पढ़ें

नवेम्बर 2010

व्यूस: 8487

वास्तुसम्मत कार्यालय कुछ महत्वपूर्ण उपाय

व्यावसायिक स्थल में कार्यालय के लिए दक्षिण –पश्चिम दिशा को अति उत्तम माना गया है. कार्यालय के अंदर उद्धोगपति की कुर्सी दक्षिण –पश्चिम दिशा में इस प्रकार रखी जाए की बैठते समय उसका मुख उतर – पूर्व दिशा की ओर रह. इसका सैद्धान्तिक कार... और पढ़ें

दिसम्बर 2009

व्यूस: 7376

वास्तु का मौलिक रूप एवं मानव जीवन में इसका महत्व

भवन निर्माण में भूखंड और उसके आसपास के स्थानों का महत्व् बहुत अहम होता है. भूखंड की शुभ – अशुभ दशा का अनुमान वास्तुविद आसपास की चीजों को देखकर ही लगाते है. भूखंड की किस दिशा की ओर क्या है.... ... और पढ़ें

दिसम्बर 2009

व्यूस: 8578

कुछ उपयोगी टोटके

जिन व्यापारियों को अपने व्यापार में घाटा हो रहा हो अथवा जो अधिकारी वर्ग है उसे अपने उच्च अधिकारियों का वरद हस्त समाप्त हो रहा हो, तो वह इससे बचने के लिए नीलम, पन्ना तथा लहसुनिया इन तीन रत्नों को लाकेट के रूप में किसी शुभ मुहूर्त म... और पढ़ें

अकतूबर 2012

व्यूस: 8667

हस्त सामुद्रिक शास्त्र की प्रासंगिकता

ज्योतिष शास्त्र की भांति सामुद्रिक शास्त्र का उदभव भी ५००० वर्ष पूर्व भारत में ही हुआ था। पराशर, व्यास, सूर्य, भारद्वाज, भृगु, कश्यप, बृहस्पति, कात्यायन आदि महर्षियों ने इस विद्या की खोज की थी। इस शास्त्र का उल्लेख वेदों और स्कंद ... और पढ़ें

जनवरी 2008

व्यूस: 10939

वास्तु-मानव व् विज्ञान

वास्तु का अर्थ: वास्तु अर्थात किसी घर या स्थान में किसी भी वस्तु का उसके सही स्थान पर चयन करना. फेंगशुई भी वास्तु में इन्हीं चीजों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करता हैं. वास्तु का वैज्ञानिक कारण यह है की उतर से दक्षिण की तरफ चुम्बकीय र... और पढ़ें

अप्रैल 2012

व्यूस: 6115

हस्तरेखा सम्बन्धी कुछ नए तथ्य

जन्म के समय शिशु के हाथ की रेखाएँ उसके पूर्व जन्म के संस्कारों के आधार पर बनी होती है. उसके होश संभालने पर इन रेखाओं में होने वाले परिवर्तनों का कारण वर्तमान जन्म के कर्म होते है. जिसका अचेतन मन अधिक शक्तिशाली होता है. उसकी रेखाओं... और पढ़ें

जुलाई 2009

व्यूस: 7717

वैज्ञानिक दृष्टि से वास्तु ऊर्जा

हमने पिछले अंक में आपको वास्तु में पंचतत्व, रेखागणित, अंक गणित व् रंगों का क्या महत्त्व हैं. इसके बारे में बताया था और अब वास्तु में और किन किन बातों को ध्यान रखना चाहिए. तथा हम क्या कर सकते है की जानकारी देंगे. हमने आपको अप्रैल म... और पढ़ें

मई 2012

व्यूस: 6370

वास्तु बदलें भाग्य बदलेगा

घर में पानी सही स्थान पर और सही दिशा में रखने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है. और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. पानी का स्थान ईशान कोण है. अत: पाने का भंडारण अथवा भूमिगत.... ... और पढ़ें

दिसम्बर 2009

व्यूस: 11129

कैसे निकालें यात्रा मुहूर्त

समय का अभाव् होने के कारण लोग प्राय: मुहूर्त के महत्त्व को भूल जाए है. मुहूर्त की तब याद आती है. जब यात्रा, निर्थक, निष्फल एवं नुकसान दायक साबित होती है. तब व्यक्ति इस बात को सोचने को जो जाता है की काश मैंने अपनी यात्रा शुभ मुहूर्... और पढ़ें

नवेम्बर 2009

व्यूस: 62888

नाम का निर्धारण कैसे करें

आधुनिक काल में अभिभावक अपनी संतान का नाम रखने के लिए कई बार दुविधा की स्थिति में देखे गए है, इसका कारण नाम रखने के अनेक आधार होना है, इन्ही में से पहला आधार जन्म नक्षत्र आधार है, यह व्यक्ति के जन्म नक्षत्र वर्ण के अनुसार होता है. ... और पढ़ें

अप्रैल 2009

व्यूस: 81363

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Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

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